July 14, 2012

मिलगया वो समाधान जिसको लागू करने से रेप , मोलेस्टेशन इत्यादि रोके जा सकते हैं

यूरेका , यूरेका ,
मिलगया वो समाधान जिसको लागू करने से
रेप , मोलेस्टेशन इत्यादि रोके जा सकते हैं


अगर कोई ऐसी तकनीक विज्ञान खोज सके
जहां जैसे ही गर्भ में  भ्रूण की स्थापना हो तुरंत जांच का प्रावधान हो .
उसके बाद एक ऐसा पदार्थ उस भ्रूण में इंजेक्ट किया जाये जो भ्रूण को एक सारे अंगो को ढँक कर एक आवरण दे दे जैसे कोई कपडे पहना दिये गये हो
इस पदार्थ को इस तरह का होना चाहिये की जैसे जैसे भ्रूण बढ़े , इन कपड़ो का आकार भी बढ़े यानी शरीर के अनुपात से शरीर को ढकने वाला क्रत्रिम कपड़ा भी बड़ा होता जाए
फिर जब भ्रूण पैदा हो यानी एक कन्या का जनम हो तो उसके शरीर पर कपड़े पहले से ही होंगे और वो शरीर के बढने के साथ साथ बढते जायेगे
इसमे सिलिकॉन जेल काफी कामयाब होसकता हैं क्युकी वो आकार ले सकता हैं
फिर तो जी सारी  समस्या का अंत ,
ना कपड़े की लम्बाई कम ज्यादा की समस्या
ना कपड़े फाडने की समस्या
अब हर जगह असंस्कारी नारी के कपड़े ही उसके बलात्कार और मोलेस्ट होने की वजह बन जाते हैं सो ना होगा बांस ना बजेगी बांसुरी

आप लोगो के विचार आमंत्रित हैं की आप को ये समाधान कैसा लगा अब दिन पर दिन ये सब देखते सुनते खीज तो आप को भी आती होगी . आप को भी लगता होगा हल क्या हैं ? बार बार वही मुद्दा  हम भी लिख लिख कर बोर हो लिये . जिसे देखो समस्या की बात करता हैं , न्याय और संविधान में दिये हुए बराबरी के अधिकार की बात करता हैं .
कितना माहोल गन्दा होता हैं रोज वही बात करके .
बस में जाओ तो कोई छेड़ रहा हैं सुनो , ट्रेन में मोलेस्ट कर रहा हैं , रास्ते में तेजाब फेंक रहा हैं , सड़क पर कपड़े उतार रहा हैं अब ये सब बंद हो जाएगा बस मेरा समाधान किसी वैज्ञानिक तक पहुचा दे .


 
 
 


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7 comments:

  1. रचना ,

    सुरक्षा के लिए और बढ़ रही उत्पीड़न की घटनाओ के लिए अच्छा सोचा है. काश ! ऐसा ही हो सके.

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    1. ना ना रेखा मैने तो ये लोगो को रोज रोज हो रही परेशानी को ले कर सोचा हैं . हर दिन किसी ना किसी को रेप और मोलेस्टेशन करना पड़ता हैं , बिचारे कितना "काम" करते हैं और हम उनके लिये कुछ भी नहीं सोचते

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  2. बेकार उपाय है ! क्या इससे विवाह के समय उसके दहेज़ की चिंता ख़त्म हो जाएगी क्या उसको पढ़ने लिखने में जो खर्च हुआ है वो सब हमें मिल जायेगा क्या वो हमारे बुढ़ापे में सहारा बनेगी, नहीं ना, तो क्या फायदा हमारे पास पहले से ही एक अच्छी तकनीक है सारी समस्याओ का एक हल उसके लिंग का पता करो और वही उसे मार दो | ना रहेगा "लकड़ी" और बासुंरी क्या कुछ भी नहीं बजेगा ढोल नगाड़ा , हरमुनियम कुछ भी नहीं क्योकि सब में "लकड़ी" लगी होती है :(

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  3. प्रकृति ने तो पहले ही हर जीव-जंतु को कपड़े पहनाए हैं, मनुष्य को भी। लेकिन मनुष्य ने ही कुछ गड़बड़ कर दी। पहले तो वह चौपाए से दोपाया हो गया। जिस से उस के सारे छिपे हुए प्रजननांग दिखने लगे। दूसरे उस ने अनुकूल वातावरण वाले भूभाग से प्रतिकूल वातावरण वाले भूभाग में निवास का प्रयत्न किया। इस प्रयत्न में उसे प्रतिकूल वातावरण से बचने के लिए कपडे ईजाद करने पड़े।
    जब तक मनुष्यों की जमात में परिवार में मुख्य स्थान स्त्रियों का रहा तब तक सब कुछ ठीक रहा। लेकिन जैसे ही पशुपालन से संपत्ति पैदा हुई। पुरुषों ने महिलाओं को गौण स्थान पर ढकेल दिया। फिर जिस संस्कृति को उस ने जन्म दिया उस में स्त्रियाँ मात्र गुलाम बन कर रह गईँ। आज स्त्री-पुरुष समानता के युग में भी पुरुष स्त्रियों को उसी तरह रखना चाहता है। क्यों कि वह जानता है कि स्त्रियों को बराबरी का वास्तविक अधिकार मिलते ही पुरुष का महत्व समाप्त हो जाएगा।

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  4. रेप, मोलेस्टेशन के लिए स्त्री के कपड़ों का कोई लेना देना नहीं है...अगर उन्हें आपको बिना कपड़ों के देखना है तो आप कपड़ों में हों तब भी वो देख लेंगे...
    और फिर रेप के लिए कोई उम्र भी नहीं देखता, अभी हाल ही में ८५ साल की बुजुर्ग महिला का रेप हुआ है...क्या उन्होंने कपड़े नहीं पहने थे ?? या फिर इतने कम पहने थे कि रेपिस्ट ख़ुद को सम्हाल नहीं पाया...

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  5. जब तक संस्कारों के बीज नही बोये जायेंगे ये होता ही रहेगा चाहे कोई उपाय कर लो क्योंकि जब तक स्त्री को उपभोग की वस्तु माना जायेगा यही होगा क्योंकि ऐसी मानसिकता वालों के लिये उम्र कोई मायने नही रखती ना ही कपडे उनके लिये सिर्फ़ वो एक शरीर है जिसमे वो दो अंग हैं जिनकी उन्हे जरूरत है बस फिर चाहे दो साल की बच्ची हो या अस्सी साल की बुढिया या बीस साल की लडकी ……………और काफ़ी हद तक इस सबके लिये आज का खुला माहौल भी जिम्मेदार हो गया है वरना तो पहले भी स्त्रियाँ रहा ही करती थीं और इतने ज्यादा केस नही होते थे मगर आज हो रहे हैं तो कहीं ना कहीं इन सबका भी कुछ तो योगदान है ही।

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