August 15, 2016

मैटरनिटी लीव को गलत ढंग से परिभाषित करके नारी को एक बार फिर केवल और केवल " माँ बनने में सक्षम " बना दिया गया हैं।

मैटरनिटी लीव २६ हफ्ते की कर दी गयी हैं।  अच्छा हैं जच्चा और बच्चा को आराम मिलेगा।  लेकिन जब देश के प्रधान मंत्री लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराते हुए कहते हैं की मैटरनिटी लीव इस लिये २६ हफ्ते कर दी गयी हैं ताकि माँ बेटे को पाल सके तो लगता हैं हम मानसिक रूप से अभी अभी कितने पिछड़े हैं।

मैटरनिटी लीव का मकसद क्या केवल यही हैं की बच्चो को पाला जाए ?
हम कब तक माँ की सेहत पर कभी बात नहीं करते ?

क्या नारी का बच्चे को जनम देना और उसको पालना मात्र ही इस लीव का उद्देश्य हैं ?

शायद नहीं
जच्चा को आराम की सख्त जरुरत होती हैं , सही समय पर सही पोष्टिक भोजन करना जच्चा के लिये बेहद जरुरी हैं ताकि जब वो काम पर वापस जाए उसके शरीर मए ताकत हो काम और माँ के कर्त्तव्य को निभाने की।

मैटरनिटी लीव को गलत ढंग से परिभाषित करके नारी को एक बार फिर केवल और केवल " माँ बनने में सक्षम " बना दिया गया हैं।

August 11, 2016

इस फैसले से काफी रुके हुए डाइवोर्स केसेस पर जल्दी ही फैसला संभव हैं।

आज मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम फैसला लिया जिसका सिंपल शब्दो में अर्थ हैं कि कोर्ट को डाइवोर्स के केस में ये पूछने का कोई अधिकार ही नहीं हैं कि डाइवोर्स क्यों चाहिये।  अगर किसी विवाहित जोडें ने म्यूच्यूअल कंसेंट से डाइवोर्स की मांग की हैं तो उनको साथ रहने के लिये मजबूर नहीं किया जा सकता हैं और ना ही उनसे कारण पूछा जा सकता हैं।  कोर्ट का अधिकार केवल और केवल क़ानूनी कार्यवाही तक ही सिमित है।


http://timesofindia.indiatimes.com/If-couple-wants-divorce-courts-cannot-ask-for-reasons-says-HC/articleshow/53644037.cms?


इस फैसले को अगर सही अर्थ में समझा जाए तो विवाह और डाइवोर्स एक पर्सनल मैटर हैं किसी भी कपल / दम्पति के लिये।  किसी को भी उनको साथ रहने या अलग होने के लिये राय देने का अधिकार नहीं हैं।  अगर शादी किसी भी कारण से टूट गयी हैं और आपस में साथ रहना संभव नहीं हैं उस केस में अलग होने के लिये कोई "ठोस" कारण हो और उसको बताया या प्रूव किया जाए ये जरुरी नहीं हैं कानूनन।

इस फैसले से काफी रुके हुए डाइवोर्स केसेस पर जल्दी ही फैसला संभव हैं।
और दूसरी अहम बात इस से फॅमिली कोर्ट की भी महता कम होगी।

हमारे समाज में "फॅमिली" को लेकर बड़ी भ्रान्ति हैं जितनी जल्दी दूर हो उतना बेहतर