tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post2758917457610402244..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: अगर आप शादी योग्य हैं या आप के बच्चे शादी योग्य हैं तो ये पोस्ट आप के लिये हैं रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21469528167666652852012-09-04T12:04:52.843+05:302012-09-04T12:04:52.843+05:30कानून नहीं लोगों की मानसिकता बदलनी होगी...कानून नहीं लोगों की मानसिकता बदलनी होगी...Satish Chandra Satyarthihttps://www.blogger.com/profile/09469779125852740541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-60746737902736974902012-08-30T20:52:52.460+05:302012-08-30T20:52:52.460+05:30Wow. This was much needed. I think we also need fo...Wow. This was much needed. I think we also need for girls to know that they have equal rights on their parents' property, and only they or their children, not their husband or his family have any right on what they inherit. Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-3838661229935334812012-08-30T09:39:11.019+05:302012-08-30T09:39:11.019+05:30कानून मे तकनीकी बदलाव से तो कुछ फर्क नही पडेगा लेक...कानून मे तकनीकी बदलाव से तो कुछ फर्क नही पडेगा लेकिन आपका कहना सही है कि अपने समय में ही लडके लडकी दहेज न लें या दें तो ही बदलाव आ सकता है।पर इसके लिए तैयार कितने है दहेज इस तरह से व्यवस्था या परम्परा का हिस्सा हो चुका है जैसे कि खुद विवाह ।यहा तक कि हमारी जाति में तो दहेज के अलावा भी भात जैसी परंपरा है और इसमें भी लगभग इतना ही धन लिया जाता है जितना दहेज में बल्कि इसे प्रतिष्ठा से जोड़कर देखा जाता है।<br />जो जानकारी आपने दी है उसमे संपत्ति के स्वामित्व को लेकर किए गए बदलाव सही है।राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28378199411773907482012-08-29T19:47:58.475+05:302012-08-29T19:47:58.475+05:30घूम फिर कर बात वही आ जाती है की सिर्फ कानून बनने स...घूम फिर कर बात वही आ जाती है की सिर्फ कानून बनने से क्या होता है सामाजिक समस्याओ को हम कानून बना कर नहीं रोक सकते है | यदि पुराने कानून की बात करे तो इसी ब्लॉग पर एक बहस में कहा गया की दहेज़ के ९९% केस झूठे होते है, साफ है लोग इन कानूनों पर विश्वास ही नहीं करते है | उस पर से आप ने जो रजिस्टेशन वाली बात कही है ये तो और भी मुश्किल खड़ा कर देगा बेटियों के पिता को कौन है जो अपने बेटी को दिये जा रहे समान का रजिस्टेशन करायेगा और जब नहीं कराया तो कोई दहेज़ का केस बनता है तो तो बेचारा ये साबित ही नहीं कर पायेगा की उसने मोटा दहेज़ दिया था उलटा पुलिस उसे ही परेशान करेगी की रजिस्टेशन न कर उसने गैर क़ानूनी काम किया है | कानून कोई भी वो यदि ठीक से लागु भर हो जाये देश में तो किसी बदलाव या नये कानून को बनाने की जरुरत ही ना पड़े |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9938335761848168122012-08-29T16:04:00.772+05:302012-08-29T16:04:00.772+05:30good start,good start,SANDEEP PANWARhttps://www.blogger.com/profile/06123246062111427832noreply@blogger.com