tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post1274779798632847576..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: नारी उद्धार सारे व्रत, तपस्या सिर्फ पुरुषों के लिए ??रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-59805087544143686292010-01-07T11:28:09.859+05:302010-01-07T11:28:09.859+05:30ये सभी व्रत उपवास कर्म कांड हैं. धर्म के हिस्से .इ...ये सभी व्रत उपवास कर्म कांड हैं. धर्म के हिस्से .इन्हें ख़त्म करना है .बेटियों के लिए भी होने लगे तो इन्हीं परम्पराओं को बढ़ावा देना ही होगा .उस से अच्छा यह है की समानता की नयी परम्पराएँ अपनाएं. जैसेकी जन्म दिन समान रूप से मनाया जा सकता है .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26006499326125940192010-01-06T20:42:13.967+05:302010-01-06T20:42:13.967+05:30अगर आप किसी भी बात को इस लिये मानते हैं क्युकी सब ...अगर आप किसी भी बात को इस लिये मानते हैं क्युकी सब मान रहे हैं तो आप एक भेड़ चाल मे चल रहे हैं । अगर व्रत उपवास मे आप की ख़ुद की आस्था हैं तो आप को जरुर करना चाहिये पर इस लिये नहीं क्युकी सब करते हैं । नारियां ख़ुद ये सब करती है और करवाती हैं । अपनी अपनी विल पावर स्ट्रोंग करे ताकि आप को जो अच्छा नहीं लगता उसको आप ना कह सके । पुरूष हमेशा से अपनी पसंद को मानता हैं और उसकी पसंद उसकी अपनी संबलता हैं अगर नारी की कोई पसंद ही नहीं हैं या नहीं हो पाती हैं तो नारी को अपनी ताकत को जगाना होगाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-45006428746073174382010-01-06T18:52:25.551+05:302010-01-06T18:52:25.551+05:30hm... not fair... mummiyaan bhi vrat karengi to be...hm... not fair... mummiyaan bhi vrat karengi to bete ke salamati ke liye.. maano bitiya ko to jarurat hi nahi salamati ki.. ya fir shayad bitiya ki hi jarurat nahin logon ko... !<br />haalaat badle honge par soch jane kab badlegi!Rashmi Swaroophttps://www.blogger.com/profile/14615276585404778659noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58834106944356777932010-01-06T18:50:33.505+05:302010-01-06T18:50:33.505+05:30हमारे समाज मेंकोई भी नै बहू आती है तो उसे सभी लोग ...हमारे समाज मेंकोई भी नै बहू आती है तो उसे सभी लोग अशेर्वाद देते है पुत्रवती भव |और वो भी बचपन से अपने परिवार में अपने भाइयो अपने पिता के लिए ही अपने घर कि महिलाओ को व्रत करते देखती है तो उसके जड़ मूल में यह भव बैठ जाता है और वाह उसका अनुसरण करने लगती है \अब इन व्रतो का कितना प्रभाव ,कितना असर होता है ये तो कहना मुश्किल है क्योकि सबकी परिस्थिति अलग अलग होती है |हाँ अगर व्रत नहीं करना है तो महिलाओ को खुद इस पूर्वाग्रह को तोडना होगा और कई महिलाये ऐसे कदम उठा भी चुकी है |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70692398587020021022010-01-06T18:21:49.479+05:302010-01-06T18:21:49.479+05:30bahut accha prayas hai. hum agar koi yogdan kar sa...bahut accha prayas hai. hum agar koi yogdan kar sake to hame jaroor batayeramhttp://bharatclick.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66454430581872752442010-01-06T12:59:25.718+05:302010-01-06T12:59:25.718+05:30प्रश्न विचारणीय है लेकिन अब समय के साथ साथ इसके मू...प्रश्न विचारणीय है लेकिन अब समय के साथ साथ इसके मूल रूप में सुधर होने लगा है. आज का युवा वर्ग इसका विरोधी है फिर भी करने की अनिवार्यता को अपने अनुकूल ढलने की सुविधा को भी हम अपना रहे हैं. पहले के समान करावा चौथ में निर्जला व्रत रहना , अब कम हो रहा है. इसको लड़कियाँ और महिलायें दिन में चाय और फल लेकर भी कर रही हैं. सवाल इस बात का है की हम पूर्वाग्रह से ग्रसित न हों. जहाँ तक पति के दीर्घायु होने का प्रश्न है, तो मेरी माँ की उम्र की सभी महिलायें निर्जल ही रहती रही जीवन भर फिर भी पति वियोग को प्राप्त किया. अब जो व्रत कर रहीं है वे सदा सौभाग्यवती होने की लालसा तो रखती हैं लेकिन व्रत का इससे कोई गहरा सम्बन्ध है यह साबित नहीं होता है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-26484822601287758942010-01-06T07:13:55.856+05:302010-01-06T07:13:55.856+05:30जिस प्रकार कि विवाह और परिवार मूलक व्यवस्था में हम...जिस प्रकार कि विवाह और परिवार मूलक व्यवस्था में हम जीए और जी रहे हैं उसमे हमारी अधिकतम मानसिकता भय द्वारा निर्मित और संचालित होती है ..सुरक्षा के घेरे निर्मित करना उसमें कोकून कि तरह अपने को बंद कर लेना हमारी नियति बना दी गई है.. इसी भय जनित व्यवस्था के चलते यह विभाजन और अन्याय फलता फूलता है ... तमाम बुराइयों से मुक्त होना है तो मूल पर प्रहार करो .. परिवार का विकल्प देखो ..एक ऐसा विकल्प जिसमे दोस्ती तो हो पर बंधन नहीं .. जहाँ हिंसामुक्त काम यानि प्रेम को विकसित होने का अवसर मिले .. यह बहुत जटिल प्रशन हैं .. इनके इतिहास में उतरने कि जरूरत नहीं अब तो क्या होना चाहिए इस पर ही चिंतन चलना चाहिएश्याम जुनेजा https://www.blogger.com/profile/11410693251523370597noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-85533311583261937962010-01-06T00:38:56.524+05:302010-01-06T00:38:56.524+05:30vandana ji ki baton se main bhi sahmat hoon ,wo sa...vandana ji ki baton se main bhi sahmat hoon ,wo sahi kah rahi hai ,aesa hi hota hai ,sabhi bhar nari ke kandho par ,phir bhi har galat baton ke liye jimmedar bhi wahi thahrai jaati hai ,umda postज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86447486077343784722010-01-05T23:29:18.222+05:302010-01-05T23:29:18.222+05:30हां ये विचारणीय मुद्दा है. मुझे हमेशा ऐसे व्रतों प...हां ये विचारणीय मुद्दा है. मुझे हमेशा ऐसे व्रतों पर आपत्ति रही है. ये रीति-रिवाज़ तब तक ज़िन्दा रहेंगे, जब तक महिलायें इन्हें पोसती रहेंगीं. पुरुषों की तरफ से इन व्रतों को करने की अनिवार्यता न के बराबर देखी गई है, जबकि महिलायें ही इन्हें करने पर ज़ोर देतीं हैं और यदि कोई महिला इन व्रतों को नहीं करती है तो उसे हिकारत से देखतीं हैं. तो पहल महिलाओं को ही करनी होगी.वन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82424601947912886832010-01-05T22:29:10.173+05:302010-01-05T22:29:10.173+05:30ye jo purani parampara chali aa rahi ha iske piche...ye jo purani parampara chali aa rahi ha iske piche kyu ha kya ha sochne se behtar ha ki agar ye hme thik aur tarkik nhi lagti toh hme ise chod dena chahiye..bekar ki behes me kya padna...nahi lagta thik nahi karenge... kyu de jawab kisiko...???aapke prashn jayaz ha....शबनम खानhttps://www.blogger.com/profile/13527939392236056369noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-74816845118412474692010-01-05T22:01:44.526+05:302010-01-05T22:01:44.526+05:30हमारा समाज पुरुष प्रधान है जिसमें नारी को निचला दर...हमारा समाज पुरुष प्रधान है जिसमें नारी को निचला दर्जा दिया गया है इसमें कोई दो राय नहीं इसलिए बेटियों या पत्नियों के लिए भी व्रत रखने की परंपरा हो तो अच्छी बात है लेकिन क्या व्रत रखने से नारी उद्धार हो जायेगा? रही बात रीती-रिवाज़ की तो वो आजकल रहे ही कहाँ हैं?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-27725308393319053682010-01-05T21:25:51.222+05:302010-01-05T21:25:51.222+05:30पुरुष के लिये भी कोई व्रत सुझाये . बदला देना ही चह...पुरुष के लिये भी कोई व्रत सुझाये . बदला देना ही चहिये . <br />वर्षो वनो मे भट्क कर मालूम होता है <br />हकीकत मे सोने का हिरन नही होता हैdhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह }https://www.blogger.com/profile/06395171177281547201noreply@blogger.com