भारतीय समाज का एक वीभत्स स्वरुप दहेज़ के रूप में दिखाई देता hai .न्यायालय और कानून इस सम्बन्ध में कठोर रुख रखते हैं.जो कि निम्नलिखित है:
धारा ३०४-ख भारतीय दंड संहिता दहेज़ मृत्यु से सम्बंधित है-
१-जहाँ किसी स्त्री की मृत्यु किसी दाह या शारीरिक क्षति द्वारा कारित की जाती है या उसके विवाह के सात वर्ष के भीतर सामान्य परिस्थितियों से अन्यथा हो जाती है और यह दर्शित किया जाता है कि उसकी मृत्यु के कुछ पूर्व उसके पति ने या उसके पति के किसी नातेदार ने ,दहेज़ कि किसी मांग के लिए ,या उसके सम्बन्ध में ,उसके साथ क्रूरता कि थी या उसे तंग किया था वहाँ ऐसी मृत्यु को "दहेज़ मृत्यु "कहा जायेगा और ऐसा पति या नातेदार उसकी मृत्यु कारित करने वाला समझा जायेगा.
२-जो कोई दहेज़ मृत्यु कारित करेगा वह कारावास से ,जिसकी अवधि सात वर्ष से कम नहीं होगी किन्तु जो आजीवन कारावास तक हो सकेगी ,दण्डित किया जायेगा .
ये तो हुई अधिनियम की बात ,इसके साथ ही न्यायालय ने भी इस सम्बन्ध में कठोर रुख अपना रखा है
पवन कुमार बनाम हरियाणा राज्य ऐ .आई .आर.१९९८ सु.कोर्ट में यह अभिनिर्धारित किया गया की दहेज़ के लिए करार किया जाना आवश्यक नहीं है .यदि विवाह के तुरंत पश्चात् वधु अथवा उसके माता पिता से रेफ्रीजेरेटर ,स्कूटर आदि की मांग की जाती है तो यह कहा जायेगा की यह विवाह से सम्बंधित है तथा इससे भा.दंड सहिंता के अंतर्गत "दहेज़ की मांग"का मामला गठित होगा.
शांति बनाम हरियाणा राज्य ऐ.आई.आर.१९९१ सु.को.१२२६ के मामले में विनिश्चित किया गया की इस अपराध के लिए मिम्नालिखित तत्वों का होना आवश्यक है:-
१-महिला की मृत्यु अप्राकृतिक दशा में जलने के कारण या शारीरिक चोट के कारण हुई हो.
२-ऐसी मृत्यु मृतका के विवाह के सात वर्ष के अन्दर हुई हो .
३-मृतका को उसके पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा प्रताड़ित किया गया हो.
४-ऐसी प्रताड़ना दहेज़ की मांग को लेकर की जा रही हो.
मृतका की मृत्यु होते ही उसके मायके वालों को कोई सूचना दिए बिना उसका शीघ्रता से दाह संस्कार कर देना एक ऐसी परिस्थिति है जो अप्राकृतिक मृत्यु के संदेह की पुष्टि के लिए एक उचित कारण मानी जा सकती है .
अभी आगे और मेरी दूसरी पोस्ट में;
महिलाओं से संबंधित कानूनों की जानकारियों का इस ब्लाग पर आरंभ होने का स्वागत है।
ReplyDeleteachchi jankari dene ke lie dhanyvad
ReplyDeleteshalini kaushik
ReplyDeleteon many informative posts we dont get too many comments but that should not stop us from sharing the valuable information that can help others
a very informative post please continue
कानूनों की जानकारियों का स्वागत !
ReplyDeleteबहुत अच्छा लेख है आप का
ReplyDeleteजानकारी अच्छी लगी इस समय सीमा को 7 वर्ष से बढाकर आजीवन करने का प्रस्ताव महिला आयोग द्वारा रखा तो गया था पर बाद में क्या हूआ कुछ पता नहीं चल पाया इसमें व्यवहारिक दिक्कतें कहाँ है?क्या ऐसे मामले सचमुच सामने आये है जिनमें सात वर्ष बाद भी दहेज मृत्यु जैसा केस बनता हो? महिला की मृत्यु चाहे जिस कारण से हुई हो ऐसे में केवल वधू के मायके वालों के बयान को कानून कितना महत्तव देता हैं ?वैसे आपकी अगली पोस्ट का इंतजार है कुछ सवाल और है.
ReplyDeleteमहिलाओं से संबंधित कानूनों की जानकारी महिलओं के लिए बहुत जरुरी है इस समबन्ध में आपकी यह पोस्ट उपयोगी लगी... ..
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति के लिए आभार