एक १४ साल की लड़की
एक २९ साल का आदमी
आदमी को लड़की पसंद आ गयी
आदमी ने उससे कहा दोस्ती करते हैं
लड़की नहीं मानी
आदमी ने लड़की के भाई को उठवा लिया
आदमी ने लड़की के माता पिता को मजबूर किया
आदमी ने लड़की से शादी कर ली
आदमी ने लड़की के भाई को छोड़ दिया
लड़की का भाई कुछ दिन बाद चोटों के कारण मर गया
लड़की के माता पिता ने पुलिस में शिकायत नहीं दर्ज अपनी बेटी की शादी शुदा जिन्दगी के लिये
समय बिता
लड़की २८ साल की हैं
दो बच्चे हैं
इस दौरान उस आदमी ने क़ोई भी अत्याचार नहीं छोड़ा यहाँ तक की उसको अन्य पुरुषो से यौन सम्बन्ध भी बनाने को मजबूर किया
इस दौरान लड़की का अपनी उम्र के एक लडके से स्नेह सम्बन्ध बनगया
आदमी को ये पता लगा
उसने इस व्यक्ति को मरवाने का निश्चय किया
लड़की को ये बर्दाश्त नहीं हुआ
उसने अपने पिता से कारोबार करने के लिये उनकी गाडी और २ लाख रूपए लिये
अपने स्नेही मित्र के साथ मिल कर आदमी को मयूर विहार के मेट्रो स्टेशन पर बुलवाया और गोली मरवा दी
अस्पताल में वो आदमी मर गया
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शादी के बीस साल एक औरत ने अपने पति की हर जायज़ ना जायज़ हरकत को सहा
अनेक बार पुलिस में शिकायत भी दर्ज की
हर बार वो आदमी घर वापस आता और फिर से वही शराब , मार पिटाई
बीस साल बाद एक दिन वो आदमी शराब के नशे में घर आया
औरत को मारा पीटा
और फिर अपनी १४ साल की बेटी के साथ बलात्कार करने की कोशिश की
औरत ने आदमी को मार दिया और अपने को पुलिस के हवाले कर दिया
पुलिस ने तहकीकात की और औरत को छोड़ दिया
पोस्ट पढ़ कर आपने क्या महसूस किया ???
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यही कि हम असभ्य समाज में जी रहे हैं सभ्यता का लबादा ओढ़े, सुसंस्कृत होने का मुखौटा लगाए!!
ReplyDeleteहम किस संसार में जी रहे हैं?
ReplyDeleteऐसे लोग, जिनके लिए जीवन का मतलब अगर सिर्फ़ यही (*) है, तो ऐसे लोगों के साथ जो किया गया वह मेरी नज़र में बिलकुल सही है।
किसी अदालत के निर्यण को कहीं पढ़ रहा था। एक शब्द प्रयोग किया गया था -- “सेक्स बॉम्ब” -- और कुछ ऐसी ही बात थी। उस केस में भी निर्णय था कि ऐसे सेक्स बॉम्ब के समाज में छुट्टे घूमने देने की इज़ाज़त नहीं दी जा सकती।
जुल्म जब हद से गुजर जाए तो यही परिणाम होता है .....सुन्दर प्रस्तुति .... आज शिव रात्रि तथा दयानंद बोध दिवस के अवसर पर आपको हार्दिक शुभकामनाये
ReplyDeleteइस समाज ने नारी को इतना भी अधिकार नहीं दे रखा है की वो अपने साथ हुए दैहिक शोषण का खुलकर विरोध कर सके। नारी बड़े से बड़ा आघात सह सकती है मगर वह कभी भी तुच्छ चोटों को भूल नहीं पाती।
ReplyDeleteरचना जी, इन खबरों को पढ के मन में क्षोभ उपजता है पूरे समाज के लिये जहन महिल को महिम मन्दित कर उससे हर नाजायज काम करवाया जा रहा है उसके ही पति से. बेटे को छुड़्वाने के लिये बेटी को दांव पर लगा दिया! लेकिन स्त्री का क्षोभ जब बढता है तो प्रचंड रूप धारण करने को मजबूर हो जाती है, जैसा इन घटनाओं में हुआ. नारकीय जीवन जी ही रही थी, अच्छा हुआ पति रूपी राक्षस को मार डाला. हम महिलाओं के आज़ाद होने आगे बढने की चाहे जितनी भी नारेबाजी कर लें, और आज भी आदमी के पीछे ही है.
ReplyDeleteकुछ अशुद्धियां चली गयीं कमेंट में- जहन= जहां, महिल=महिला, महिमा मंडित
Deleteजानवरों की कमी नहीं, इन्सान के वेश में. फैसले और न्याय में अंतर तो होता ही है.
ReplyDeleteसलिल भाई , कम शब्दों में बहुत कह चुके हैं ..। महिलाओं ने जो किया बहुत ही ठीक किया बल्कि कम किया उनके स्थान पर पुरूष होते तो जाने और क्या क्या कर जाते । जस को तस की नीति ही सर्वथा उचित है अब
ReplyDeleteअजय यहाँ जस को तस नहीं हुआ हैं सालो का शोषण औरत को किस रहा पर डाल रहा हैं ?? रोज बलात्कार , रोज यौन शोषण , रोज गैंग रेप महज खबर नहीं हैं ये एक अलार्म हैं की अब औरतो के पास बस यही रास्ता रह गया हैं की वो मर्दन करने पर उतर आये ये गलत हैं किसी इंसान को मरना किसी भी कारण से सही नहीं होता पर क्यूँ नारी को ये करना पड़ रहा हैं बस ये प्रश्न अगर मन में आये तो शायद रास्ते बदले
Deleteपढ़ कर लगा कि पाप का घड़ा भर जाता है तो इसे ऐसे ही फूटना होता है ...
ReplyDeleteदर्द होता है ये देखकर की महिलाओं की स्तिथि सुधर नहीं रही बल्कि बिगड़ रही है.
Deleteआज आम लोगों का भी दाम्पत्य जीवन सहज नहीं रहा है। ऐसे में,शराबियों और दुष्चरित्रों की तो बात ही क्या करें। फिर भी.....
ReplyDeleteकिसी की हत्या किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं हो सकती। दूसरे विकल्प हमेशा उपलब्ध रहते हैं किंतु चूंकि दूसरा पक्ष भी एक भिन्न प्रकार की अति में जी रहा होता है,इसलिए उसकी बुद्धि इस ओर नहीं जाती।
जो व्यक्ति पत्नी को लगातार पीटता है,अनाचार के लिए विवश करता है,उसके लिए हत्या करना एक सहज कार्य हो सकता था। किंतु,उसने सब किया,मगर हत्या नहीं की। अचेतन मन के किसी कोने में अवश्य कोई किरण बाक़ी रही होगी प्रेम की,इसीलिए।
अंगुलिमाल को मारना मुश्किल नहीं था। मगर बुद्ध अपनी जान जोखिम में डालकर उसके पास गए और रूपांतरण किया उसका। हर व्यक्ति में ब्रह्म को पाने की क्षमता होती है,इसीलिए मानवहत्या को ब्रह्महत्या कहा गया है। जिसने हत्या कर दी,उसने इस संभावना को समाप्त कर दिया। इसलिए,उसका अपराध अक्षम्य है।
पोस्ट पढ़ कर एक ख़ुशी हुई दिल से उस औरत के लिए जिसने अपने मन से वो डर, और समाज के बनाये झूठे नियम को तोड़ कर एक सही और प्रेरक कार्य किया |आज भी नारी मनचाहा कुछ भी नहीं कर सकती चाहे वो खरीदारी हो , या ज़िन्दगी बिताने का जीवनसाथी चुनना | कहीं कहीं ना किसी के हाथों की कठपुतली है |
ReplyDeleteमहसूस तो यह किया की जब सिस्टम परेशानी को सोल्व न करे तो खुद ही अपनी परेशानी सोल्व करने का प्रयास गलत नहीं कहा जा सकता - परन्तु क़ानून कुछ और ही कहता है |
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