November 14, 2012

राखी सावंत ही क्यूँ ????

कुछ दिनों से देश के नेतो में एक दूसरे को अपशब्द से नवाजने का रिवाज शुरू होगया हैं .
ठीक हैं चोर चोर मौसेरे भाई .

कांग्रेस हो या बी जे पी दोनों की नज़र में स्त्री की क्या अहमियत हैं इस बात से पता चलती हैं की एक दूसरे को गाली देने के लिये वो दोनों बार बार राखी सावंत का नाम उछालते हैं . कभी उस से विवाह करने की सलाह दी जाती हैं , तो कभी उसके एक्सपोज करने की क्षमता और उसके नतीजो की तुलना की जाती हैं .

कौन हैं ये राखी सावंत , एक मामूली अभिनेत्री जिसने अपने क्षम और कौशल और चातुर्य से अपनी जीविका का रास्ता खोला . अपने बल बूते अपने परिवार का भरन पोषण किया . अपने को लाइम लाईट में रख कर अपने लिये धन कमाने के जो भी हथकंडे  हो सकते थे उसने हर एक को अपनाया , चीख चीख कर अपनाया लेकिन किसी नेता का नाम लेकर अपनी रोजी रोटी नहीं चलाई . राखी का सफर एक लोअर मिडिल क्लास लड़की की अम्बिशन का सफर हैं


कांग्रेस और बीजेपी दोनों पक्ष के नेता राखी सावंत से खासे प्रभावित दिखते हैं और इसीलिये उसके ऊपर कोई ना कोई तंज कसने से नहीं चूकते हैं . बी जे पी एक बार माफ़ी मांग चुकी हैं और अब राखी दिग्विजय सिंह पर मान हानि का दावा करना चाहती हैं .

क्या नेताओ को ये अधिकार हैं की वो किसी भी महिला का नाम अनादर से ले ? अगर लेना हैं तो अपनी पार्टी से ही शुरुवात क्यूँ नहीं . अब हर पार्टी में महिला भी सांसद हैं .

राखी सावंत ही क्यूँ ????


5 comments:

  1. नेताओं की नजर में महिला का क्या स्थान है ये तो खैर जगजाहिर है ही।लेकिन जहाँ तक बात है राखी की तो ये ठीक है कि वह एक आत्मविश्वासी और मेहनती लडकी है।लेकिन ये भी सच है कि उनमें बडबौलापन और तुनकमिजाजी भी बहुत है आप जब पता करेंगी कि खुद राखी ने दूसरों के बारे में क्या क्या कहा है और बेवजह अपने को चर्चा में रखने के लिए क्या क्या बयान दिए हैं तो उसकी भी एक लम्बी लिस्ट बन जाएगी तो इस बारे में उन्हें भी थोड़ा सोचना चाहिए जो रवैया आप अपने लिए पसंद नहीं करते वो दूसरों के खिलाफ क्यों अपनाया जाए।बाकी आपकी बात बिल्कुल सही है और जब किसीको व्यक्तिगत रूप से राखी ने कुछ नहीं कहा है तो उन्हें भी उनका नाम लेकर ये सब नहीं कहना चाहिए ।

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  2. मैं आपसे सहमत हूँ. राखी सावंत को एक उदहारण सा बना लिया है लगता है.

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  3. Bilkul sehmat..! aur ye "neta" hain..

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  4. कहीं भी क्यों ?

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  5. चरित्र-विहीन पुरुष , स्त्रियों को अपमानित करने में ही अपनी मर्दानगी समझते हैं , फिर चाहे वो राखी हो या फिर कोई और !

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