tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post4488084665361841365..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: दोषी कौनरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82930558822617559162010-01-09T18:08:11.744+05:302010-01-09T18:08:11.744+05:30बहुत ही गम्भीर पोस्ट है और हालात कमोवेश सब जगह यही...बहुत ही गम्भीर पोस्ट है और हालात कमोवेश सब जगह यही है. कोशिश करे कि बच्चो के साथ निश्चित रूप से कुछ समय बिताये और उनकी सोच और अपने ग्यान के फ़ासले को कम करे.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13199219119636372821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52780750154851608522010-01-08T23:05:31.761+05:302010-01-08T23:05:31.761+05:30aajkal baccho k saath dost ban kar paish aaya jaye...aajkal baccho k saath dost ban kar paish aaya jaye to behtar hai.aur dost ban kar unhe is tareh ki nazdikiyo ki advantages aur disadvantages samjhayi jaye. baki bacche waise to khud bahut samajhdaar hote hai. samajh bhi jate hai.behtar hoga un se har topic khul kar discuss kiya jaye.hA.N LEKin nazer rakhni bhi jaruri hai.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32809397992789736922010-01-08T18:42:14.625+05:302010-01-08T18:42:14.625+05:30ati sundderati sundderDr. Tripat Mehtahttps://www.blogger.com/profile/06972787985997523606noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69607074140382605492010-01-08T11:19:43.990+05:302010-01-08T11:19:43.990+05:30गलती बच्चो की कम अभिभावकों की ज्यादा हैं । आप हिन्...गलती बच्चो की कम अभिभावकों की ज्यादा हैं । आप हिन्दी ब्लॉग जगत के छोटे से दायरे को देखिये तो आप जानेगे की सब के प्रोफाइल हर नेट वोर्किंग साईट पर मोजूद हैं । अगर हम संस्कृति की बात करते हैं तो हम को सबसे पहले हर नियम अपने पर लागू करना चाहिये फिर अपने बच्चो पर ।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91690880895715051832010-01-08T10:52:08.884+05:302010-01-08T10:52:08.884+05:30हम समझ रहे हैं कि हम प्रगति कर रहे हैं लेकिन इस प...हम समझ रहे हैं कि हम प्रगति कर रहे हैं लेकिन इस प्रगति की गति और रुख दोनों पर ही अगर अंकुश न रखा गया तो हम बहुत कुछ खोते भी जा रहे हैं. बच्चों की उम्र के हिसाब से उनपर नजर भी रखनी जरूरी है. एक यही क्यों , पता नहीं कितनीमाँएं ऐसे ही झेल रही हैं न नौकरी छोड़ सकती हैं और न उन्हें कोई रास्ता नजर आता है. बच्चे नेट और मोबाइल को जब परिपक्वता से पहले पा लेते हैं तो दिशाहीन हो जाते हैं. उन्हें सुविधाएँ दीजिये लेकिन उनपर पूरी नजर रखने की जरूरत है. संयुक्त परिवार की परिभाषा ही खत्म हो चुकी है. उसके ही खामियाजा हम भुगत रहे हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29129723406711999992010-01-08T04:38:23.087+05:302010-01-08T04:38:23.087+05:30बहुत सुन्दर
आप की रचना हमेशा अच्छी होती हैंबहुत सुन्दर<br />आप की रचना हमेशा अच्छी होती हैंTejhttps://www.blogger.com/profile/07239419875368579533noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-57501490821117367192010-01-07T23:03:42.277+05:302010-01-07T23:03:42.277+05:30प्रकृति ने संसर्ग प्रारंभ करने के लिए जो समय निर्ध...प्रकृति ने संसर्ग प्रारंभ करने के लिए जो समय निर्धारित किया है, अमूमन विवाह उसके दस से पंद्रह साल बाद होते हैं. अब प्रकृति इतने समय तक तो रुक नहीं सकती. प्रकृति के जोर के आगे तो सभी लाचार हो जाते हैं. हम प्रकृति से बगावत करते हैं, और चाहते हैं की वह हमारे अनुसार चले. कभी हम प्रकृति के करीब थे, लय में थे..... अब नहीं है. यौन परिपक्वता पहले चौदह से सोलह के बीच आती थी, और शादी की उम्र भी यही थी. आज प्युबरटी की आयु नौ से तेरह रह गई है, पर शादी पच्चीस से पैंतीस के बीच होती है. मीनोपाज़ की उम्र में बच्चे.... सब उल्टा पुल्टा हो गया है. रही बात लड़की को समझाने और लड़के को धमकाने की तो प्राकृतिक वेगों को रोकना मुश्किल है, दस बारह साल तो बहुत लम्बा अरसा होता है. लड़का अगर डर भी गया तो उससे लड़की की इच्छाएं कम नहीं होंगी, खुला समय है कोई और मिल जायेगा/जाएगी.ab inconvenientihttps://www.blogger.com/profile/16479285471274547360noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-17082236968004353112010-01-07T22:35:23.376+05:302010-01-07T22:35:23.376+05:30बेटी को डाँटकर नहीं दोस्त बनाकर प्यार से समझाएं कि...बेटी को डाँटकर नहीं दोस्त बनाकर प्यार से समझाएं कि क्या सही और क्या गलत है. अस्सी-पचासी प्रतिशत नंबर पाने वाली बच्ची है जब भला बुरा उसकी समझ में आ जायेगा तो वह निश्चित रूप से सही मार्ग ही अपनाएगी.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79093280152317048342010-01-07T21:57:24.756+05:302010-01-07T21:57:24.756+05:30यथार्थ लेखन।यथार्थ लेखन।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.com