tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1304201981261002357..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: हम कब सुधारेंगे?रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91597457667261730332008-07-10T21:01:00.000+05:302008-07-10T21:01:00.000+05:30bahut sahi prashan hai ila ji kab tak ladkiyaon ko...bahut sahi prashan hai ila ji kab tak ladkiyaon ko un maapdando par parkha jaayega, ise khatam hona hhi hoga.नीलिमा सुखीजा अरोड़ाhttps://www.blogger.com/profile/14754898614595529685noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90419631404120351962008-07-10T14:26:00.000+05:302008-07-10T14:26:00.000+05:30एक बहुत सशक्त पोस्टएक बहुत सशक्त पोस्टAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-51294289175830603302008-07-10T12:02:00.000+05:302008-07-10T12:02:00.000+05:30मै आपकी बात से पूरी तरह सहमत नही हूँ। आपने सिर्फ...मै आपकी बात से पूरी तरह सहमत नही हूँ। आपने सिर्फ़ एकतरफा दृष्टिकोण ही प्रस्तुत किया है। मैंने कई ऐसी लड़कियों को देखा है और उनके माता पिता को भी जिन्होंने लड़को में कमी को या किसी अन्य बात से रिश्ते को ख़ुद ही तोड़ दिया। कारण भी मामूली होते है, जैसे रंग काला है, माँ बड़ी तेज लगती है, माँ का भक्त लगता है, वगैरा वगैरा। तो सिर्फ़ लड़को को दोष देना ठीक नही है, अपवाद हर जगह होते है। कई लड़को ने उन लड़कियों को सहारा दिया है जो शारीरिक रूप से अक्षम थीं, बेसहारा थीं और इसी तरह से लड़कियों ने भी यही काम किया है।सचिन्द्र रावhttps://www.blogger.com/profile/12992860820509761986noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31241894824692026792008-07-10T10:11:00.000+05:302008-07-10T10:11:00.000+05:30ये लोग ऐसे नही सुधरेंगे इनलोगों ने कसम खा रखी है, ...ये लोग ऐसे नही सुधरेंगे इनलोगों ने कसम खा रखी है, क्यूँकि इन्हे शर्म ही नही है. शर्म, लाज़ - लिहाज सब गंदे नाली के पानी में धोकर पी चुके हें, और इसके लिए गंगा भी बहने से भागेगी! इसलिए अब इनका इलाज़ बस मनप्रीत जैसी बालाएँ ही कर सकती है! बस बहुत हो गया, बेशरमों ने हद की सीमा पार कर रखी है. <BR/>अब ऐसों के लिए ये पोस्ट बिल्कुल सही है. एक दो मनप्रीत को बुलाई जाए और इनकी धुलाई करवाई जाए!! <BR/><BR/>http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2008/07/blog-post_2609.html<BR/><BR/>Lekin jo hota hai achhe ke liye hota hai....wo नालायक uske लायक hi nahi.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58654139599785456932008-07-10T09:56:00.001+05:302008-07-10T09:56:00.001+05:30aaj ke dino mein bhi aisi soch,chasme ke liye rish...aaj ke dino mein bhi aisi soch,chasme ke liye rishta toda,shayad itni imandar ladki unhe kahi na milti,bahut sashakta baatein kahi hai aapne ilaji, aur raha ladki ke paise lene ka sawal,kisi aur ki kya kahun hamare ghar ke log itne padhe likhe achhe post par hai magar hamare paise ko haath na lagaye,chahe bahar se doston se le musibat ke waqt,ab bhala ye bhi koi baat huyi ladki ki kamayi lenge to narak ka rasta khulta hai kehte hai,haaye kehte hum,bas vivashta se dekhte rahe.aaj bhi bahut si sudharna hone ki jarurat hai abhi,vicharon aur aacharan mein bhi.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32339296813845384862008-07-10T09:56:00.000+05:302008-07-10T09:56:00.000+05:30इलाजी, आपकी मौसेरी बहन और पूरे परिवार को तो खुश हो...इलाजी, आपकी मौसेरी बहन और पूरे परिवार को तो खुश होना चाहिए कि ऐसे नालायक लड़के से रिश्ता टूट गया, ऐसी हल्की सोच वाले रिश्ते ज़िन्दगीभर का बोझ बन जाते हैं.. और समाज..उसे तो हम अपनी सोच से ही बदल सकते हैं..मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71380600222124228292008-07-10T09:14:00.000+05:302008-07-10T09:14:00.000+05:30सही कहा आपने इला आज भी यह हालात बदले नही हैं ..अभी...सही कहा आपने इला आज भी यह हालात बदले नही हैं ..अभी इन्ही हालत से मैं गुजर रही हूँ की कब तक लड़की को घर बिठाए रखोगी दो दो बेटियाँ है तुम्हारी कुछ सोचो भाई .आदि आदि अभी वो मात्र २४ साल की है पर यह समाज अपने को जायदा चिंतित दिखाता है ...कि अभी से शुरुआत नही की तो बस न जाने क्या हो जायेगा ...पर बदलाव अब जरुरी है और कोई लड़की यूँ अब जबरदस्ती शादी के बंधन में बंधना भी नही चाहती है ..ईश्वर उन लोगो को सदबुद्धी दे जो आज कल के समय में अपनी अक्ल का चश्मा उतार कर न जाने कौन से चश्मे से दुनिया को देख रहे हैं ..मुझे तरस आता है ऐसे लोगो की सोच पररंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90085210060999565952008-07-10T08:26:00.000+05:302008-07-10T08:26:00.000+05:30सशक्त अभिव्यक्ति। समाज को बदलने के लिए लड़कियों और...सशक्त अभिव्यक्ति। समाज को बदलने के लिए लड़कियों और महिलाओं को ही आगे आना होगा दृढ़ संकल्प के साथ। व्यक्तिगत रूप से विचार के स्तर पर बहुत बदलाव है। लेकिन जैसे ही हम परिवार और समाज में पहुँचते हैं क्यों कमजोर पड़ जाते हैं? शायद जिन लोगों से हम सब से अधिक प्यार करते हैं उन से किसी भी छोटे से छोटे संघर्ष में नहीं पड़ना चाहते। विचारों से काम नहीं चलेगा। इन्हें कार्यरूप में लाने के लिए संगठित हो कर नई राह पर चलने की सामूहिक दृढ़ता प्रदर्शित करनी होगी। समाज का पुराना ढांचा जर्जर हो चुका है, उसे बस एक धक्के की जरूरत है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com