January 12, 2012

अतीत से वर्तमान में , नारी की स्थिति




जब भी एयर टेल का एक विज्ञापन देखती हूँ जिसमे करीना को एक डम्बो जैसा दिखाया गया हैं और सैफ को एक स्मार्ट बॉय फ्रेंड तो मन में हमेशा एक ही सवाल रहा क्या इस सदी की नयी लडकियां इतनी डम्बो हैं .
नीरज रोहिल्ला ने अपने ब्लॉग पर कुछ पुराने विज्ञापन के चित्र दिये हैं आप भी देखिये औरतो की स्थिति क्या थी इस समाज में और ध्यान दे ये सब अमेरिका के अखबारों के विज्ञापन हैं .
आप को क्या लगता हैं कोई बदलाव आया हैं अतीत से वर्तमान में , नारी की स्थिति मे .


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8 comments:

  1. विज्ञापनों की दुनिया न्यारी है। मैं तो देखता ही नहीं।

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  2. बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।

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  3. स्थिति का तो पता नहीं पर महिलाओं को लेकर समाज की सोच में तो परिवर्तन नहीं आया है.

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  4. एड एजेंसियों का अवतरण किसी दूसरी दुनिया से नहीं हुआ है वे भी इसी धरती और उसकी जेहनियत का उत्पाद हैं !

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  5. विज्ञापन का उद्देश्य वस्तुओं की बिक्री में वृद्धि करना है। चीजों को ऐसे दिखाना कि लोग आकर्षित हों। वे भी जो इन चित्रों को देखकर खुश होते हैं और वे भी जो इन चित्रों को देख कर नाराज होते हैं..दोनो को ही आकर्षित करने का ढंग है यह। इसमें किसी की भावनाएं नहीं सिर्फ अपना लाभ देखा जाता है। इसी का नाम बाजार है।

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    1. नारी को समान दर्जा मिला हैं पर जेहन में आज भी वो दोयम हैं , ये चित्र उन्ही का प्रतीक हैं
      आज की तारीख में ये सब भारत में भी कम हो रहा हैं , अल आई सी को अपना एक विज्ञापन बदलना पडा था जहां उन्होंने बेटे की पढायी और बेटी की शादी की बात की थी

      बदलाव कानून से आते हैं और कानून का पालन करवाना पड़ता हैं

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  6. @देवेन्द्र:
    अमेरिका में आज अगर किसी कम्पनी ने गलती से भी ऐसा कोई विज्ञापन प्रचारित किया तो उसके सीईओ को २४ घंटे से भी कम समय में चलता कर दिया जायेगा। ये सभी विज्ञापन १९६० से पहले के हैं और प्रदर्शित करते हैं कि उस समय अमेरिका में भी महिलाओं को उनके जेंडर रोल में बांधकर रखने की कोशिश की जा रही थी।

    ये बदलाव हुआ है असंख्य जागरूक महिलाओं और समान सोच रखने वाले पुरूषों के सतत चलते वाले अभियान से। ठीक उसी प्रकार जैसे कि आज हिन्दी ब्लागजगत में नारी विषय पर बिना सोचे समझे आपने कोई पोस्ट लिखी तो कम से कम आप इतनी आसानी से बच नहीं पायेंगे। हां, आपकी सोच बदले या न बदले ये अलग बात है। आज भी अमेरिका में इन विज्ञापनों से इत्तेफ़ाक रखने वालों की संख्या कम नहीं है लेकिन अच्छी बात ये है कि उनकी संख्या कम से कमतर हो रही है और यही उद्देश्य भी तो है?

    आभार,
    नीरज

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    1. http://hindini.com/fursatiya/archives/2540

      नीरज हिंदी ब्लॉग जगत में नारी के लिये जितना बायस हैं और जिस प्रकार से यहाँ नारी के चित्रों का उपयोग होता हैं पोस्ट में उसका विरोध निरंतर जारी हैं मेरी कलम से
      और सबसे बड़ी बात ऊपर का लिंक देखे इनके यहाँ ना जाने कितनी बार मै विरोध का कमेन्ट दे चुकी हूँ पर फिर भी चित्र डालना बदस्तूर जारी हैं
      लोगो को पता हैं ये गलत हैं पर नारी के प्रति उनकी सोच वस्तुत क्या हैं इस से ही पता चलता हैं

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