tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post3391555909634193790..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: बलात्कार की साइकोलॉजी - यह एक मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा हैरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-83868118703190645732008-09-18T22:00:00.000+05:302008-09-18T22:00:00.000+05:30@किसी भी महिला के लिए बलात्कार का शिकार होना बहुत ...@किसी भी महिला के लिए बलात्कार का शिकार होना बहुत बड़ा हादसा है। शायद उसके लिए इससे बड़ी त्रासदी कोई है ही नहीं। बदकिस्मती से अपने देश में महिलाओं से बलात्कार की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। यह एक जघन्य अपराध है.<BR/><BR/>मेरे विचार में इस अपराध की सजा मृत्युदंड ही हो सकती है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-7422996415181719702008-09-16T14:04:00.000+05:302008-09-16T14:04:00.000+05:30एकदम ठीक।लेकिन मुझे याद आता है कि अरसा पहले, केरल ...एकदम ठीक।<BR/><BR/>लेकिन मुझे याद आता है कि अरसा पहले, केरल (शायद) से एक महिला सांसद ने कहीं कह दिया था कि कोई भी औरत बलात्कार का शिकार हो ही नहीं सकती, जब तक वह खुद ना चाहे। यदि कोई औरत कहती है कि बलात्कार हुया है तो उसकी सहमति अवश्य ही होगी।<BR/> <BR/>उनके इस बयान पर देश भर में हंगामा हो गया था। तमाम प्रदर्शनों/ पुतला दहनों/ धमकियों आदि के बाद उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था।<BR/><BR/>उनका मंतव्य मात्र इतना बताना था कि कुदरत ने औरत को जैविक रूप से इतना सशक्त बनाया है कि बिना उसकी मर्जी के पुरूष जननांग प्रवेश ही नहीं कराया जा सकता। वगैरह्… वगैरह …<BR/><BR/>मुझे उन सांसद का नाम याद नहीं आ रहा है। यदि किसी के जहन में यह घटनाक्रम हो तो जाहिर करें। अगली बार कहीं उनका नाम तो बता सकूँगा।<BR/><BR/>बलात्कार पर एक बेहतरीन फिल्म भी बनी है। विनोद मेहरा- रेखा की 'घर'। अवसर मिले तो अवश्य देखियेगा।ज्ञानhttps://www.blogger.com/profile/03778728535704063933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-35294935687150887452008-09-15T22:03:00.000+05:302008-09-15T22:03:00.000+05:30आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए हृदय से कृतज्ञहूँ.स...आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए हृदय से कृतज्ञ<BR/>हूँ.<BR/><BR/>सर्वश्री-<BR/>वर्षा,रक्षन्दा,मीनाक्षी,स्वप्नदर्शी,दहलीज,रचना,सतीश सक्सेना,राजीव और द्विवेदी जी !<BR/><BR/>मेरा आभार स्वीकारें.<BR/><BR/>रही आघात के केन्द्र की बात तो ध्यान रखना होगा कि जब उसे हम शारीरिक आघात के रूप में प्रतिस्थापित करने की बात करते हैं तो स्त्री के लिए उसके अर्थ को शरीर की पवित्रता-अपवित्रता के साथ जोड़ने के खतरे पैदा कर रहे होते हैं. <BR/><BR/>सम्भोग और बलात्कार में अन्तर यही है कि एक के साथ इच्छा जुड़ी हुई होती है, जबकि दूसरे के साथ अनिच्छा व अनुमति के बिना किए जाने वाले (कु) कर्म की (कु)चेष्टा व भावना.<BR/><BR/>अन्तर स्त्री की (स्व) इच्छा और (अन्) इच्छा का है. जिनका सम्बन्ध सीधे सीधे मानसिकता से है.अत:इन अर्थों में भी इसका सम्बन्ध मन से अधिक है.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49399795770692278072008-09-15T22:01:00.000+05:302008-09-15T22:01:00.000+05:30आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए ह्रिदय से कृतज्ञहूँ...आप सभी की प्रतिक्रियाओं के लिए ह्रिदय से कृतज्ञ<BR/>हूँ.<BR/>सर्वश्री-<BR/>वर्षा,रक्षन्दा,मीनाक्षी,स्वप्नदर्शी,दहलीज,रचना,सतीश सक्सेना,राजीव और द्विवेदी जी !<BR/><BR/>मेरा आभार स्वीकारें.<BR/>रही आघात के केन्द्र की बात तो ध्यान रख्ना होगा कि जब उसे हम शारिरक आघात के रूप मेइं प्रतिस्थापित करने की बात करते हैं तो स्त्री के लिए उसके अर्थ को शरीर की पवित्रता-अपवित्रता के साथ जोड़ने के खतरे पैदा कर रहे होते हैं. सम्भोग और बलात्कार में अन्तर यही है कि एक के साथ इच्छा जुड़ी हुई होती है, जबकि दूसरे के साथ अनिच्छा व अनुमति के बिना किए जाने वाले (कु) कर्म की (कु)चेष्टा.<BR/>अन्तर स्त्री की (स्व) इच्छा और (अन्) इच्छा का है. जिनका सम्बन्ध सीधे सीधे मानसिकता से है.अत:इन अर्थों में भी इसका सम्बन्ध मन से अधिक है.Kavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-35366072692812502222008-09-15T12:25:00.000+05:302008-09-15T12:25:00.000+05:30रक्षंदा जी उसी जगह पहुंच गईं जहां से बात शुरू हुई ...रक्षंदा जी उसी जगह पहुंच गईं जहां से बात शुरू हुई थी। बलात्कार को एक शारीरिक चोट माना जाए, मानसिक-भावात्मक नहीं। सड़क दुर्घटना में पैर में चोट लग जाए तो पति या परिवार के दूसरे सदस्य आपका ज्यादा ख्याल रखते हैं,तो बलात्कार जैसी दुर्घटना के बाद भी ज्यादा ख्याल रखना चाहिए और यही सोच उपजानी है। रचना जी से मैं पूरी तरह सहमत हूं। और ये भी कि पुरुष की कामना में अपने अस्तित्व को खोना भी बलात्कार है...बात बिलकुल सही है।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9138049985893760942008-09-15T11:15:00.000+05:302008-09-15T11:15:00.000+05:30रचना जी से सहमत होते हुए भी असहमत हूँ, होना चाहिए ...रचना जी से सहमत होते हुए भी असहमत हूँ, होना चाहिए लेकिन क्या ये हो पाता है? ठीक है, कि एक ओरत ये भूल जाए, और ये सोच ले कि उसके साथ एक भयानक हादसा हो गया, लेकिन क्या ये समाज, और यहाँ रहने वाले लोग ऐसा होने देंगे? ज़रा बताइये, किसी पत्नी का बलात्कार हो जाए और वो ख़ुद को तसल्ली दे भी ले to क्या उसका पति और घर वाले उसे उसी खुले दिल से अपनाएंगे? अपना भी लें to क्या उसके पति के प्यार का वाही नदाज़ बरक़रार रहेगा? नही, इस में बहुत बहुत समय लगेगा...पति बहुत अच्छा है, उसे अपना भी लेता है लेकिन जिंदगी के किसी न किसी मोड़ पर, कहीं न कहीं वो इस बात को याद ज़रूर दिलाएगा क्योंकि पुरूष इतना बड़ा ज़र्फ़ नही कर सकता...बहुत मुश्किल है, ऐसे हादसों के बाद किसी स्त्री का सामान्य जिंदगी जी पाना...rakhshandahttps://www.blogger.com/profile/08686945812280176317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38236456819628019302008-09-15T11:05:00.000+05:302008-09-15T11:05:00.000+05:30Rachna se sahamat.Rachna se sahamat.स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16484968859920884462008-09-14T20:17:00.000+05:302008-09-14T20:17:00.000+05:30कविताजी का लेख जितना प्रभावशाली लगा, उतना ही टिप्प...कविताजी का लेख जितना प्रभावशाली लगा, उतना ही टिप्पणियों ने भी प्रभावित किया...<BR/>राजीवजी के विचार में रुहानी चोट की बजाय इसे जिस्मानी चोट कहा जाता...रचनाजी के विचार में शरीर का मोह त्यागते ही ट्रॉमा की बजाय सिर्फ इलाज से ठीक होने की ज़रूरत होगी...आज नारी में ऐसी ही क्रांतिकारी सोच की ज़रूरत है.मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18967894177344551382008-09-14T16:33:00.000+05:302008-09-14T16:33:00.000+05:30यह पोस्ट वाकई काफी अच्छी ह। मैं पहली बार इस ब्लॉग ...यह पोस्ट वाकई काफी अच्छी ह। मैं पहली बार इस ब्लॉग में अाया हूं। बलात्कार के बाद की मनोदशा, उससे बचने के उपाय जैसे मुद्दों पर अापने बहुत स्पष्ट िवचार रखे हैं। समाज में सभी पऱकार के लोग रहते हैं। जहां इस देश में नारी को शिक्त का पऱतीक माना गया है वहीं कुछ इसे िसफॆ उपभोग की वस्तु समझते हैं। इस िमथक को अाप जैसी मिहलाएं ही तोड़ सकती हैं। पऱयास जारी रखें, सफतला जरूर िमलेगी।dahleezhttps://www.blogger.com/profile/07423176272710437678noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-15793498536993840182008-09-14T16:24:00.000+05:302008-09-14T16:24:00.000+05:30बलात्कार के बाद क्या ?? की जगह प्रश्न होना चाहिये ...बलात्कार के बाद क्या ?? की जगह प्रश्न होना चाहिये बलात्कार क्या ?? जब तक नारी शील का टोकरा अपने सर पर रख कर घूमती रहेगी , संरक्षण खोजती रहेगी ऐसा ही होता रहेगा । बलात्कार औरत के मन का , अस्तित्व का , बोलो का , भावानाओ का या फिर उसके शरीर कही न कही होता ही है रोज हर पल फिर शरीर को इतनी importance क्यों ?? पांच तत्व हैं एक दिन पांच तत्व मे विलीन हो जायेगे । सबसे पहले नारी को अपने शरीर को ख़ुद भूलना होगा , भूलना होगा की वह सुंदर हैं , हसीन है और उसके शरीर उसकी उपलब्धि है जिसके सहारे वह पुरूष को पा सकती है । पुरूष को पाने की कामना मे अपने अस्तित्व को खोना भी बलात्कार है जिसे बहुत सी नारियाँ रोज अपने ऊपर करती हैं । जिस दिन इस शरीर के मोह से नारी अपने को निकाल लेगी बलात्कार केवल एक जबरन सम्भोग बन जाएगा जिसका मेडिकल treatment जरुरी होगा trauma treatment नहीं .<BR/><BR/>kavita <BR/>aap nirentar achcha aur gyanvardhakh likhtee haenAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1957873524602562122008-09-14T14:20:00.000+05:302008-09-14T14:20:00.000+05:30बेहद अच्छे लेखों की श्रेणी में यह लेख मील का पत्थर...बेहद अच्छे लेखों की श्रेणी में यह लेख मील का पत्थर साबित होगा ! अफ़सोस है डॉ कविता ने यह संक्षिप्त में ही समाप्त कर दिया तथापि सारगर्भित और कम शब्दों में ही बहुत कुछ कह दिया गया है ! बधाई !<BR/>बलात्कार की शिकार महिला जो कष्ट भोगती है वह अकल्पनीय है , अधिकतर यह अमानवीय अपराध परिचितों के द्बारा, विश्वास का गला घोंट कर किए जाते हैं , और उस नराधम को यह पता होता है की यह लडकी लोकलज्जा और परिवार के सम्मान के कारण इसकी ख़बर किसी को नही करेगी ! शारीरिक शक्ति का दुरूपयोग, और एक कमज़ोर को डराने के अस्त्र के कारण, ये हरामजादे इस तरह के कृत्यों में सफल हो जाते हैं !इसके बाद भुक्तिभोग्या और कमज़ोर आत्मविश्वास के साथ बिना अपने संरक्षकों या परिवारजनों को बताये जीवन जीने के लिए विवश होती है ! <BR/>इन नरपिशाचों को "भीड़ के द्बारा पब्लिक एग्जीकयूशन" करवाना बेहतर विकल्प है !यही एक कमज़ोर का उचित बदला हो सकता है !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51385700976889723092008-09-14T00:13:00.000+05:302008-09-14T00:13:00.000+05:30मुझे कुछ लोग नरवादी कहते पाये गए, पर मैं तारीफ करत...मुझे कुछ लोग नरवादी कहते पाये गए, पर मैं तारीफ करता हूँ आप के लेख की, यह पूर्णतया संतुलित है. इसमें मीन-मेख नहीं निकाला जा सकता. कहीं-कहीं पर कुछ ज़रूर कहा जा सकता है, पर ऐसा करके मैं दोषियों का समर्थक ही हो जाऊंगा. जबकि मैं सामाजिकता का पक्षधर हूँ. इस सामाजिकता के लियेनारियों का सशक्त होना आवश्यक है, ताकि वे नर का मुकाबला कर सके. अतः यह लेख उचित है. <BR/>यदि आप ने बलात्कार को रूहानी चोट के बजाय जिस्मानी चोट तक ही सीमित रखने की कोशिश की होती तो ये एक नारी को पुनः उठ खड़े होने में ज्यादा मददगार होता.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-6154457877104188832008-09-13T23:29:00.000+05:302008-09-13T23:29:00.000+05:30एक जरूरी आलेख, आभार।एक जरूरी आलेख, आभार।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com