सभी सदस्यों और नारी ब्लॉग के पाठको को मेरी नमस्ते
हिंदी ब्लॉग जगत में ५ साल रहने के बाद अब नारी ब्लॉग से विदा लेने का वक्त आगया हैं
नारी ब्लॉग पर ये मेरी आखिरी पोस्ट हैं
नारी ब्लॉग को मै बंद नहीं कर रही हूँ वो सदस्यों और पाठको के लिये खुला रहेगा ।
सदस्यों में से कोई भी अगर सूत्रधार बन कर इसको अपने हिसाब से चलाना चाहे तो वो संपर्क कर सकती हैं
मै अपने काम से खुश हूँ क्युकी मेरा समय यहाँ बहुत सार्थक और अच्छा बिता ।
इस ब्लॉग पर और ना लिखने का मन बन चुका हैं । बिना बताये जाना नहीं चाहती थी सो ये पोस्ट दे कर सूचित कर रही हूँ । जाने का कारण महज इतना हैं की जाने के लिये ये समय सबसे उपयुक्त हैं । जाना तब ही चाहिये जब समय अनुकूल हो और मन में ये शांति जो हम करने आये थे वो हमने किया ।
सादर
रचना
as a regular reader of this blog i
ReplyDeletecan't belive such type of 'tanki arohan'..................and need not accept your decission.........
PRANAM.
रचना जी मुझे भी आपका यह निर्णय पसंद नहीं आया
ReplyDeleteआखिर जाने का कोई तो कारण होगा। आप को प्रकट करना चाहिए।
ReplyDeleteबहुत बहुत शुभकामनाएं -आपने एक मिशनरी की तरह अपना काम किया ...आप एक गरिमापूर्ण विदाई की स्वतः अधिकारिणी बन जाती है ....
ReplyDeleteमैं उन लोगों में से नहीं कि लोगों को उनके तरीके से जीने के अधिकार और निर्णय पर सवाल जवाब करूं!
रचना...इस ब्लॉग पर आपकी अंतिम पोस्ट पढ़ कर कैसे रिएक्ट किया जाए..समझ ही नहीं आ रहा...ज़िन्दगी के कुछ पड़ाव ऐसे होते हैं जहाँ आप किसी को भी जबरन रोक नहीं सकते...
ReplyDeleteविदाई के नोट में अंतिम नमस्ते नहीं लिखा....यह देख कर फिर मिलने की आशा है...लेकिन इस पड़ाव पर कमी तो खलेगी...
नहीं नारी ब्लॉग पे ये आपकी आखिरी पोस्ट नहीं है
ReplyDeleteरचना जी कुछ समझ नही आ रहा है क्या कहूँ.आपने ब्लॉगिंग में 5 वर्ष पूरे किये है लेकिन ये तो सिर्फ एक पडाव है.इस ब्लॉग के पाठकों और सदस्यों को आपके मार्गदर्शन व सहयोग की जरुरत है.प्लीज एक बार फिर से सोचिये.आप चाहे तो हफ्ते भर ब्लॉगिंग से छुट्टी ले लें और एक बार फिर से नई ऊर्जा के साथ लौटें.आपने कारण नहीं बताया लेकिन उम्मीद है आप ये विचार त्याग देंगी.
ReplyDeleteनारी ब्लॉग पर लिखें या न लिखें --लेखन तो जारी रहना चाहिए ।
ReplyDeleteआप जैसे बेबाक लोगों की यहाँ बहुत ज़रुरत है रचना जी ।
आपका निर्णय आपका है और आप जैसा व्यक्ति किसी भी तरह बिना सोचे-समझे ऐसा फैसला नहीं कर सकता. इस निर्णय पर स्वागत, बधाई जैसे शब्द तो कहे ही नहीं जा सकते पर जैसा कि आपने लिखा कि "सही समय है" तो इस सही समय के लिए, और वो क्या है, कैसा है, उसके लिए आपको बधाई....क्योंकि सही समय बहुत कम लोग पहचान पाते हैं.
ReplyDeleteजय हिन्द, जय बुन्देलखण्ड
एक पारी संपन्न अब दूसरी की तैयारी .अन्यत्र .यही तो है ज़िन्दगी .
ReplyDeleteप्रसाद जी की शब्दावली में कुछ मन भाव :
ReplyDeleteक्या हमने कह दिया,
हुए क्यों रुष्ट हमें बतलाओ भी.
ठहरो, सुन लो बात हमारी,
तनक न जाओ, आओ भी.
रूठ गये तुम, नहीं सुनोगे,
अच्छा! अच्छी बात हुई.
सुहृद, सदय, सज्जन मधुमुख थे
मुझको अब तक मिले कई.
सबको था दे चुका, बचे थे
उलाहने से तुम मेरे.
वह भी अवसर मिला,
कहूँगा हृदय खोलकर गुण तेरे....
@ पुनश्च !
ReplyDeleteरचना , मैं आपकी मनस्थिति समझ सकता हूँ ...मनुष्य कुछ निर्णय अच्छे समयों में ले ले तो अच्छा ही रहता है ..एडवर्स परिस्थतियों में ऐसे निर्णय लेने पर भगोड़े का आरोप लगता है .....
मनुष्य सर्जना के पौधे रोपता है तो वह उसे लहलहाते हुए ही देखना चाहता है हर वक्त .....नारी ब्लॉग इस समय अपने उरूज पर है ....निश्चित ही आप उसे किसी अच्छे से हाथों में सौंप कर जायेगीं -ऐसा इंतजाम कर लिया होगा ...लोग बहुत स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो गए हैं ...ऐसे में कोई आपको ऐसा मिल गया हो तभी आप सहज होकर जाने की बात कर रही हैं ....तो फिर जाईये ..आमीन !
रचना जी
ReplyDeleteसबसे पहले तो ये जानना है की जाने की वजह क्या है यदि वजह कोई निजी और अत्यधिक व्यस्तता है तो आप को शुभकामनाये | किन्तु वजह ब्लॉग जगत है तो
@ जो हम करने आये थे वो हमने किया ।
मुझे तो नहीं लगता है की जो आप करने आई थी वो काम हो चूका है अभी तो आप ने बस एक सीढ़ी चढ़ी है मंजिल और लड़ाई तो बहुत दूर तक है अभी बहुत काम बाकि है और किसी भी काम को शुरू करते समय खुद के हिम्मत पर भरोसे पर उसे शुरू करना चाहिए लोग जुड़ जाये तो बोनस समझिये न जुड़े या कम साथ दे या साथ आ कर चले जाये तो उसका दुख न करे अपने काम में लगे रहना चाहिए |
अब समझा.आपको लगा कि पाँच साल अब बहुत है.मुझे नहीं लगता ब्लॉगजगत में ऐरे गैरों की आप परवाह करती है.यदि आपको लगता है कि पाँच साल में आप जो लक्ष्य लेकर चली थी वो पूरा हो गया तो माफ कीजिए ये अभी उसी तरीके से अधूरा है जैसे किसी सरकारी पंचवर्षीय योजना के लक्ष्य.हाँ एक छोटी सी बदलाव की जमीन जरूर तैयार हुई है.आप अंशुमाला जी की बात पर ध्यान दीजिए.और यदि कोई निजी कारण है तो ये तो बता दीजिए क्या आपके कमेंट भी अब नहीं आएँगे?सूत्रधार आप चाहें जिसे बनाएँ.
ReplyDeleteअभी तो 'नारी' के लिए ढेरों काम पड़ा है। अभी तो सतह को ही खुरचा गया है। नीचे जो सदियों का कचरा भरा पड़ा है उसे भी तो हमें ही साफ करना है। अधिक साफ न भी कर सके तो भी कचरा है यह तो प्रकट होना चाहिए ताकि जिसकी जितनी श्रद्धा हो उतना साफ कर जाए। न भी कर पाएँ तो कमसे कम कचरे को सोना न मान कचरा तो मानना शुरू कर दें।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
किसी (शुभ)सूचना-विशेष द्वारा आप 'अंतिम' की बात करतीं तो भी बा-मशक्कतन सही जा सकता था, लेकिन इस तरह?? दुखद लग रहा! ज्यादा क्या कहूं, कुछ भूमिकाएं विशेष जीवट के व्यक्तियों की खातिर होतीं हैं, वे अगर न निभाएं तो वहाँ कोई और विकल्प की स्थिति नहीं बनती! जगह खाली ही रह जाती है! ब्लॉग-स्पेस में आपकी उस अनन्य भूमिका को नमन, जिसने जाहिल से आत्ममुग्धी/व्यक्तिवादी/आत्मविज्ञापनी माहौल में भी सृजनात्मक रूप से नारी-आवाज को मुखर किया हो/है!! कभी कुछ त्रुटि मुझसे हुई होगी तो मुझे छोटा/खोटा समझ क्षमा कीजिएगा! हाँ, यह अवश्य चाहूंगा कि ब्लॉग-स्पेस में नारी-स्वर को आप येन-केन-प्रकारेण पूर्ववत मुखर करतीं रहें ! सादर..!
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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रचना जी,
क्या कहूँ कुछ समझ नहीं पा रहा... पर कहना जरूरी है यहाँ...मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि हर व्यक्ति को अपने फैसले खुद ही लेने चाहिये और अन्य सभी को उन फैसलों का सम्मान करना चाहिये... इसलिये आपके इस फैसले का भी सम्मान करूंगा... आशा है 'नारी' को एक आप जैसा ही या आपसे भी बेहतर मॉडरेटर-सूत्रधार मिलेगा...
हाँ, प्रिय अमरेन्द्र की तरह ही मैं भी आपसे यह अपेक्षा तो रखूंगा ही कि ब्लॉग-स्पेस में नारी-स्वर को आप हमेशा की तरह एक मुखर, दमदार व प्रभावी अभिव्यक्ति देती रहेंगी... यह अपेक्षा कुछ ज्यादा तो नहीं ?
आभार!
...
आपने यह कैसे तय कर लिया कि, आपका काम पूरा हो गया ?
ReplyDeleteइन चिंगारियों के धधक बनने का समय तो अब आया है, और आप कहती हैं.. कि आपका काम पूरा हो गया !
आपकी कान उमेठू टिप्पणियों ने बहुतों का मार्गदर्शन किया है... और मेरे साथा दूसरी बड़ी बात यह है कि,
अब मैं लडूँगा किससे ? जाइये थोड़ा विश्राम लेकर तरो-ताज़ा होकर दूसरे राउँड के लिये जल्द आइये ।
रचना,
ReplyDeleteतुम उनमें से नहीं जो पानी की टंकी पर चढकर लोगो के कहने से उतर आते हैं।
तुम भले ही नारी ब्लाग पर नियमित न लिखो लेकिन अगर कुछ ऐसा लगे कि लिखा जाना चाहिये, तो उसमें संकोच भी मत करना ।
तुम्हारी पांच साल पहले चलाई हुयी मुहिम निश्चित आगे बढी है और इसको बहुत आगे जाना है। उम्मीद है तुम जहाँ भी रहोगी अपने स्तर पर इस प्रकार का कुछ करती रहोगी। तुम्हारा साथ पिछले पांच साल के थोडे बहुत संवाद ने निश्चित रूप से एक बेहतर सोच विकसित करने में मदद की है।
शुभकामनायें।
नीरज
आप अकारण ही ऐसा लिख नहीं सकती ...कारण जानना चाहूंगी !
ReplyDeleteआप कह रही हैं कि आप जा रही हैं तो आप शायद रूकेंगी नहीं।
ReplyDeleteआप कह रही हैं कि जो आप करने आई थीं वह काम हो गया है।
आप क्या करने आई थीं ?
जाने से पहले यह ज़रूर बता दीजिए और जब आप बताएंगी तो आपको ख़ुद पता चल जाएगा कि वह काम पूरी ज़िंदगी चाहता है। पांच साल कम हैं किसी भी सकारात्मक परिवर्तन के लिए।
बहरहाल हम आपसे प्यार करते हैं और चाहते हैं कि आप हमारे दरम्यान बनी रहें।
आपका चले जाना हमारे लिए एक बुरी ख़बर है।
आप जहां भी रहेंगी, कुछ लोगों को सदा याद आती ही रहेंगी।
ऐसा निर्णय या तो बेवकूफ़ी भरा हो सकता है या कायरता वाला।
ReplyDeleteअगर दोनों में से कोई नहीं है तो आप नहीं जा रही हैं।
आपको अपने समर्थकों के स्वर से पता तो चल ही गया होगा कि वे क्या चाहते हैं।
किसी आन्दोलन को बीच में छोड़ कर उसका लीडर नहीं जा सकता।
Nirnay to Apka hi hai.... Kya kaha ja sakata hai.... Par request hai ki apak lekhan chalata rahe to achcha lagega.......Shubhkamnayen
ReplyDeleteजाइए आप कहां जाएंगे,
ReplyDeleteये कलम लौट के फिर आएगी...
जय हिंद...
मेरे विचार से यदि समय का अभाव हो तो कोई और सूत्रधार बन जाये पर विचारों को विश्राम देना ठीक नहीं। जब मन में कोई बात उठे तो अवश्य लिखें
ReplyDeleteइस तरह से जाना समझ में नहीं आया। कम से कम इसका कारण तो बताना चाहिए था।
ReplyDelete------
ओझा उवाच: यानी जिंदगी की बात...।
नाइट शिफ्ट की कीमत..
कमी खलेगी आपकी...वैसे उम्मीद है आप दुबारा आएँगी...
ReplyDeleteवैसे तो निर्णय आपका है और आपने सोच समझ कर लिया होगा। यह भी स्पष्ठ नहीं कि जो आप करने आई थी हो गया, क्योंकि लगभग सभी को उस कार्य की पूर्णता पर संदेह है। और कह रहे है कार्य अभी बाक़ी है।
ReplyDeleteखैर मेरा मंतव्य है कि आप नारी विषयों के एक अभिन्न दृष्टिकोण की प्रणेता है। थोडा तेज तर्रार ही सही पर इस दृष्टिकोण को प्रवर्तमान रहना चाहिए। जो यदा कदा अतिक्रमण को रोकनें में सहायक हो सकता है।
बाक़ी निर्णय आपका!! जो भी उचित समझे!! आशा है अनुगामी को विचारधारा पद्धति से अवगत करवा कर ही जाएगी।
दुखद..
ReplyDeleteलिखना बेशक कम कर दीजिए लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बनाए रखें...बहुतों को आपके लेखन से प्रेरणा मिलती है
आपने ऐसा निर्णय लिया है तो जरुर कुछ सोच कर ही लिया होगा ....फिर भी आपके वापस आने का इंतजार रहेगा
ReplyDeleteरचना जी
ReplyDeleteबेशक आपने सोच समझ कर ही निर्णय लिया होगा ?-
किन्तु फिर भी कहना चाहूंगी
आपने" नारी "ब्लॉग के जरिये सदियों से जमी विचारो की, मानसिकता की धूल को को हटाने का कार्य शुरू किया है वो अभी कहाँ पूरहुआ है ?
जब कारवां आपके साथ चल पड़ा है आप कसे जा सकती है ?
आपने नारी ब्लॉग से विदा लिया है...ब्लॉग जगत से तो नहीं??
ReplyDeleteआशा है, अपने ब्लॉग पर आपकी सक्रियता
बढ़ेगी...और टिप्पणियों के माध्यम से भी आप अपनी स्पष्ट प्रतिक्रिया देती रहेंगी.
अब आपने निर्णय ले लिया है...तो पीछे तो शायद ना ही हटें...वैसे पुनर्विचार की गुंजाईश होती तो अच्छा था...
शायद यह नारी ब्लॉग के सदस्यों के लिए भी एक परीक्षा है कि वे इस ब्लॉग के प्रति अपनी जिम्मेवारियों का वहन कर सकें...और इस ब्लॉग की सार्थकता बनाए रखें.
यह पढ़कर थोड़ी निराशा तो है, लेकिन यह आपका अपना निर्णय है, कुछ नहीं किया जा सकता। आप उन लोगों में से नहीं हैं जो किसी के कहने पर अपना निर्णय बदलें…। नारी ब्लॉग जारी रहेगा यह अच्छी बात है, क्योंकि मैं इस बात से सहमत नहीं हूं कि "जो हम करने आए थे, वो हमने पूरा कर लिया…", हम जैसे आम इंसान सिर्फ़ एक कार्यकर्ता होते हैं, जो एक बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए, अपने-अपने हिस्से का काम करके निकल जाते हैं।
ReplyDeleteमैं यह भी जानता हूँ कि आप स्वयं ही कुछ कालखण्ड बीतने के बाद वापस आएंगी। मैं जाने का कारण नहीं पूछूंगा, क्योंकि यह व्यक्तिगत भी हो सकता है, समय न दे सकने की मजबूरी हो सकती है, कोई अन्य व्यावसायिक प्रतिबद्धताएं हो सकती हैं… परन्तु आप इस ब्लॉग से सतत जुड़ी रहेंगी, और जिस कार्य के लिए आप जा रही हैं वह पूरा करने के बाद पुनः इधर पधारेंगी, मुझे विश्वास है। यदि ऊपर बताये गये में से भी कोई कारण नहीं है, तब तो निश्चित ही आपको आराम की आवश्यकता है, छुट्टी मनाईये, तरोताजा होईये और वापस आईये…।
मैं भी फ़िलहाल ऐसा ही कर रहा हूँ, महंगाई के कारण अब व्यावसायिक गतिविधियाँ बढ़ाना मजबूरी है, इसलिये महीने में 15-20 पोस्ट लिखने वाले ने जून में सिर्फ़ 5 पोस्ट लिखीं… परन्तु राष्ट्रवाद और हिन्दुत्व का कार्य तो करना ही है इसलिये रोजी-रोटी की व्यस्तता के बीच समय चुराकर फ़ेसबुक पर छोटे-छोटे नोट्स डालता हूँ…। आप भी ऐसा कर सकती हैं कि फ़ेसबुक पर पधारें और नारी ब्लॉग को नया आयाम दें…।
बड़ा लक्ष्य और बड़े सामाजिक उद्देश्य कभी एक जीवन में पूरे नहीं होते, हम सिर्फ़ उसमें छोटा सा योगदान भर दे सकते हैं…। आपने दिया है, हम इसके प्रति आभारी हैं, जब भी वापस आएंगी तहे-दिल से स्वागत ही होगा… हम अभी यहीं बने रहेंगे… :) :) (जनवरी 2012 में मेरे भी पाँच साल हो जाएंगे ब्लॉगिंग में)
सामाजिक कार्य करने वाले सार्वजनिक होते हैं अतः उनका हक़ है कि कारण पूंछा जाये ...और रचना जैसा व्यक्तित्व यह बता नहीं पा रहा यह समझ से बाहर है !
ReplyDeleteआपको कलम नहीं छोडनी चाहिए !
सस्नेह शुभकामनायें !!
ReplyDelete@ रचना !
आम आदमी कभी समझदार नहीं होता , आम आदमी को भीड़ का अंग मानकर मनीषी लिखते रहे हैं !
अगर यह पथप्रदर्शक नहीं होते तो शायद यह समाज भी नहीं होता ! आम पाठक से, लीक से हटकर चल सकने की क्षमता वाले एक लीडर का हटना , सामान्य और अविकसित समाज के लिए घातक होगा !
बहुत सी बातों में , आपका आलोचक होने के बावजूद, मैं आपको इन्ही लोगों ( मनीषियों ) में से गिनता रहा हूं ! आपको, अपने आपको लेखन से अलग नहीं करना चाहिए !
यहाँ ब्लॉग लेखन में एक से घटिया लोगों के मध्य निडर लेखन, वह भी एक महिला के द्वारा आसान नहीं है ! सामान्य महिला लेख़क एक या दो घटिया टिप्पणियों से घायल होकर या तो भाग खड़ी होती है अथवा घुटनों के बल बैठ जाती है !
आपका तथाकथित जिद्दी स्वभाव और अपनी बनाई और सोंची लीक को न छोड़ना, आपका गुण है यह हजारों कमज़ोर बच्चियों को उनके मुंह में जबान दे सकने की क्षमता रखता है ! किसी भी कारण इस अच्छे कार्य को छोड़ कर भाग जाना मेरे जैसे, तुम्हारे प्रसंशकों को निराश करेगा !
भारतीय नारियों को मज़बूत और निडर आवाज की बेहद जरूरत है और इस कमी को तुम्हारी जैसी नेत्री बखूबी पूरी कर रही है !
बापस आ जाओ रचना !
आप जैसे लोगो की यहाँ जरुरत है !आपको को बीच में नहीं जाना चैये
ReplyDeleteआप जैसी जीवट महिला का यह निर्णय किसी प्रकार स्वागत योग्य नहीं ...
ReplyDeleteकृपया पुनर्विचार करें और अल्पविराम के उपरान्त पुनः सक्रियता बढ़ाएं...
आपकी प्रतीक्षा रहेगी..
'tanki arohan'......is shabd ke liye
ReplyDelete'khed' hai....kshma karenge.........
pranam
आपका फैसला ठीक नहीं है। मुझे तो लगता है कि जल्दबाजी और भावनाओं में बहकर लिया गया है। एक बार फिर से विचार कीजिए।
ReplyDeleteवजह आपने यहां नहीं लिखा तो इसके पीछे कोई वजह होगी, लेकिन काम पूरा हुआ या नहीं ये फैसला आप अकेले कैसे कर सकती हैं।
दोबारा विचार कीजिए अपने इस फैसले पर
नारी ब्लॉग यानी ब्लॉग जगत के सो कोल्ड "पुरुष" के खिलाफ मोरल पोलिसिंग . तीन साल में ही दम निकल गया पुरुष समाज का मोरल पोलिसिंग से और मेरे देश की बेटियाँ , बहुये , माँ सदियों से इस मोरल पोलिसिंग को बर्दाश्त कर रही हैं . सोचिये , अपने अन्दर झांकिये कैसा लगता हैं उन सब को जब उन्हे ये समझाया जाता हैं , ये ये मत करो क्युकी तुम नारी हो . ये मत पहनो ये पहनो क्युकी ये भारतीये संस्कृति हैं . उनकी सहनशीलता को उनकी कमजोरी मान लेना क्या पौरुष हैं ????
ReplyDeleteउल्ट दिया मैने वो यहाँ और देखती रही की किस प्रकार से मुझे संबोधन दिये जाते रहे . सोचिये ना जाने कितने ऐसे ही संबोधन आप के घरो में मौजूद आपकी बेटियाँ , पत्निया और माँ आप को "मन " से अपने "मन " में देती हैं . कहीं पढ़ा था अगर हर स्त्री एक दम सच बोलने लगे तो ये दुनिया पुरुषो के लिये नरक हो जाए .
नारी ब्लॉग पर जो लिख चुकी हूँ , जिन्दगी उन मुद्दों से १० साल आगे चल रही हैं . अब अगर और लिखती हूँ तो या तो खुद को रिपीट करुँगी
ब्लॉग मैने बनाया हैं लेकिन मेरे अकेले का नहीं हैं . आभासी दुनिया की चीज़ आभासी दुनिया में इस ब्लॉग के सदस्यों के हवाले कर के जाना मुझे तो सुकून ही देता हैं . मेरा काम यहाँ तक था किया अब और लोग कर रहे हैं . दो नयी पोस्ट आ ही चुकी हैं और आएगी . नारी का ब्लॉग हैं नारी की अभिव्यक्ति होती रहेगी .
सभी को सादर सप्रेम नमस्ते
शायद ना जाना ही नियति थी और संझा ब्लॉग को अब केवल खुद लिखना भी
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