tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3488291669220073073..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: छेड़छाड़ की समस्यारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19778336714447274442010-02-23T00:22:56.667+05:302010-02-23T00:22:56.667+05:30शत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही हैशत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64740241202425557032010-02-20T01:39:44.978+05:302010-02-20T01:39:44.978+05:30शत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही है .......शत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही है ....विकसीत देशो में इस समस्या पर बहुत हद तक काबू भी पाया जसका है ! क्योकि कोई भी देश एक सभ्य और शिष्ट समाज के सहारे ही उन्नति कर पाता है ! बचपन में जब लड़को को शिष्टाचार सिखाये जाते है तो स्त्री जाती के सम्मान को वहा से ही जोड़ा जाना चाहिए, शुरू से ही उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए की लड़कियों के साथ सभ्य व्यवहार किस तरह किया जाता है ! किन्तु हमारे पुरुष प्रधान सामाजिक ढाचे में शुरू से ही सारे नियम कानून कायदे लड़कियों के लिए ही है ....लड़को के लिए नहीं ! अगर कोई लड़की छेड़ी जाती है तो दस लोग उसी पर उंगलिया उठा देते है ! जरुरत है बस नाजीरिया बदलने की सोच को और उचा उठाने की ....इस समस्या का निदान संभव है !रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-65382223370716544062010-02-20T01:37:04.130+05:302010-02-20T01:37:04.130+05:30शत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही है .......शत प्रतिशत सहमत की यह एक सामाजिक समस्या ही है ....विकसीत देशो में इस समस्या पर बहुत हद तक काबू भी पाया जसका है ! क्योकि कोई भी देश एक सभ्य और शिष्ट समाज के सहारे ही उन्नति कर पाता है ! बचपन में जब लड़को को शिष्टाचार सिखाये जाते है तो स्त्री जाती के सम्मान को वहा से ही जोड़ा जाना चाहिए, शुरू से ही उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए की लड़कियों के साथ सभ्य व्यवहार किस तरह किया जाता है ! किन्तु हमारे पुरुष प्रधान सामाजिक ढाचे में शुरू से ही सारे नियम कानून कायदे लड़कियों के लिए ही है ....लड़को के लिए नहीं ! अगर कोई लड़की छेड़ी जाती है तो दस लोग उसी पर उंगलिया उठा देते है ! जरुरत है बस नाजीरिया बदलने की सोच को और उचा उठाने की ....इस समस्या का निदान संभव है !रानीविशालhttps://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26807346955704427502010-02-19T20:55:06.366+05:302010-02-19T20:55:06.366+05:30यह समस्या एक सामजिक समस्या है और सामाजिक सोच में प...यह समस्या एक सामजिक समस्या है और सामाजिक सोच में परिवर्तन से ही इसका हल संभव है .अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-87427974434298754962010-02-19T18:34:51.254+05:302010-02-19T18:34:51.254+05:30"यहाँ बात यौन-शोषण की हो रही है, परस्पर आकर्ष..."यहाँ बात यौन-शोषण की हो रही है, परस्पर आकर्षण जनित हल्की-फुल्की छेड़खानी की नहीं. विपरीत लिंगियों में आकर्षण स्वाभाविक है और वह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसे नारी के मंच पर उठाया जाये. यहाँ पर औरतों के यौन-शोषण की बात हो रही है."<br /><br />यह फैसला कौन करेगा कि सीमा रेखा क्या है ?<br />यह एक नितांत व्यक्तिगत अनुभव है, किसी को हल्की फुलकी लगने वाली छेड़खानी किसी के लिए पीडाजनक हो सकती है .<br /><br />प्रश्न यह है कि किसीको भी सीमा रेखा लांघने का अधिकार नहीं है . फिर भी यह समस्या आम क्यों है . इसका मुख्य कारण संस्कारों और शिक्षा का अभाव है .डॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-61280054643845720752010-02-19T17:23:59.523+05:302010-02-19T17:23:59.523+05:30richa jee ke baat se mai sahamat hon ham bahar ke ...richa jee ke baat se mai sahamat hon ham bahar ke logon kee nakal karate hain prantu unake gun ko nahi seekhate ham apane andar parivartan laye to ye samaaj badal jayegaaAkhilesh pal bloghttps://www.blogger.com/profile/06176388027572233336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75210342773227575022010-02-19T16:13:04.249+05:302010-02-19T16:13:04.249+05:30@ डा० अमर कुमार ,
यहाँ फिर आप छेड़छाड़ की घटना को...@ डा० अमर कुमार ,<br />यहाँ फिर आप छेड़छाड़ की घटना को परस्पर आकर्षण से ग़लत ढंग से जोड़ रहे हैं. यहाँ बात यौन-शोषण की हो रही है, परस्पर आकर्षण जनित हल्की-फुल्की छेड़खानी की नहीं. विपरीत लिंगियों में आकर्षण स्वाभाविक है और वह कोई ऐसी समस्या नहीं है, जिसे नारी के मंच पर उठाया जाये. यहाँ पर औरतों के यौन-शोषण की बात हो रही है.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-2404624093806487882010-02-19T15:25:28.535+05:302010-02-19T15:25:28.535+05:30शब्दशः सहमत हूँ आपसे मुक्ति जी.....
बड़े ही प्रभाव...शब्दशः सहमत हूँ आपसे मुक्ति जी.....<br />बड़े ही प्रभावशाली ढंग से आपने विषय को विवेचित किया है.....<br />इस समस्या का निदान मूल रूप में तो परिवार द्वारा ही संभव है,परन्तु इसके साथ साथ समाज तथा कानून की दंड एवं तिरस्कार की व्यवस्था भी यदि कठोर हो और कारगर ढंग से उसे व्यवहार में लाया जाय तो समस्या की विकटता समाप्त हो सकती है...<br /><br />आपने जो बात कह दी है उसके अतिरिक्त मैं यह कहना चाहूंगी कि मानव मात्र का यह स्वभाव होता है कि शक्ति सामर्थ्य के साथ यदि कुसंस्कार व्यक्ति पर हावी हो जाए तो वह विभिन्न प्रकार के अनैतिक कृत्यों में सहज ही वह लिप्त हो जाता है ... चाहे वह पुरुष हो या स्त्री.....<br /><br />इसलिए अपने परिवार में बच्चों में सद्संस्कार भरने के लिए प्रत्येक अभिभावक को अपने वृत्तियों को सात्विक सुसंस्कृत करना होगा...रंजनाhttps://www.blogger.com/profile/01215091193936901460noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6107504714409257372010-02-19T13:24:57.507+05:302010-02-19T13:24:57.507+05:30बहुत सही टोपिक पर चर्चा की आपने
परन्तु इस छेड़ ...बहुत सही टोपिक पर चर्चा की आपने <br />परन्तु इस छेड़ छाड़ में कहीं कही फैशन भी दोषी है <br />आभार ...........Pushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82692333620330221102010-02-19T12:11:43.625+05:302010-02-19T12:11:43.625+05:30यह तो स्वीकार करता हूँ कि ऎसी मानसिकता किसी के अपन...<i><br />यह तो स्वीकार करता हूँ कि ऎसी मानसिकता किसी के अपने वैसा होने की अस्मिता को ललकारती हैं ।<br />पर समस्या एकाँगी नहीं है । <br />एक अनाम किसिम की ललकार को अपने व्यक्तित्व के साथ बाँध कर घर से निकलते ही इसकी बुनियाद पड़ जाती है ।<br />कुँठित ईंट-गारे स्वतः ही जुड़ जाते हों ऎसा भी नहीं ।<br /><br />यहाँ एक अलग तरह की स्वीकारोक्ति रखना चाहूँगा कि मैं स्वयँ ही लड़कियों द्वारा छेड़ा जाता रहा हूँ, इसकी खुशफ़हमियों का मलाल कितना कष्ट देता होगा, यह अन्य पाठक स्वयँ ही अँदाज़ा लगा लें ।<br /><br />गर्ल्स हॉस्टेल के कमरों का विपरीतलिंगी आइकॅन्स के पोस्टर से पटा होना क्या दर्शाता है ।<br />यही कि मन मन भावै, पीछे चिल्लावै ।<br />यह परस्पर आकर्षण एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, इन पर लागू वर्जनाओं ने इन्हें विकृत बना दिया, क्यों ? यह समाजविज्ञानी शोध का विषय है । <br /><br /></i>डा० अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/09556018337158653778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59958936987449880752010-02-19T11:00:17.813+05:302010-02-19T11:00:17.813+05:30मनुष्य मूलत: तो पशु ही है .. सो शक्ति और ताकत का ...मनुष्य मूलत: तो पशु ही है .. सो शक्ति और ताकत का प्रदर्शन स्वाभाविक है .. जहां आज का पुरूष महिलाओं को अपने समकक्ष रख रहा है .. वह अपने परिवार के द्वारा दिए गए संस्कारों की वजह से .. और जहां संस्कार का अभाव है .. वहां नारियों का महत्व कम होगा .. समाज और परिवार को अपने बच्चों के लालन पालन में इस बात का ध्यान रखने की आवश्यकता है !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54206356705418431132010-02-19T10:48:32.984+05:302010-02-19T10:48:32.984+05:30chhedchhad ke manovigyan ko
bahut achhi trh se s...chhedchhad ke manovigyan ko <br />bahut achhi trh se smjhaya <br />hai,mai apse se shmt hu <br />es prakar ki pareshaniya <br />hr nari uthati haप्रज्ञा पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/05821641995349337607noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49143618007892086002010-02-19T10:16:52.351+05:302010-02-19T10:16:52.351+05:30I fully endorse the views express by mukti and i a...I fully endorse the views express by mukti and i appreciate the honesty of richas comment . i would also like to say that woman are conditioned to understand that they are second grade and need to accept what ever happensAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51406493606456095832010-02-19T09:49:34.209+05:302010-02-19T09:49:34.209+05:30सही कहा मुक्ति जी, ये समस्या मानसिक नहीं बल्कि साम...सही कहा मुक्ति जी, ये समस्या मानसिक नहीं बल्कि सामाजिक है। मैं San Jose की घटना बताती हूँ, मैं एक बारी लिफ्ट में थी और मेरे साथ एक परिवार था जिसमें एक १३-१४ साल का लड़का था, जब लिफ्ट रुकी तो में वेट कर रही थी की सब बहार निकले। लड़के ने बहार निकलने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाया तभी उसके पिता ने उस समझाते हुए कहा की " Sir, you forgot the rule - Lady first"। मैं सन्न थी क्यूंकि मैंने पहली बार देखा।<br />आपने हमारे किसी परिवार में देखा है की लड़को को सिखाया गया हो लड़कियों का आदर करना। देखा है कभी की हमारे समाज में लड़के लड़कियों के आदर से अपने आगे करे, या तमीज से उनके लिए कोई गेट खोले। तो ये कहना की ये समस्या मानसिक है या शेक्षिक है गलत होगा, हम समझदारी सिर्फ बेटी और बहुओं को ही सिखातें हैं लेकिन को बेटों को नहीं सीख देते। जबतक हम बेटे और बेटी को बराबरी से नहीं रखेंगे तो ये समस्या कभी नहीं जाएगी।Richahttps://www.blogger.com/profile/16353234862405730668noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79183867507026865232010-02-19T09:09:49.773+05:302010-02-19T09:09:49.773+05:30इस आलेख के हर बिंदु से सहमति है। यह समस्या सामाजिक...इस आलेख के हर बिंदु से सहमति है। यह समस्या सामाजिक ही है। यदि समाज बदलता है तो इस समस्या से भी निजात पाई जा सकती है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com