April 21, 2013

बलात्कार करने वाले ६ महीने से ८ ० साल तक की नारी का बलात्कार कर रहे हैं क्यूँ क्युकी उनको डर ही नहीं हैं

हर दिन बलात्कार की खबर न्यूज़ पेपर और टी वी पर ज्यादा से ज्यादा आ रही हैं
जगह जगह ब्लॉग पर भी तमाम पोस्ट इसको ले कर आ गयी हैं

लोगो को लगता हैं ये सब " नये जमाने " की वजह से हैं क्युकी अब प्रोनो और अश्लील साहित्य और गेम नेट की वजह से ज्यादा उपलब्ध हैं

क्या वाकई ये सब पुराने जमाने में होता ही नहीं था , क्या नारी सदियों से "सुरक्षित " थी और आज अचानक वो भारत में कंप्यूटर क्रांति आने की वजह से "असुरक्षित " होगयी

लोग भूल जाते हैं हम उसी देश की बात कर रहे हैं
जहां द्रौपदी का चीर हरण भरे पूरे परिवार के सामने हुआ था ,
जहां सीता को रावन उठा कर लेगया था
जहां एक बच्ची फूलन देवी बन गयी थी
जहां हवाई जहाज में काम करती एयर होस्टेस को हवाई जहाज में मोलेस्ट किया जाता रहा हैं साधिकार
जहां रुपन पटेल  आईएस के बॉटम पर के पी एस गिल हाथ मारते थे साधिकार
जहां १४ साल की रुचिका को राठोर मोलेस्ट करता हैं और हंसते हुए जेल से बाहर आता हैं
और ऊपर कही हर बात के समय नेट था नहीं 




जो बलात्कार करते हैं वो जानते हैं और मानते हैं की ये उनका अधिकार हैं , नेट की मौजूदगी से ऐसे लोगो में बस एक ही फरक आया हैं की वो और क्रिमिनल और क्रुएल होगये हैं

इस के अलावा जब एक मजदूर ये देखता हैं की एक बड़ा आदमी रेप करने के बाद छुट सकता हैं तो वो शायद  यही सोचता होगा मै तो पकड़ में ही क्या आउंगा


अपनी और अपनों की सुरक्षा के लिये हम को खुद ध्यान देना होगा लेकिन इस का अर्थ ये बिलकुल नहीं हो सकता की हम लड़कियों को जेल में बंद करदे . सबसे जरुरी हैं की हमारी न्याय प्रणाली कुछ ऐसे फैसले दे जो डर  पैदा करे उनलोगों में जो नारी शरीर को रौंदने का अधिकार अपना समझते हैं

जब तक ऐसा नहीं होगा लोगो में बलात कुछ भी करने की इच्छा बलवती रहेगी .

बलात्कार करने वाले  ६ महीने से ८ ० साल तक की नारी का बलात्कार कर रहे हैं क्यूँ क्युकी उनको डर ही नहीं हैं और इस डर को पैदा करने की लिये exemplary punishment देना बहुत ही आवश्यक हैं

एक ऐसी सजा जिसको तुरंत दे दिया जाये


14 comments:

  1. घर घर में हैं रावण ,इतने राम कहाँ से लाऊं ...।

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  2. सजा तो दी ही जाती है ऐसे लोगों को भले ही तुरंत नहीं।लेकिन फिर भी इन अपराधों में कोई कमी नहीं आई है।क्या बलात्कारियों को पता नहीं कि ऐसे अपराध के लिए उसे सजा हो सकती है?लेकिन फिर भी वह अपराध करता है।ऐसा भी नहीं है कि हर एक बलात्करी सजा से बच ही जाता हो लेकिन इन घटनाओं पर फिर भी कोई अंकुश नहीं है ।बल्कि सजा से बचने के लिए ही वह सिर्फ बलात्कार नहीं करते बल्कि पीडित की जान ही ले लेते हैं या उसकी पूरी कोशिश करते हैं।इस बच्ची वाले केस में भी यही हुआ और इससे पहले वाले मामले में भी।इसलिए ऐसा नहीं है कि केवल सजा से ही यह अपराध रुक जाएगा।जल्दी और कड़ी सजा जरूरी है पर यह कोई अंतिम उपाय नहीं।जरूरी तो है घरों में लड़कों को यह सिखाना कि महिलाओं के साथ उनका व्यवहार कैसा होना चाहिए।उनकी संगति पर नजर रखनी चाहिए और उनकी छोटी छोटी गलती जैसे गाली बकना महिलाओं के बारे में कोई अपमानजनक टिप्पणी करना आदि को गंभीरता से लेना चाहिए।लेकिन क्या करें यहाँ तो खुद बड़े ऐसा व्यवहार करते हैं तो वो अपने से छोटों को क्या सिखाएँगे।

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    1. राजन, तुम्हारी बात पर मैंने बहुत गौर किया और मुझे लगता है, बहुत ही सही बात कही है तुमने। महिलाओं के प्रति छोटी-छोटी गैरजिम्मेदाराना बातों की ओर हम ध्यान नहीं देते हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति की मानसिकता छोटी-छोटी बातों से ही बनती है। ब्लॉग जगत में भी ऐसी बातें बहुत हो चुकीं हैं। अब इस बात का भी विरोध करना बहुत ज़रूरी है कि कोई भी महिलाओं के लिए अभद्र टिप्पणी या अभद्र पोस्ट न लिखे।

      मानसिकता बदलनी है तो फिर इसकी शुरुआत भी होनी ही चाहिए। मैं तो यही कहूँगी, ब्लॉग जगत में महिलाओं के लिए किसी भी तरह की अभ्रद टिप्पणी और अभद्र पोस्ट का पूर्ण रूप से बहिष्कार होना चाहिए।

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  3. sahi kaha magar yahan kaun sun raha hai ye desh ke karndhaaron ke kaanon par to joon bhi nahi reng rahi

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  4. हां अब दंड के प्रतिशोधात्मक सिद्धांत और क्रूरतम दंड व्यवस्थाओं का ही अनुसरण किया जाना चाहिए

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  5. जब तक बलात्कार को एक जघन्य अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक हाई प्रोफाईल केसेज के अपराधियों को ऐसी सज़ा नहीं दी जाए कि लोगों की रूह काँप जाए, तब तक इस तरह के अपराध में कोई कमी नहीं आने वाला है। बल्कि इन हाई प्रोफाईल केसेज को इस तरह लम्बा खींचना, अपराधियों को और हौसला देता है। इतनी सी बात इन क़ानूनचिंयों को क्यों नहीं समझ में नहीं आती, कोई भी सोच सकता है, जब पकड़े जाने के बाद भी उन बलात्कारियों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो हमारा कौन क्या बिगाड़ लेगा :(

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  6. जब तक बलात्कार को एक जघन्य अपराध नहीं माना जाएगा, जब तक हाई प्रोफाईल केसेज के अपराधियों को ऐसी सज़ा नहीं दी जाए कि लोगों की रूह काँप जाए, तब तक इस तरह के अपराध में कोई कमी नहीं आने वाली है। बल्कि इन हाई प्रोफाईल केसेज को इस तरह लम्बा खींचना, अपराधियों को और हौसला देता है। इतनी सी बात इन क़ानूनचिंयों को क्यों नहीं समझ में नहीं आती, कोई भी सोच सकता है, जब पकड़े जाने के बाद भी उन बलात्कारियों का कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाया तो हमारा कौन क्या बिगाड़ लेगा :(

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  7. हमारी लचर क़ानून व्यवस्था और पुलिस के रवैये के साथ राजनैतिक नेताओं की शरण ने लोगों के हौसले को बढा रखा है . फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में केस ले जाने की सिफारिस के बाद भी दामिनी के गुनाहगारों का क्या हुआ ? कोर्ट को चश्मदीद गवाह चाहिए है और उस केस में तो गवाह भी है फिर न्याय में इतनी देरी किस लिए?
    ये भी होता था लेकिन न उम्र की सीमा और न रिश्तों के लिहाज को तो अब तोडा जा रहा है. और मानसिक विकृति का परिचय देने वाले कृत्यों को हम सहज ले रहे है . बच्ची मर भी गयी तो क्या ? किसी का क्या जाएगा? जो आवाज उठाएंगे उनकी आवाज को दबा दिया जायेगा . दंड का प्राविधान तुरंत होना चाहिए . अपराध के साक्ष्य मिलते ही दंड न की आगे उनके मिटने का इन्तजार किया जाय.


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  8. आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013] के 'एक ही गुज़ारिश':चर्चामंच 1222 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
    सूचनार्थ..

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  9. कठोर और तुरंत सजा का अभाव इन जघन्य घटनाओं को रोक नहीं पा रहा है .ऐसे दुष्कर्मियों का केस लड़ने वालों का भी विरोध किया जाना चाहिए !

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  10. सजा भय उत्पादक होना चाहिए ,मेरा पोस्ट "सजा कैसा हो देखिये ,अपना मत बताइए
    http://vichar-anubhuti.blogspot.com

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  11. kanun vyavastha ke badle jan manas ki soch ko badalne ki jarurat ab jayda lag rahi.......
    aam bhartiya ki morality girti ja rahi hai...
    aisa mujhe lagta hai..

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  12. रचना जी

    जरुरी ये है की जो भी सजा का प्रावधान है वही सजा हर बलात्कारी को मिले , जो की हो नहीं रहा है , सजा सभी को नहीं मिल रही है ज्यादातर छुट जा रहे है जिससे लोगो को हौसले बुलंद होते है , सभी बलात्कारी को सजा मिले तो जरुर सभी में डर बैठेगा दुसरे समाज की सोच से भी फर्क पड़ता है जहा पंचायते चार जूते लगा कर छोड़ देती है या ५-१० हजार रु जुरमाना लगा देती है या लड़की के घर वालो को ही उनकी इज्जत जाने का डर दिखाती है , वह बलात्कारियो को हौसले बुलंद तो होने ही वाले है । और क्रूरता के बलात्कार करने की घटनाये भी होती रही है , राजेस्थान में आज से करीब १८ -१९ साल पहले के एक केस में बलात्कारियो ने महिला का गर्भाशय ही बाहर निकाल दिया था ,करीब 1२ साल पहले बनरस के एक सरकारी अस्पताल में मै खुद एक महिला से मिली हूँ जिसके पति ने ही उसके निजी अंगो को गर्म सलाखों से जला दिया था , किस्से हजारो है , मानसिकता न कभी ठीक थी न होगी बस आज पूरी दुनिया को पता चला रहा है , न जाने कितने केस ऐसे ही २०० ० रु दे करा दबा दिए गए । और लोग कहते है की ये बस एक दो अपवाद है लोग अपनी आँखे बंद कर के बैठे है ।

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