May 13, 2010

सुषमा और अनामिका को अपनी राय दे

नाम सुषमा
उम्र ५० साल
शिक्षा बी कॉम
विवाहित ३ बच्चे १ लड़का उम्र २२ साल , २ लड़का उम्र १८ साल , ३ लड़की उम्र १६ साल पढ़ रहे हैं
पति का अपना व्यवसाय

पति के साथ अब और नहीं रह सकती , पति के साथ बहुत सी समस्या जो शादी के समय से अब तक बढ़ ही रही हैं । मायके मे कोई साथ देने वाला नहीं , पति किसी के साथ भी बात नहीं करते । पत्नी का एक अन्य स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध भी रह चुका हैं । पति रोज सहवास कि कामना रखते हैं । पति चाहते हैं कि सुषमा केवल और केवल वही करे जो पति कहते हैं । सुषमा का कहना हैं को मैने २५ विवाहित जीवन वही किया जो पति ने कहा अब और नहीं सहा जाता , मेरी सेहन शक्ति चुक गयी गयी हैं । मै शारीरिक सम्बन्ध नहीं अब रखना चाहती । मै घर मे रहना चाहती हूँ पर पति से अलग ॥


सुषमा के पास क्या क़ानूनी अधिकार हैं अगर कोई इन पर जानकारी दे सके तो ये जानकारी सुषमा को पंहुचा डी जायेगी । इसके अलावा सुषमा को "करना " क्या चाहिये अगर इस विषय मे भी कोई अपनी राय देना चाहे तो ये ध्यान दे कि १० साल पहले जब सुषमा इसी प्रकार कि स्थिति मे थी तो सब ने ये कहा था कि पति के साथ निभाओ , उसका ज्यादा ध्यान रखो , जब वो रुपया पैसा सब देता हैं तो अब तुमको अपने बच्चो के बारे सोचना चैये अपने बारे मे नहीं और सुषमा ने वही किया लेकिन अब वो इस बात को नहीं सुनना चाहती हैं ।

नाम अनामिका
उम्र 45 साल
शिक्षा बी ऐ
अविवाहित दो पुत्रिया दोनों नौकरी कर रही हैं
पति कोई काम नहीं करते

अनामिका के पति बहुत सालो से कोई काम नहीं करते । वो क्या चाहते हैं अनामिका को समझ ही नहीं आता हैं । इस समय कि परिस्थिति मे घर मे जो भी पैसा था उसको खर्च कर चुके हैं और अब उनकी डिमांड हैं कि जो एफ डी अनामिका कि बेटियों के नाम हैं वो भी तुडवा कर उनको दे दी जाए । सुबह से पति घर से चले जाते हैं , दोपहर को आते हैं जम कर खाना खाते हैं और अगर मन पसंद खाना ना बने तो बाय बवेला मचाते हैं । घर मे ससुर हैं तो तलक शुदा बेटी के साथ रहते हैं पर घर एक होते हुए भी सबकी गृहस्थी अलग हैं ।

इस बार अनामिका के एफ डी ना देने पर उन्होंने आत्म हत्या कि धमकी दी हैं और ये भी कहा हैं कि वो दोनों लड़कियों और अनामिका का नाम सुसाइड नोट मे लिख जायेगे ।

अनामिका और उसकी बेटिया अब अलग रहना चाहती हैं क्या सही हैं उनके लिये , क्या कोई क़ानूनी राय इस ब्लॉग के माध्यम से दे सकता हैं । अनामिका को और भी राय चाहिये कि वो क्या करे क्युकी वो किसी से भी खुल कर इस विषय मे बात नहीं करना चाहती हैं


अपनी राय दे
ये ध्यान रखते हुए कि ये दोनों सत्य घटनाये और जीवित पात्र हैं

5 comments:

  1. अच्छी पोस्ट है...
    इस बारे में विवाहित लोग ही बेहतर राय दे सकते हैं...

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  2. इन दोनों ही मामले में समाधान कानूनी से ज्यादा सामाजिक और स्वास्थ्य आधारित करने की आवश्यकता है / सहवास की इक्षा स्त्री हो या पुरुष दोनों में होती है और यह बुडी बात भी नहीं है ,लेकिन रोज सहवास या किसी अन्य स्त्री से सहवास के लिए नाता जोरना निश्चय ही मानसिक विकृति और कमजोरियों को दर्शाती है / इसका समाधान ,स्त्री, पति को बेहद भावनात्मक और शारीरिक समर्पण के जरिये भी कर सकती है और दूसरा समाधान चिकित्सा का है ,किसी अच्छे मनोचिकित्सक से दिखाया जा सकता है / रही पति के काम नहीं करने की बात तो इसके भी शारीरिक,भावनात्मक और सामाजिक कारण हो सकते हैं / इन दोनों मामलों में अगर इमानदार मध्यस्थ हो तो समाधान आसानी से निकाला जा सकता है ,लेकिन अगर इन मामलों पे किसी कुटिल या दुष्ट मध्यस्थ का नजर पर जाय तो ये समस्या गंभीर रूप धारण कर लेती है /

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  3. दोनो की समस्याएं हल होने योग्य हैं , साहस दिखाना पड़ेगा ।
    अकर्मण्य पति की हरकतोँ का बयान पत्नी व बेटियाँ कोर्ट मे दर्ज करा देँ । PO भी ऐसे मामले निपटाता है । जो स्त्री
    दूसरे पुरुष से सम्बन्ध रख सकती है वह अपने पति से तलाक ले या परपुरुष त्यागे या जेल जाए ।

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  4. सुषमा और अनामिका दोनों की समस्याएं गंभीर हैं ! इन दोनों महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के लिए तो कोई वकील ही समुचित राय दे सकता है लेकिन एक सामाजिक व्यक्ति और महिला होने के नाते मैं उनसे इतना अनुरोध तो कर ही सकती हूँ कि अपने आत्म सम्मान को बरकरार रखते हुए एक साधिकार व्यवस्थित जीवन जीने का उन्हें पूरा हक है जिसे कोई नहीं छीन सकता ! सुषमा को अपने बेटों को अपने विश्वास में लेना होगा ! बड़े दोनों बेटे इस योग्य तो हैं ही कि अपनी पढाई पूरी होने तक ट्यूशंस या अन्य कोई काम करके अपनी माँ की ज़रूरतों व छोटे भाई की पढाई का खर्च जुटा सकें ! पति कितना भी चरित्रहीन या निरंकुश हो अपने दायित्वों से मुंह मोड़ने की इजाजत उसे क़ानून नहीं देता अत: पत्नी और बच्चों के भरण पोषण की जिम्मेदारी तो उसे उठानी ही होगी ! अगर सीधी तरह से बात ना बने तो फैमिली कोर्ट में जाकर मामले का समाधान ढूँढा जा सकता है ! लेकिन इस तरह बातें उजागर होने पर परिवार की प्रतिष्ठा पर आँच आ सकती है !
    अनामिका अभी जिस अवस्था में हैं उन्हें अपनी जीविका के लिए किसी भी प्राइवेट संस्थान में नौकरी मिल सकती है ! उनकी दोनों पुत्रियां विवाहित हैं अत: उन पर पति के अत्याचार सहने के लिए विवश होने का कोई कारण नहीं है ! पति की धमकियों से डरने की कोई आवश्यकता नहीं है ! जो गरजते हैं वो बरसते नहीं ! स्थितियां यदि अनुकूल ना बनें तो वे भी फैमिली कोर्ट का सहारा ले सकती हैं अथवा कानूनी पचडों में ना पड़ना चाहें तो वर्किंग वीमेंस हॉस्टल में रह सकती हैं ! पुत्रियां अवश्य उनका समर्थन करेंगी !

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  5. सुषमा और अनामिका दोनों की समस्याएं गंभीर हैं ! इन दोनों महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों के लिए तो कोई वकील ही समुचित राय दे सकता है

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