December 10, 2010

भ्रष्टाचार और हम




पिछले कई दिनों से हर समाचार माध्यम की मुख्य खबर भ्रष्टाचार से संबंधित है। करीब-करीब तीन हफ्ते होने को आ रहे हैं और पक्ष तथा विपक्ष दोनों अपनी अपनी बातों पर अडिग है संसद ठप्प है। राजा अपना इस्तीफा दे चुके हैं, सीवीसी के पद पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है....सुप्रीम कोर्ट को इलाहाबाद हाईकोर्ट ईमानदारी में संदिग्धता नजर आ रही है....कल जो व्यक्ति नागरिक और उड्डयन मंत्रालय पर रिश्वत मांगने का आरोप लगा रहा था आज वही नीरा राडिया टेप कांड के बाद खुद को टू जी स्पैक्ट्रम में फंसा पा रहा है...कॉमनवेल्थ खेल में हुए भ्रष्टाचार पर आने वाली खबरों का अभी अंत नहीं हुआ है। हां, इस बीच एक अच्छी खबर भी आई देश की भ्रष्टतम आईएएस अधिकारी नीरा यादव को चार साल की कैद की सजा सुनाई गई। वे हाल-फिलहाल जेल में हैं, पर कितने जेल में रहेंगी इस बारे में पूरे विश्वास से कोई कुछ नहीं कह सकता, क्योंकि पैसे के लालच में और अपने पेशे की दुहाई देते हुए कोई न कोई वकील उनकी जमानत करवा ही लेगा।

भ्रष्टाचार आतंकवाद का एक बदला हुआ रूप है। आतंकवादी सीधे-सीधे अपना काम करते है; वो जो कुछ करते है वह तुरंत लोगों के सामने आ जाता है। सरकारी मशीनरी सक्रिय होती है लोग पकड़े जाते है, अगर पकड़े नहीं भी जाते तो भी संगठन की पहचान तो हो ही जाती है और ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित करने की कोशिशे शुरू हो जाती है। पर भ्रष्टाचार के मामले में ऐसा नहीं होता, यहां सब लोग सब कुछ जानकर भी अंजान बनने का ढोग रचते हैं। भ्रष्टाचार घुन की तरह देश को खा रहा है, पर भ्रष्टाचारी अपने आकाओं के साए तले आराम से घूम रहे हैं।

एक बात तो तय है कि देश के सामाजिक और नैतिक मूल्यों का पतन बहुत तेजी से हुआ है। आज की तारीख में लालच बहुत बढ़ गया है। किसके पास कितना पैसा है यह उसका स्टेटस तय करता है। अतः हर व्यक्ति अपने को दूसरे से श्रेष्ठ दिखाने के येन केन प्रकारेण धन कमाना चाहता है। इसलिए सिर्फ लाभ देने वालो को ही दोषी ठहराना न्यायोचित नही होगा, लाभ लेने वालों पर भी लगाम कसनी होगी। क्योंकि इस अपराध में दोनों बराबर के भागीदार हैं। सामान्यतः अगर कोई किसी को आर्थिक या कोई अन्य लाभ दे रहा है तो निश्चित रूप से रूप से उसमें उसका अपना भी कोई न कोई फायदा जरूर होगा...या तो वह अपने किसी गलत काम को सही करवा रहा होगा...या अपनी भाग-दौड़ से बचने के लिए सम्बद्ध अधिकारी को पैसा खिला रहा होता है। पर इन लोगों की वजह से स्थितियां ऐसी बन गई हैं कि अब अपना सही काम करवाने के लिए भी सम्बद्ध अधिकारियों को पैसा खिलाना पड़ता है।

पहले पैसा खाते-खिलाते समय थोड़ी शर्म-लिहाज होती थी, पर आज बदली हुई परिस्थितियों में एक पक्ष पैसा लेना अपना अधिकार समझता हैं तो देना वाला भी इसको बहुत गलत निगाह से नहीं देखता, बल्कि सच तो यह है कि काफी हद तक समाज में यह प्रक्रिया स्वीकार कर ली गई है। मामला तभी उलझता है जब बात लाखों करोड़ों की हो। बात अगर हजारों तक सीमित हो, तो कोई ऐसे मामलों पर कोई तव्वजो नहीं देता।

पेपर में आज भ्रष्टाचार को लेकर एक बड़ा दिलचस्प सर्वे छपा है। यह सर्वे मुंबई के एक कॉलेज के छात्रों पर किया गया है। सर्वे के अनुसार छात्रों का मानना है की देश के 96 प्रतिशत राजनीतिज्ञ भ्रष्टाचारी है, लेकिन 75 प्रतिशन छात्रों का यह भी कहना कि अगर सड़क के नियमों को तोड़ते वक्त यदि ट्रैफिक पुलिस उनको पकड़ती है तो वो ले देकर मामला सुलटा लेंगे। यह हमारे देश के भावी भविष्य का सोच है। इसे आप क्या कहेंगे?

-प्रतिभा वाजपेयी.

5 comments:

  1. kafi din baad aayee aap ki post pratibha
    thanks

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  2. अब जरुरत इस बात की भी है की हमें मिल कर इस विकराल समस्या को सुलझाने के लिए कुछ व्यावहारिक उपाय भी बताना शुरू करना होगा | पानी अब सर से ऊपर जा रहा है |

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  3. जी हां रचनाजी, बीच में मैं बाहर चली गई थी..इस कारण भी थोड़ा व्यवधान आया।

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  4. अब तो कहावत ही पलट गइ हैं-
    यथा प्रजा तथा (ए.)राजा

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