आज कल हिंदी ब्लॉग / ब्लॉगर , आभासी दुनिया मे रोमांस के परिणाम देख रहा हैं । रोमांस यानी प्रेम , यानी आत्मिक प्रेम , यानी एक दूसरे के प्रति वो भाव जो किसी और के लिये ना उपजा हो
उफ़ इतना समझाना जब एक दूसरे को पडे कि प्रेम क्या हैं तो प्रेम तो करने का समय कितना मिलता होगा । वो भी आभासी दुनिया मे ।
आज कल तो टीन एजर भी "मूव अहेड " मे विश्वास करते हैं फिर ब्लॉगर प्रेमी युगल या प्रेमी तीकोंड क्यूँ नहीं "मूव अहेड " करते हैं ।
क्यूँ बार बार आप उन्ही ब्लोग्स पर जा कर उन्ही पोस्ट्स को पढते हैं जिनमे आप के विफल प्रेम प्रसंग का विवरण हैं ।
और क्यूँ बार बार आप अपने प्रेम प्रसंगों को ब्लॉग पर डालते हैं , अपनी विफलताओ का इतना प्रचार कौन करता हैं । आप अपना चरित्र हनन खुद कर रहे हैं । आप अपने को उपहास का पात्र खुद बना रहे हैं ।
रोमांस एक fantacy मात्र हैं ये समझना इतना कठिन क्यूँ हैं ??
ब्लॉग पर मुद्दे पर लिखिये शायद कहीं किसी को कोई मुद्दा भा जाए और आप के पास एक "समान सोच " रखने वाला "आत्मिक मित्र " हो जाए ।
ये पोस्ट किसी के भी समर्थन और विरोध मे नहीं हैं हां जिस प्रकार का माहोल यहाँ बनाया जा रहा हैं महिला / पुरुष कि मित्रता को लेकर वो अशोभनीये । प्रेम करिये तो प्रेम कि मर्यादा को निभाना भी सीखिये ।
नारी ब्लॉग पर इस पोस्ट का कोई औचित्य नहीं हैं पर रोमांस मे कहीं ना कहीं नारी पुरुष संबंधो का मिश्रण होता हैं और कुछ दिनों से जो सुनने मे आ रहा हैं वो बेहद गलोच भरा हैं । प्रेम ईश्वर का वरदान हैं अगर आप को मिला हैं तो उसका सम्मान करिये । प्रेम मे लेना नहीं देना सीखिये । प्रेम करिये तो सबसे पहले उसको महसूस करने के लिये चुप रहना सीखिये । और सबसे बड़ी बात अगर प्रेम किया हैं तो "ना " को भी स्वीकारना सीखिये ।
प्रेम जब आप कर रहे थे तो आप बस दो लोग थे फिर आप को प्रेम ख़तम होने के बाद एक "खेमा " क्यूँ चाहिये अपनी बात कहने के लिये ।
I haven't been regular on hindi blogs lately but if the romance is between two people (mature people) then it should stay that way. There is not need to broadcast it on blogspot.
ReplyDeleteBut, that's my personal opinion.
अब इस पर का कहे समझ नहीं आ रहा है |
ReplyDeleteआप के पास कोई उपाय है तो बताये की कोई हमको फालो करना बंद कर दे ताकि हमारे बेकार के ब्लॉग को किसी को बेकार में ना पढ़ना पढ़े और बेकरारी में बेकार में मेरी चर्चा करके अपना समय ना बेकार करे और हमारे बेकार समय कुछ बेकार के काम के बजाये अच्छे काम में बेकार हो | देखिये बेकार में हम इतना कुछ लिख गये अब आप का समय भी बेकार जायेगा | :)))
चाहे आभासी दुनिया हो या वास्तविक दुनिया, चाहे वो रोमैंस हो या अच्छी दोस्ती हो, या तो कोई करे ना और अगर करे तो उसका सम्मान करे. उसे यूँ सार्वजनिक करके प्रेम और रोमैंस जैसी कोमल भावनाओं का मज़ाक ना बनाए और सहानुभूति पाने के चक्कर में खुद अपनी छवि का छीछालेदर ना करे.
ReplyDeleteलेकिन जब कोई एक अंतरंग बातों को सार्वजनिक करके दूसरे की छवि बिगाड़ने की कोशिश करता है, तो दूसरे को बोलना ही पड़ता है अपनी सफाई में. पर बात वहीं खत्म हो जानी चाहिए... ये मेरा विचार है.
वैसे तो सबको अपने विचार जाहिर करने की छूट है, पर जब कोई सहानुभूति जताने के लिए बार-बार दूसरों से समर्थन माँग रहा हो तो बात किसी एक की नहीं रह जाती...
खैर सुधी जन को चाहिए कि ऐसे लोगों को पढ़ना बंद कर दें, जैसा मैंने किया है. फालतू की पोस्ट पढ़ना बंद कर दिया है.
प्रसंग पल्ले न पड़ा...क्या टिपण्णी करूँ ????
ReplyDeleteyou are very right .i am fully agree with you .
ReplyDeleteKuch samjhi hi nahi ki kisne kisse kab kaise romance kiya ya dhokha diya ya.....?
ReplyDeleteअब क्या तो कहें.बस सहमत है आपसे.
ReplyDeleteप्रेम करिये तो प्रेम कि मर्यादा को निभाना भी सीखिये ।
ReplyDeleteबिलकुल क्या बात कही है !
प्रेम ईश्वर का वरदान हैं अगर आप को मिला हैं तो उसका सम्मान करिये । प्रेम मे लेना नहीं देना सीखिये ।
मुला-बाँझ का जाने प्रसव् की पीड़ा ...
बाकी आपकी बैटन (=बातों-ये गूगल भी कभी कभी और भी सार्थक अभिव्यक्ति दे देता है :) ) से सौ फीसदी सहमति और सम्मान ! कहीं कोई अन्तर्विरोध नहीं !
@मुक्ति की बातों से भी पूर्ण सहमति ...
ReplyDeleteबाकी और लोगों की इन्नोसेंस पर बलि जाऊं -सब चंद्रग्रह के प्राणी हैं क्या ?
पुनः कहूँगा एक सार्थक मुद्दे की पोस्ट ....
anbhuti ko anbhuti rahne do
ReplyDeletekoi abhivyakti na do......
out of contest....you too....
pranam.
We must respect the freedom of others
ReplyDeleteमैं पहले भी कहता आया हूँ और अभी भी कहता हूँ.. कि ब्लॉग एक ऐसी जगह है जहाँ कोई भी कुछ भी लिख सकता है और दूसरा चाह कर भी उसे रोक नहीं सकता है.. उदाहरण स्वरूप आपका यह पोस्ट उन प्रेम प्रसंगों को नहीं रोक सकता है और ना ही वे प्रेम-प्रसंग आपके पोस्ट को रोक सके.. यहाँ कोई भी इतना मूढ़ नहीं कि अपना बुरा-भला ना समझ सके, सो यह समझाना व्यर्थ है किसी को भी.. लोगों को उनके हाल पर छोडिये, और आप मुद्दे कि बात कीजिये.. मैं अरविन्द मिश्र जी से असहमत हूँ कि "आपने सार्थक मुद्दे कि बात कही है".. मेरी समझ में आपने किसी कि निजता को बाँधने का विचार लिखा है, जो संभव नहीं है..
ReplyDeleteजो मुद्दे की बात कहने आते हैं यहाँ वह कहते भी हैं, मगर हर कोई मुद्दे की ही बात कहे यह अपेक्षा क्यों, यह मेरी समझ के बाहर है..
lokatantr jindabad !
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