tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1369409549250376259..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: धर्म - माता ?? धर्म - पति ???रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54652122136744847952009-08-22T11:59:56.009+05:302009-08-22T11:59:56.009+05:30dharm patni shabad hota hai oor yh vyakarn ke hisa...dharm patni shabad hota hai oor yh vyakarn ke hisab se bikul thik hai .iska pulling shabd dharm pati hi hota hai . aaj kal dharm pati likhana bandh ho gya hai . nari ko ijjat dete huai uske sath dham patni aaj bhi chal rha hai .aap ka parsan achcha hai .aise vichar man me jagna svnm v samaj dono ko jagata gai .kabhi samay laga to me apne blog adhura darpan pr vistsr se likhuga . aapka utarv miljayega .<br /> dhanyavadDr.Adhurahttps://www.blogger.com/profile/00694900449853395636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-45716879739836224912009-08-17T17:40:28.579+05:302009-08-17T17:40:28.579+05:30This post is toung twister for me.. I am puzzled.....This post is toung twister for me.. I am puzzled... :-oPDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-9911225259875545132009-08-11T20:47:26.633+05:302009-08-11T20:47:26.633+05:30चार पुरुषार्थों में प्रथम पुरुषार्थ धर्म है..जिसको...चार पुरुषार्थों में प्रथम पुरुषार्थ धर्म है..जिसको सिद्ध करने के लिए पत्नी का साथ होना अनिवार्य है..श्री राम ने यज्ञ के लिए माता सीता न होने पर उसकी स्वर्ण प्रतिमा को अपने साथ बिठाना पड़ा.अन्य तीन पुरुषार्थों के लिए पत्नी की आवश्यकता नहीं है..अर्थार्जन व्यक्तिगत होता है..काम का पालन दूसरी पत्नियों या गणिका से किया जा सकता है..और मोक्ष तो नितांत व्यक्तिगत है..पर यह बात पुरुष प्रधानता के साथ पढ़ी जानी चाहिए..अर्धनारीश्वर के विग्रह में वामा शक्ति रूप है..साथ ही ये पुरुष प्रधान समाज में पुरुष के हर कर्तव्य पालन के आधे श्रेय का हक़ नारी को देते है..विपरीत रूप से यह नारी पर लागू नहीं होता है..वह बिना पति को साथ लिए धर्म का पालन कर सकती है..<br />फिर दिनेश द्विवेदी जी की राय से सहमत हुआ जा सकता है..बहुपति प्रथा अप्रचलित हो जाने से धर्म पति शब्द अस्तित्व में न रह सका..<br />बहुत विचारोत्तेजक प्रश्न लगा..!प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88623420510100847202009-08-11T06:34:55.040+05:302009-08-11T06:34:55.040+05:30दिनेशराय जी से पूरी सहमति है।दिनेशराय जी से पूरी सहमति है।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-27963813078529647962009-08-10T14:07:37.733+05:302009-08-10T14:07:37.733+05:30रचना
आप के प्रश्न बहुत रोचक होते हैं और इस बार
द...रचना <br />आप के प्रश्न बहुत रोचक होते हैं और इस बार <br />दिनेश जी ने काफी अच्छा जवाब अपने ब्लॉग पर<br />दिया हैं . अगर कम पंक्तियों मे कहूँ तो पुरुष से <br />धर्म या धार्मिक यानी मोरल की उम्मीद नहीं <br />करनी चाहिये . और इस पोस्ट पर जो कमेन्ट<br />आये हैं ख़ास अगर विवेक जी और उनके मित्र<br />कोन्विनिएन्ति जी के वो मजाक मे एक और <br />विसंगती की और इशारा कर रहे है . पुरुष हैं <br />सो हर बात मजाक हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-12521934428149456882009-08-10T05:03:57.397+05:302009-08-10T05:03:57.397+05:30धर्म पति ...हाहाहा ...कुछ भी कहो ...यह संबोधन मजेद...धर्म पति ...हाहाहा ...कुछ भी कहो ...यह संबोधन मजेदार लगेगा ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-81843771728984986782009-08-09T20:58:28.506+05:302009-08-09T20:58:28.506+05:30vivek se sahmat... is baat ke liye bhi aandolan ch...vivek se sahmat... is baat ke liye bhi aandolan chalna chahiyeab inconvinientinoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79615981525239249742009-08-09T20:36:54.453+05:302009-08-09T20:36:54.453+05:30और हम कहते हैं कि जब कॉलबेल बजती है तो यह क्यों बो...और हम कहते हैं कि जब कॉलबेल बजती है तो यह क्यों बोला जाता है कि ,"देखो, कौन आया है ?"<br /><br />यह भी तो कह सकते हैं,"देखो, कौन आयी है ?"विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-73651564844784200942009-08-09T20:09:13.360+05:302009-08-09T20:09:13.360+05:30dwivedi ji ne sahi samjhaya hai.
vaise mujhe lagta...dwivedi ji ne sahi samjhaya hai.<br />vaise mujhe lagta hai DHARMPATI shabd nahi hai, isliye aapatti hai. agar ye shabd hota to bhi aapatti hoti...<br />kisi ne mujhse poochha tha : Bharat desh ka naam raja Bharat ke naam par huwa, to fir ise BHARAT MATA kyo kaha jata hai?<br />kal ko NARIYO ko isi par aapatti na hone lag jaaye?????haal-ahwaalhttps://www.blogger.com/profile/11229563377579068944noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-93030582996912702009-08-09T17:55:06.865+05:302009-08-09T17:55:06.865+05:30शानदार पोस्ट... बधाई।शानदार पोस्ट... बधाई।फ़िरदौस ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/09716330130297518352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20718298351302140022009-08-09T16:39:48.502+05:302009-08-09T16:39:48.502+05:30शब्दों का निर्माण सदियों में होता है। समाज विकास क...शब्दों का निर्माण सदियों में होता है। समाज विकास की विभिन्न अवस्थाओं और उपयोग से उस के अर्थ बदलते हैं। धर्मपति शब्द का प्रयोग क्यूँ नहीं होता इस का जवाब इतिहास में नारी की स्थिति से निर्धारित होगा। वर्तमान स्थिति से नहीं। इतिहास में विशेष रुप से सामंती काल में नारी को सम्पत्ति और वस्तु के रूप में ही देखा गया है। उसी के अनुरूप शब्दों के अर्थ बने हैं। हम सहोदर या रिश्ते के भाई बहनों के अतिरिक्त यदि किसी को राखी बांध कर भाई या बहन बनाते हैं तो वे धर्मभाई या धर्मबहन कहलाते हैं। यदि धर्मपति शब्द को इस अर्थ में देखें तो आप खुद अनुमान लगाएँ कि उस का क्या परिणाम होगा? <br />इतिहास में स्त्री को एकाधिक पति रखने की छूट रही है। लेकिन सद्य इतिहास में एकाधिक पतियों की परंपरा लुप्तप्रायः हो गई और हिन्दी भाषी क्षेत्रों में नहीं रही। इस कारण से एक प्रधान और अन्य धर्मपति जैसी स्थिति तो नहीं ही रही है। लेकिन वर्षों से यह परंपरा रही कि पति तो एक से अधिक पत्नियाँ या उपपत्नियाँ रख सकता था। लेकिन स्त्री को यह अधिकार नहीं था। इस कारण उस का तो एक ही पति था। <br />आज जब स्त्रियाँ कानूनी रूप से बराबरी का अधिकार प्राप्त कर चुकी हैं और व्यवहार में इस ओर बढ़ रही हैं तब धर्मपत्नी शब्द अपनी अर्थवत्ता खो चुका है। आज धर्मपत्नी शब्द का प्रयोग न्यून होता जा रहा है। कुछ काल के पश्चात यह केवल पुस्तकों में रह जाने वाला है। अब केवल पति और पत्नी शब्दों का प्रचलन ही पर्याप्त होगा।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-19424798160788328112009-08-09T12:11:19.358+05:302009-08-09T12:11:19.358+05:30अद्वेत भूल सुधार दी हैंअद्वेत भूल सुधार दी हैंAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89700011780840686632009-08-09T11:00:07.965+05:302009-08-09T11:00:07.965+05:30पति को कभी पत्नी धर्म सम्मत नहीं मानती शायद। वह उस...पति को कभी पत्नी धर्म सम्मत नहीं मानती शायद। वह उसे अधर्मी ही कहती होगी। पत्नी के आगे धर्म लगा कर शायद पुरुषों को कर्त्तव्यबोध याद दिलाया गया और स्त्री को धर्म की तरह ही आदरणीय बताया गया। वैसे स्त्रियों के लिए पत्नी धर्म की तरह पुरुषों के लिए पति धर्म है। एक बात और धर्म पति को धर्म पत्नी का विलोम तो मत कहें, ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, व्याकरण के हिसाब से भी कहें तो धर्म पत्नी का पुलिंग धर्म पति कह सकती हैं। वैसे आपके विचार अच्छे हैं। बधाई।adwethttps://www.blogger.com/profile/06211475970652338527noreply@blogger.com