आपने मेरी पहली पोस्ट में दहेज़ मृत्यु के सम्बन्ध में भा.दंड सहिंता की धारा और इस सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट के कुछ निर्णय पढ़े .अब आगे मैं इसी सम्बन्ध में की गयी कुछ और व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी आपको दे रही हूँ आशा है कि आप लाभान्वित होंगी.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा ११३-अ उन दशाओं का वर्णन करती है जब कोई विवाहिता स्त्री विवाह की तिथि से ७ वर्ष के अन्दर आत्महत्या कर लेती है.धारा ११३-अ कहती है-
"जब यह प्रश्न है कि क्या स्त्री द्वारा आत्महत्या करने की उत्प्रेरणा उसके पति या उसके पति के किसी सम्बन्धी -रिश्तेदार द्वारा दी गयी थी और यह प्रदर्शित किया गया कि उसने अपने विवाह के दिनांक से सात वर्ष कि अवधि के अन्दर आत्महत्या कारित की थी और यह कि उसके पति या उसके पति के ऐसे सम्बन्धी ने उसके प्रति क्रूरता का व्यवहार किया था तो न्यायालय मामले की सभी अन्य परिस्थितियों में ऐसे को ध्यान में रखते हुए यह उपधारना कर सकेगा कि ऐसी आत्महत्या उसके पति या उसके पति के ऐसे सम्बन्धी द्वारा उत्प्रेरित की गयी थी ."
इसी तरह साक्ष्य अधिनियम की धारा ११३-बी दहेज़ मृत्यु के बारे में उपधारना के बारे में उपबंध करती है.जो निम्नलिखित है:-
"यह प्रश्न है कि क्या किसी व्यक्ति ने किसी स्त्री कि दहेज़ मृत्यु कारित की है और यह दर्शित किया जाता है कि मृत्यु से ठीक पहले उसे उस व्यक्ति द्वारा दहेज़ की मांग के सम्बन्ध में परेशान किया गया था या उसके साथ निर्दयता पूर्वक व्यवहार किया गया था न्यायालय यह उपधारना करेगा कि ऐसा व्यक्ति दहेज़ का कारण रहा था."
अब आते है कोर्ट के दृष्टिकोण पर तो ऐसा भी नहीं है कि कोर्ट इस विषय में एकपक्षीय होकर रह गयी हों .न्यायालय हमेशा न्याय के साथ होते हैं और इस विषय में भी ऐसा ही है .दहेज़ मामलों में वधु-पक्ष द्वारा वरपक्ष के लगभग सभी लोगों को आरोपित कर दिया जाता है इससे एक तो वरपक्ष पर दबाव बढ़ जाता है तो दूसरी और वधुपक्ष का ही मामला कमजोर पड़ जाता है .साथ ही ऐसे मामले बहुत लम्बे खिंच जातें हैं और न्याय में देरी का आक्षेप न्यायलय पर आ जाता है.
अभी आगे और..................
स्त्रियों से सम्बन्धित कानूनों की जानकारी इस ब्लाग पर देख कर अच्छा लग रहा है।
ReplyDeleteअच्छी जानकारी | अब भविष्य में किसी को भी इस कानून की जानकारी चाहिए होगा तो हम सभी को पता होगा की उसकी जानकारी हमें नारी ब्लॉग पर मिल जाएगी |
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