tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post2670859749598051989..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: आज कम से कम हम सब फक्र से कह सकते हैं स्त्री ही स्त्री का शोषण नहीं करतीरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-60031357425192625252008-09-04T21:55:00.000+05:302008-09-04T21:55:00.000+05:30@'हम सब फक्र से कह सकते हैं स्त्री ही स्त्री का शो...@'हम सब फक्र से कह सकते हैं स्त्री ही स्त्री का शोषण नहीं करती।'<BR/>इस विषय से सम्बंधित आज टाइम्स ऑफ़ इंडिया में एक ख़बर छपी है - 'Govt to review anti-dowry law'.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-3530295945897677922008-09-04T18:59:00.000+05:302008-09-04T18:59:00.000+05:30बहुत अच्छा काम किया। इस सन्दर्भ मे सभी उपयोगी लिंक...बहुत अच्छा काम किया। इस सन्दर्भ मे सभी उपयोगी लिंक्स एक साथ दे दिये हैं ।आभार !सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5328421005064820342008-09-04T17:12:00.000+05:302008-09-04T17:12:00.000+05:30समाज का चलन है कि कमजोर को हमेशा ताकतवर अपना निशा...समाज का चलन है कि कमजोर को हमेशा ताकतवर अपना निशाना बनाता है ..अब वह स्त्री हो या पुरूष ....जिसका जैसा दांव लगता है वह वैसा अपने को दिखा देता है |रंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-49944495056403410082008-09-04T16:30:00.000+05:302008-09-04T16:30:00.000+05:30आज जो स्थिति हिन्दी ब्लाग जगत में स्त्री की है, मु...आज जो स्थिति हिन्दी ब्लाग जगत में स्त्री की है, मुझे नही लगता की आप सब अनजान हैं, मगर फिर भी मुझे कहीं, यह आग नहीं दिखाई देती! ऐसा लगता है कि ...आप लोग नियति से समझौता कर चुकी हो !<BR/>आग का अर्थ यह मत समझियेगा कि आइये पुरुषों को ललकारते है और उनके ख़िलाफ़ कोई भी अच्छा विचार दिमाग में ही नही आए ! मगर..<BR/>----- सीने में आग होनी चाहिए, अन्याय के खिलाफ <BR/>------सीने में आग होने चाहिए शोषण के ख़िलाफ़ और खास तौर पर तब जब बहुमत आपके खिलाफ हो ...<BR/>------सीने में आग होनी चाहिए कि जब आपको कमजोर समझा जाए और आपके नेतृत्व ( यदि कोई यह झंडा उठाने की हिम्मत कर रहा हो ) पर ही लगातार चोट की जा रही हो !<BR/><BR/>आज हिन्दी ब्लाग जगत में जो कुछ लिखा जा रहा है उसे सुसंस्कृत लोग हेय द्रष्टि से देखते हैं, तो इसका कारण यह बिल्कुल नही की इंग्लिश में बहुत अच्छा कार्य हो रहा है बल्कि इसका कारण हिन्दी लिखने वाले बहुत कम हैं और बदकिस्मती से काफी लोग निरुद्देश्य तथा अनुपयुक्त लिखते हैं जिसको हर वर्ग पढने योग्य ही नही मानता !<BR/>और महिलाओं में, टेक्नोलाजी के प्रति शायद कम रुझान होने की वजह...कम्पयूटर पर कार्य कम करने की आदत !<BR/>नतीजा यहाँ पुरुषों का बहुमत ! सो आपकी आवाज कैसे सूनी जायेगी !<BR/>अगर दिल में जज्बा हो और ग़लत चीज का विरोध करना हो, तो आप जागरूकता पैदा करने में समर्थ हो सकती हैं , बशर्ते आपके पास नेतृत्व प्रदान करने की शक्ति हो !और अगर आप लोग यह नही कर पाये तो आप सिर्फ़ अपनी इसी स्थिति को ही भोगेंगी !<BR/>मुझे लगता है की यह स्थिति अभी लगभग २०-३० साल तक और रहेगी जबतक मेरी पीढी (लगभग ४०-५० बर्षीय) समाप्त नही हो जायेगी ! यह पीढी जिसको मैं जी रहा हूँ एक कुंठित पीढी है, हमने पूरे जीवन कुछ नही पाया और अब जब देश एक नएपन की और बढ़ रहा है, हमें अपनी कुंठा पूरी करने का जो साधन मिलता है, उसे झपटने की कोशिश करते है और करते रहेंगे ! <BR/>मगर हमारे बच्चे ( स्मृति जैसे ) इन लांछनों से सुरक्षित हो जायेंगे, आने वाला समय अच्छा होगा ऐसा मेरा विश्वास है ! निराशा की गर्त से बाहर निकल कर इन बुराइयों का मुकाबला करना ही होगा !<BR/>मगर ध्यान रहे इस कहानी में सिर्फ़ पुरूष ही दोषी हो और नारी बिल्कुल बेदाग़, ऐसा मेरा विश्वास नही है,Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40011940027654701392008-09-04T13:14:00.000+05:302008-09-04T13:14:00.000+05:30कई दिनों के बाद आना हुआ तो एक ही पोस्ट में इतने लि...कई दिनों के बाद आना हुआ तो एक ही पोस्ट में इतने लिंक देख कर लग रहा है कि काफी वक्त देना पड़ेगा इस पोस्ट को पढ़ने में...अनायास विचार जो मन मे आया कि जो कमज़ोर है उसका शोषण होगा ही.चाहे स्त्री स्त्री का शोषण करे या पुरुष पुरुष पर शोषण करे.....लेकिन आज शिक्षा पाकर आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ी स्त्री समाज में अपनी अलग पहचान बना रही है....मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64566450247314095512008-09-04T12:19:00.000+05:302008-09-04T12:19:00.000+05:30देखिये हम किसी भी हालत मे शास्त्री जी से ना तो ऐसे...देखिये हम किसी भी हालत मे शास्त्री जी से ना तो ऐसे विचारो के ज्ञानार्जन की उम्मीद करते थे .ना ही उनके इस प्रकार के बेहूदा विचारो से किसी भी प्रकार सहमत हो सकते. ये जानवरो से ज्यादा गये बीते तर्क या कुतर्क है. सारे जानवर नंगे रहते है पर बहुत कम आपको बलातकारी दिखाई देंगे. कुछ लोग जो मंदिर मे जाकर भी महिलाओ के अंगो को अपनी कपडा भेदी नजर से देखते है ( इस बारे मे महिलाओ की अनूभूती को आप नही समझ सकते) के लिये आप क्या कहे? शास्त्री जी ? खुशंवंत सिंह जैसे लेखक गुरुद्वारे मे जाकर आपनी इस आदत को लिख तक डालते है आप भी ठीक कुछ वैसा ही कर रहे है. ये आपकी नजरे है कि आप अपनी बिटिया को कम कपडो मे देख कर उसे ढंग से रहने को कहे या महेश भट्ट की तरह शादी कर लेता जैसी सोच से नवाजे .<BR/>अब बात महिलाओ के शोषण की - इस मामले मे हम पूरे सहमत है जी , महिलाये महिलाओ का ही नही पुरुषो का भी शोषण करती है ,लेकिन हम इस पर कोई टिप्पनी नही करेगे . हमे भी शाम को घर जाना होता है जी :)Arun Arorahttps://www.blogger.com/profile/14008981410776905608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28621320928215402372008-09-04T11:44:00.000+05:302008-09-04T11:44:00.000+05:30@ जितेन्द्र भगतसही है नारी को नारी बहुत सताती है, ...@ जितेन्द्र भगत<BR/>सही है नारी को नारी बहुत सताती है, बहुत ही नहीं, सब से अधिक सताती है। लेकिन वह तब जब वह नारी एक नारी के रूप मे अपनी हैसियत खो देती है और उस शोषण तंत्र का एक पुर्जा बन जाती है, जिस के विरुद्ध आज नारी संघर्ष के मैदान में है। वह खुद भी शोषित है और शोषण के तंत्र का पुर्जा बन कर नारी के शोषण में हिस्सेदार भी। <BR/>आप ने बालिका वधू सीरियल में देखा होगा। किस तरह दादी अपनी पौत्रवधू को सता-सता कर उसे भी उस शोषण तंत्र का हिस्सा बनाने का प्रयत्न करती है जिस का वह खुद एक हिस्सा है। या फिर शमा जी के ब्लाग The Light by a Lonely Path की पोस्टें पढ़ें।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-14198046932479018962008-09-04T11:37:00.000+05:302008-09-04T11:37:00.000+05:30जब कोई किसी निजाम को चुनौती देता है तो उसे इस बात ...जब कोई किसी निजाम को चुनौती देता है तो उसे इस बात के लिए पहले ही तैयार रहना चाहिए कि निजाम उस चुनौती को समाप्त करने का हर संभव प्रयत्न करेगा। <BR/><BR/>यह तो अभी आरंभ है, नारी को और नारी ब्लाग को अनेक चुनौतियों का मुकाबला करना होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-78112879852141467752008-09-04T11:30:00.000+05:302008-09-04T11:30:00.000+05:30बुरा न माने, ये एकतरफा विचार है-'हम सब फक्र से कह...बुरा न माने, ये एकतरफा विचार है-<BR/>'हम सब फक्र से कह सकते हैं स्त्री ही स्त्री का शोषण नहीं करती।'<BR/>फक्र मुझे भी होता, पर अनुभव इस बात पर सहमत होने नहीं देता। मेरी मॉं को मेरी दादी ने बहुत सताया। आस-पड़ोस में भी आए दिन ये सब सुनने को मिलता है। संभव है, अधिकांश लोग मेरे इस बात को अपनी बात भी मान लें। टी.वी पर भी इस शोषण को ही भुनाया जा रहा है(दर्शकों को झगड़े में असीम आनंद जो मिलता है)। तो सवाल मै पूछूँ कैसे, क्योंकि आपने इसी बात से रूटैंड ले लिया है कि स्त्री, स्त्री का शोषण ही नहीं करती।<BR/><BR/>(एक अनुरोध, इतने सारे लिंक होने पर पढ़ने में बाधा होती है। सभव हो सके तो एक पोस्ट पर ही सामग्री रखी जाए। मैं सकारात्मक रूप से चर्चा करना चाहता हूँ, किसी बात को अन्यथा न लें।)जितेन्द़ भगतhttps://www.blogger.com/profile/05422231552073966726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53903326821283586292008-09-04T11:02:00.000+05:302008-09-04T11:02:00.000+05:30Good.http://streevimarsh.blogspot.com/2008/09/blog...Good.<BR/><BR/><BR/>http://streevimarsh.blogspot.com/2008/09/blog-post.htmlKavita Vachaknaveehttps://www.blogger.com/profile/02037762229926074760noreply@blogger.com