November 28, 2013

हम तो उनकी बात सुन कर डर ही गए , क्या कर सकते हैं वो देवता जो हैं , भारतीये नारी कि पूजा करते हैं

चलिये कुछ और बात करते हैं
क्या तरुण तेजपाल कि बात करना जरुरी हैं
ऐसा इन्होने किया भी क्या हैं
एक फ़्लर्ट कर रहा था
अब इसमे शोषण जैसा , रेप जैसा क्या हुआ
सहज सहमति  भी कोई चीज़ हैं
और ऐसा हुआ भी क्या था

और फिर जब माफ़ी मांग ली गयी तो बात तो अपने आप ही ख़तम हो गयी और भारतीये समाज में तो नारी को देवी मानते हैं और कहा जाता हैं जहां नारी कि पूजा होती हैं वहाँ देवता बसते हैं।

यानि इस तरह तो भारत में रहने वाला हर पुरुष देवता हुआ क्युकी नारी को देवी का दर्ज दे कर देवता वो बन गया

तो देवता गलती कैसे कर सकता हैं

वो तो किसी भी देवी के साथ कुछ भी कर सकता हैं क्युकी ऐसा कुछ भी करके वो उसका "सम्मान " बढ़ाता हैं।
तो चलिये इस प्रकरण में कुछ नहीं हैं बेकार हम  सब समय व्यर्थ नष्ट कर रहे हैं ये तो सब काम काजी महिला के चोचले हैं और इन चोचलों के चलते एक "समाजवादी देवता" ने कल ही कहा हैं महिला को अब नौकरी मिलना मुश्किल हैं http://ibnlive.in.com/news/due-to-tejpal-case-companies-scared-of-hiring-women-naresh-agarwal/436417-37-64.html

हम तो उनकी बात सुन कर डर ही गए , क्या कर सकते हैं वो देवता जो हैं , भारतीये नारी कि पूजा करते हैं

स्त्री का एक स्थान हैं और ये उसको बार बार कोई ना कोई देवता बता ही देता हैं

वैसे मुझे कोई ये बता सकता है कानून कि देवी क्यूँ हैं कानून का कोई अंधा देवता क्यूँ नहीं हैं यहाँ इतना जेंडर बायस क्यूँ हैं पुरुष के खिलाफ ?? :)


5 comments:


  1. हा इस प्रकरण से नए नए मोटे मोटे शब्द मिले जो आगे के आरोपियो के काम आयेंगे " त्वरित सहमति " "परिस्थिति का गलत आकलन " और भी कई , सबक भी की ये सब सार्वजनिक जगह न करे जहा वीडियो फुटेज मिलने की सम्भावना हो , और ये सही भी है कि हर मालिक और नौकरी दाता को ये अधिकार है की वो उन लोगो को नौकरी न दे जो उन्हें कुछ न दे सके , इसमे क्या बुराई है ये उनका अधिकार है । पहले ही मुंह सिलो को नौकरी दे ।

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  2. अब यह सब नहीं चलेगा...

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  3. पोस्ट से एकदम ऑरिजनल वाली सौ टका टंच सहमति :)

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  4. http://timesofindia.indiatimes.com/business/india-business/Harassment-cases-leave-menwork-feeling-harassed/articleshow/26528613.cms

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  5. तेजपाल प्रकरण ने सोमा चौधरी जैसे नारीवादियों (फेमिनिस्ट) को भी बेनकाब कर दिया है जो टीवी और पत्रिका में बहुत बड़ी बड़ी बात करते नज़र आती हैं लेकिन जब अपने जीवन में उसे व्यवहार में उतारने कि बात आती है तो वो भी वही घोर सामंती मानसिकता का प्रदर्शन करने से बाज नहीं आती है.

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