tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1472511669325144288..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: रेप करेने वाले और रेप करवाने वाले दोनों किस्म के लोग पैदा हो गए हैरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72534430443646947162010-03-12T12:15:28.319+05:302010-03-12T12:15:28.319+05:30me kush ji se sahmat hoonme kush ji se sahmat hoonसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52498118767378282352009-11-26T22:50:56.115+05:302009-11-26T22:50:56.115+05:30हो सकता है कि महेन्द्र जी का कहने का वह मतलब न हो ...हो सकता है कि महेन्द्र जी का कहने का वह मतलब न हो जो रचना ने समझा. कहीं कोई ग़लतफ़हमी हो सकती है. परन्तु रेप जैसे संवेदनशील मुद्दे को उन्हें इतने हल्के में नहीं लेना चाहिये था. औरतों से सम्बन्धित मुद्दों पर लोग आमतौर से सहानुभूति से नहीं बल्कि व्यंग्य से प्रेरित होकर लिखते हैं. यह अनुचित और निन्दनीय है. हमारा उद्देश्य है इस प्रकार की मानसिकता और ऐसी भाषा का विरोध करना. मेरे ख्याल से रचना इसी ओर सबका ध्यान आकर्षित करना चाहती हैं.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-29348232395145261472009-01-17T15:15:00.000+05:302009-01-17T15:15:00.000+05:30me kush ji se sahmatme kush ji se sahmatmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76830056953653610382009-01-17T14:46:00.000+05:302009-01-17T14:46:00.000+05:30कुश नारी ब्लॉग पर जब ही आप किसी व्यक्तिगत कमेन्ट प...कुश नारी ब्लॉग पर जब ही आप किसी व्यक्तिगत कमेन्ट पर चर्चा देखे तो उसको व्यक्तिगत ना समझे . आज भी हमारा समाज ग्रसित हैं जेंडर बोस से और इस प्रकार के कमेन्ट को सार्वजनिक कर के नारी ब्लॉग केवल अपना कर्तव्य ही निभाता हैं . हम ग़लत भी हो सकते हैं पर फिर भी हम प्रयास जारी रखे गए की लोगो की सोच बदले . समाज मे मान्यताए व्यक्तिगत सोचो का ही नतीजा हैं और इस प्रकार की सोच नींदनिये हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63351285045340154692009-01-17T11:25:00.000+05:302009-01-17T11:25:00.000+05:30हम चर्चा किस पर कर रहे है.. रेप पर या रेप को लेकर ...हम चर्चा किस पर कर रहे है.. रेप पर या रेप को लेकर किसी व्यक्ति की सोच पर.. व्यक्तिगत सोच पर विवाद करने से अच्छा है.. इस प्रकार के घिनौने कृत्य रोकने के प्रयासो पर बात की जाए...कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42664346825958967952009-01-17T10:32:00.000+05:302009-01-17T10:32:00.000+05:30महेंद्र जी ने दो बातें कही ( या मेरी कम अकल ने दो ...महेंद्र जी ने दो बातें कही ( या मेरी कम अकल ने दो बातें ही पढ़ी) बलात्कार की वजह और यौन शिक्षा. वजह में गहराई है नि:संदेह बलात्कार की वजह पर गौर करना ही होगा, समानता में हम अधिकार देते हैं की आप कहीं किसी से भी मन के मुताबिक अपनी जरूरतें सहयोग सी पुरी करने मगर वो जगह अकुन सी हो इसका निर्धारण आपको जरुर करना होगा, जब आज के समाज में छोटी बच्चियाँ घरों में सुरक्षित नही हैं तो...........<BR/><BR/>यौन शिक्षा के मामले में महेंद्र जी से सहमत नही हुआ जा सकता, <BR/><BR/>बाक़ी तथ्यों को नकारात्मक रूप से लेना हो तो कोई क्या करे.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32008638339000076342009-01-17T10:20:00.000+05:302009-01-17T10:20:00.000+05:30मुझे लगता है कि महेंद्र जी का मन्तव्य निश्चय ही ऐस...मुझे लगता है कि महेंद्र जी का मन्तव्य निश्चय ही ऐसा नहीं रहा होगा। परन्तु स्थिति तो वही स्पष्ट कर सकते हैं।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1417951770559006232009-01-17T02:12:00.000+05:302009-01-17T02:12:00.000+05:30यदि टिप्पणीकार के कहने का तात्पर्य वही था जो हमें ...यदि टिप्पणीकार के कहने का तात्पर्य वही था जो हमें समझ आ रहा है तो बहुत दुख की बात है।<BR/>विनोद श्रीवास्तव जी, पुरुष का भी बलात्कार होता है परन्तु बहुत कम। आजकल यह भी हो रहा है। हाल ही में इस विषय में समाचार पत्र में आँकड़े भी दिए गए थे।<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64949175023072595822009-01-16T23:45:00.000+05:302009-01-16T23:45:00.000+05:30समयचक्र.. की टिप्पणी को जिस तरह से परिभाषित किया ज...समयचक्र.. की टिप्पणी को जिस तरह से परिभाषित किया जा रहा है, वैसा तो कोई सोच भी नहीं सकता। मसिजीवी जी की बात सही लगती है। रेप करवाने वाले से मतलब वैसे लोग जो इस घृणित कृत्य को अंजाम देने में सहयोगी या उत्प्रेरक की भूमिका निभाते हैं। कई बार पंचायतें भी इस तरह का फरमान सुनाती हैं। कई गांवों में आपसी अदावत में इस कुकृत्य अंजाम दिलवाया जाता है। बाकी महेंद्र मिश्रा जी इस गलतफहमी को खुद ही दूर करें तो ज्यादा अच्छा।पुरुषोत्तम कुमारhttps://www.blogger.com/profile/14737475432350019352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73394025019503948462009-01-16T23:29:00.000+05:302009-01-16T23:29:00.000+05:30एक पुरूष जब मन चाहे कपड़े पहन सकता है , घूम सकता ह...एक पुरूष जब मन चाहे कपड़े पहन सकता है , घूम सकता है , देर रात बाहर निकल सकता है , चाहे अकेला या दोस्तों के साथ ....तो फिर एक स्त्री , लड़की क्यों नही .....ये तो एक सोच का नजरिया है कि स्त्री को ये नही करना चाहिए वो नही करना चाहिए...अरे भाई आख़िर दोनों बराबरी पर क्यों नही ......सबको आज़ादी से जीने का हक़ है ....अगर नही है तो इसका अर्थ यही है कि इस समाज में स्त्री पर पाबंदी रखना चाहते हैं ...और ख़ुद जो चाहे वो करना चाहते हैं ...चाहे वो सही हो या ग़लत .....पुरूष अपनी मानसिकता बदल क्यों नही पातेअनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-18975263118671069482009-01-16T23:26:00.000+05:302009-01-16T23:26:00.000+05:30This comment has been removed by the author.अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91374854672382183162009-01-16T23:25:00.000+05:302009-01-16T23:25:00.000+05:30अगर ऐसा कुछ लोग कह भी रहें तो इनकी सख्या बहुत कम ...अगर ऐसा कुछ लोग कह भी रहें तो इनकी सख्या बहुत कम है। majority ऐसा नहीं सोचती। हमें majority की सोच से सरोकार रखना चाहिये।sshttps://www.blogger.com/profile/10746526495871896780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23553772522306970202009-01-16T23:13:00.000+05:302009-01-16T23:13:00.000+05:30एक पुरूष होने के नाते मुझे ए लिखते हुए झिझक हो रही...एक पुरूष होने के नाते मुझे ए लिखते हुए झिझक हो रही है और शर्म भी आ रही है कि पूरी दुनिया में बलात्कार स्त्रियों के साथ सिर्फ़ इसी लिए होता है क्योंकि एक पुरूष के साथ यह नही हो सकता है. तथाकथित सभ्य देश भी इस समस्या से अछूते नही हैं. क्या यह कुकृत्य कुछ वहसी मानसिकता वालों के अलावा कोई और कर सकता है ? ऐसे में क्या पूरे पुरूष समाज को कटघरे में खड़ा किया जा सकता है ? देश के हर 'आदमी' की मनोदसा की जांच करके क्या उसका 'समय पूर्व' इलाज संभव है? क्या सावधानी बरत कर सारी तो नही लेकिन बहुत सारी घटनाओं को होने से रोका नही जा सकता ?विनोद श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03047825335357886599noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69726054755096219732009-01-16T22:31:00.000+05:302009-01-16T22:31:00.000+05:30मसिजीवी जी रेप को करवाने वाले जिस सन्दर्भ मे आप कह...मसिजीवी जी रेप को करवाने वाले जिस सन्दर्भ मे आप कह रहे हैं , केवल करवाते नहीं हैं ख़ुद भी करते हैं . लेकिन मुझे ये कमेन्ट पढ़ कर बिल्कुल ऐसा नहीं महसूस हुआ .ताली बजा कर तमाशा देखने वाले केवल फिल्मो तक ही सिमित हैं . हमारे समाज मे रेप नहीं गैंग रेप होते हैं और फिर भी दोष स्त्री को ही दिया जाता हैं . नॉएडा गैंग रेप मे कहा जा रहा हैं की अगर दस आदमी ने रेप किया हैं तो वो शर्म से क्यूँ नहीं डूब मारीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-56865423089221647602009-01-16T22:22:00.000+05:302009-01-16T22:22:00.000+05:30पूरी टिप्पणी में कम से कम प्रथम दृष्टया तो ये लग...पूरी टिप्पणी में कम से कम प्रथम दृष्टया तो ये लग रहा है कि 'रेप करवाना' को प्रेरणार्थक क्रिया की तरह इस्तेमाल किया गया है संभवत जिसका अर्थ रेप को बढ़ावा देने वाले लागों के रूप में हो।<BR/><BR/>हालांकि इसी टिप्पणी में यौन शिक्षा को जिस तरह बलातकारों के लिए दोषी करार दिया गया है वह अस्वीकार्य जान पड़ता है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.com