June 02, 2013

हम तो सही भी लिखते हैं तो पुरुष विरोधी हो जाता हैं

आप ने खुद ही एक लाइन में वो कह दिया जो रचना , वंदना और अंशुमाला इतने लम्बे कमेन्ट में नहीं कह पायी



 स्त्री इस लिये असुरक्षित हैं क्युकी वो रिश्ते में बहुत से पुरुषो से बंधी हैं जो समय असमय या मौक़ा मिलते ही उसका बलात्कार करने में अपनी बहादुरी समझते हैं और इस लिये स्त्री को उन पुरुषो से सावधान रहना चाहिये और सतर्क रहना चाहिये . आप ने खुद अपनी पूरी पोस्ट को ये लिख कर निरस्त्र कर दिया हैं और अब वो सच कहा हैं जो "पुरुष विरोधी " हैं लेकिन क्युकी आप कह रहे इस लिये उसको पुरुष विरोधी शायद  ही कोई कहेगा . हम तो सही भी लिखते हैं तो पुरुष विरोधी हो जाता हैं 


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9 comments:

  1. very nice blog , thoda template me change kijiye , post ka title kaha se shuru hota , post konsi he ye thoda gadbad kar raha he !

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  2. अरे!! ऐसा कहां लिखा है कि महिला को किसी न किसी पुरुष की निगरानी में रहना होगा? अगर रहना होता है तो इस तरह सुरक्षा दे रहे पुरुष?? जिसकी निगरानी का जिम्मा मिला उसी का बलात्कार???

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  3. एक दम गलत लिखा है

    जय बाबा बनारस ....

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  4. विरोध वहाँ किया जाए जहाँ कोई फायदा हो।कोई लेख में हास्यास्पद किस्म की बातें करे चंपुओं वाली हरकत करे तो उसे कोई क्यों गंभीरता से ले ।उस पर तो सिर्फ हँसा ही जा सकता है।

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    1. सही कह रहे हैं राजन जी.

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    2. .
      .
      .
      मैंने वहाँ अपनी टीप में कुछ यही बात अपने तरीके से कही थी...


      ...

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  5. ये क्या बात हुई? थोड़ा विस्तार चाहिए था।

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