December 30, 2012

तुम आम तो हो ही नहीं सकती ,

कौन थी तुम , किस जाति की थी , किस धर्म की थी ? कोई नहीं जानता . तुम्हारा तो नाम भी कोई नहीं जानता . बस सब इतना जानते हैं की तुम एक लड़की थी , एक स्त्री थी , एक महिला थी .

एक आम लड़की थी क्या वाकई ??

किस आम लड़की के लिये
पूरा देश
रोता हैं ,
परेशान होता हैं
दुआ करता है और
उसके बारे मे ऐसे बात करता हैं जैसे कोई परिवार का सदस्य करता हैं

आज हर कोई जानता हैं तुमको क्या पसंद था , तुम कैसी थी , क्या क्या करती थी , तुम्हारे सपने क्या थे , तुम्हारे लक्ष्य क्या थे

कमाल हैं ना ,
इसलिये

तुम आम तो हो ही नहीं सकती ,

किस मिटटी की बनी थी तुम की तुम्हारी "मिटटी " को एअरपोर्ट पर लेने भारत का प्रधान मंत्री जाता हैं

तुम आम नहीं कोई ख़ास ही हो , एक ऐसी आत्मा तो कभी सदियों में एक बार आत्मा से शरीर बन कर इस दुनिया में आती हैं और फिर विलोम हो जाती हैं

आज तुम्हारा नश्वर शरीर अग्नि के हवाले कर दिया गया हैं . अग्नि में सब भस्म हो जाता हैं पर तुम को भस्म कर सके ये अग्नि के वश में भी नहीं हैं

तुम अमर हो ऐसा मुझे लगता हैं

तुम ख़ास हो ऐसा भी मुझे लगता हैं

यश और कीर्ति तुम्हारे हाथ में थी , बस तुम खुद उसको ना देख सकी इसका मलाल हमेशा रहेगा 

तुम्हारी   अंतिम यात्रा के  चित्र हैं लाड़ो 
अंतिम विदाई का लिंक 

5 comments:

  1. बेहद दुखद रहा। शायद अब सरकारों के साथसाथ लोग भी सुधरें और चेते। 'दामिनी' को भावभीनी श्रद्धांजलि

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  2. सोये हुए मुल्क को जगा गई,यक़ीनन वह आम लड़की नहीं थी!
    भावभीनी श्रद्धांजलि

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  3. भावभीनी श्रद्धांजलि :-(

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  4. मैं जा रही हूँ
    तार तार जिस्म और ज़ख़्मी रूह लेकर
    ए भारत महान मेरे.........ए भारत महान मेरे

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  5. अफ़सोस है कि वह देख नहीं सकी , किस कदर लोग उसके साथ हैं !!

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