दिवाली आ रही हैं और एक दूसरे के घर भेट भी ले जाई जाती हैं । मिठाई का प्रचलन कम हो रहा हैं और जिस प्रकार से मिठाई मे मिलावट आ रही हैं तो घर की बनी मिठाई ही एक मात्र आसरा हैं !!!!
आप से आग्रह हैं की हो सके इस दिवाली उन जगहों से समान ले जहाँ हमारे अपने लोगो की बनायी वस्तुए मिलती हैं । मै आज खादी ग्राम शिल्प से बहुत सा समान लाई । नैचुरल चीजों के फैशन को देखते हुए वहाँ तरह तरह के शैंपू , साबुन और सौन्दर्य प्रसाधन जो बहुत कम पैसे के हैं । एक नैचुरल साबुन की टिक्की महज ४० रुपए की हैं जो माल मे २०० रुपए की मिलती हैं क्युकी वो ईजिप्ट या ग्रीस से इंपोर्ट की होती हैं । गिफ्ट पेक भी मिल रहे हैं ।
महिला के लिये साड़ियाँ और सूट हैं जिनके दाम बहुत कम हैं और अब डिजाईन बहुत खुबसूरत हैं । पुरुषों के लिये कोटन की शर्ट केवल ३२५ र मात्र मे हैं और उस पर भी २० % का डिस्काउंट दे रहे हैं ।
अगर आप अपनी कोटेज इंडस्ट्री को बढावा दे तो यहाँ लोगो को कुछ काम ज्यादा मिलेगा । खरीदेगे तो आप हैं ही सो क्यूँ ना ऐसी जगह से खरीदे जहाँ अपने देश की वस्तु मिल रही हैं । इस रिसेशन के दौर मे अपने घर के लोगो को काम मिले यही ख्याल हैं मन मे इस पोस्ट को लिखते समय ।
आप जब भी प्रगति मैदान जाये और वहाँ सरस का पवेलियन देखे तो अन्दर जरुर जाये और कुछ जरुर ले । इस इंडस्ट्री को आप के प्रमोशन की जरुरत हैं । अगर ४० रुपए मे काम हो सकता हैं तो ४०० क्यूँ खर्च किये जाये ।
सरस और खादी , दोनों जगह स्कर्ट और टॉप भी बहुत ही बढिया मिल रहे हैं और आज की जनरेशन के लिये बहुत सुंदर हैं । कोई भी पहनावा बुरा नहीं होता । पहनावा बस आप पर जंचना चाहिये और आप को उसको पहन कर सुकून मिलना चाहिये । भाषा और पहनावा कोई भी हो पर मन मे अपने देश , अपने संस्कारो के प्रति आस्था होनी चाहिये और जहाँ तक सम्भव हो हर स्वदेशी वस्तु को ही खरीदना चाहिये ताकि अपने लोगो को काम मिले ।
देश मे अमन चैन रहे और हम अपने देश के लिये मरने के लिये तैयार रहे क्युकी देश से बड़ा कुछ नहीं होता ।
हर दिवाली एक दीपक ऐसा जलाए जिस मे अपने अंदर की हर बुराई की बाती बनाये और उसको जलाए । उस दिये मे तैल को अपनी कमजोरियां माने ताकि आप की बुराइयां और कमजोरियां दोनों स्वत ही ख़तम हो जाए
शुभ दीपावली
वंदे मातरम
जय हिंद
बहुत सही और प्रेरक आह्वान।
ReplyDeletebahut sahi
ReplyDeleteबहुत अच्छी खबर !
ReplyDeleteबहुत सार्थक आव्हान..... धन्यवाद
ReplyDeletecorrection
ReplyDeleteबहुत सार्थक आव्हान..... धन्यवाद
एक बहुत अच्छी बात कही है..
ReplyDeleteबहुत सार्थक सन्देश और अस्च्छी जानकारी दी है। धन्यवाद।
ReplyDeleteकोशिश यही रहती है कि ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी अपनाएं ....
ReplyDeleteसार्थक पहल ...
उपयोगी पोस्ट ...!
बहुत अच्छा सन्देश दिया धन्यवाद |
ReplyDeleteसार्थक और समीचीन !
ReplyDeleteयह किस्सा भी बेशर्म भारतीय राजनीति में निर्लज्जता का ही अध्याय है
बहुत सार्थक आव्हान.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी बात कही आपने...
ReplyDeleteमन आनंदित हो गया...आपका बहुत बहुत आभार...
किसी भी मौसम के लिए खादी के कपडे जितने आरामदेह होते हैं,उतने और किसी के नहीं...
देसी लघु और कुटीर उद्योगों को हमें प्रोत्साहन देना ही चाहिए..
मंहगे ब्रांडों और बोतल (कोल्ड ड्रिंक्स) संस्कृति से मैं बहुत दूर रहती हूँ...
अच्छी सोच।
ReplyDelete..............
यौन शोषण : सिर्फ पुरूष दोषी?
क्या मल्लिका शेरावत की 'हिस्स' पर रोक लगनी चाहिए?
bahut sarthak bat kahi hai. isake liye badhai.
ReplyDeleteचलिए मान ली आपकी बात ।
ReplyDeleteचलिए मान ली आपकी बात ।
ReplyDeleteसार्थक संदेश !!
ReplyDeleteएक स्वस्थ और सार्थक सुझाव।
ReplyDeleteएक सार्थक आव्हान..... धन्यवाद...
ReplyDeleteआपने बहुत अच्छा संदेश दिया है। लगता है कि देश प्रगति की ओर जा रहा है। सार्थक प्रयास है।
ReplyDeleteबिलकुल ठीक कहा आपने ...शुभकामनायें !
ReplyDeleteस्वदेशी वस्तुओ के उपयोग और आदान प्रदान के लिए बेहतर विकल्प और उनकी जानकारिया भी उपलब्ध होनी अति आवश्यक है क्योकि अंतर राष्ट्रीय उत्पादनों ने हमारे रोज़मर्रा के जीवन में जगह बना ली है
ReplyDeleteस्वदेशी वस्तुओ के उपयोग और आदान प्रदान के लिए बेहतर विकल्प और उनकी जानकारिया भी उपलब्ध होनी अति आवश्यक है क्योकि अंतर राष्ट्रीय उत्पादनों ने हमारे रोज़मर्रा के जीवन में जगह बना ली है
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