चंद्रपति देवी एक सीधी साधी ग्रामीण महिला हैं,उनमे ऐसा कुछ भी नहीं,जिससे ये लगे कि वे अपने गाँव के धनाढ्य रसूख वाले लोगों से और अपने गाँव कि पूरी पंचायत से लोहा ले सके. उनके पति फ़ौज में सिपाही थे. उन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी और चंद्रपति देवी १८ साल पहले विधवा हो गयी. दो बेटे और दो बेटियों के पालन पोषण की जिम्मेवारी अब उनके ऊपर थी.उन्होंने बखूबी अपने कार्य को अंजाम दिया,खेतों में दिन रात काम किया पर बच्चों को शिक्षा दी. उनका बेटा मनोज स्कूली शिक्षा पूरी कर एक मेकैनिक बन गया . उसी गाँव में रहने वाली एक लड़की बबली उसके प्यार में पड़ गयी और दोनों ने विवाह का फैसला किया. पर उन दोनों के गोत्र एक थे और १०,००० की आबादी वाले उस जिले में एक गोत्र वाले आपस में शादी नहीं कर सकते. यह वहाँ की पंचायत का फैसला है.
इन दोनों ने पंचायत के फैसले के खिलाफ जाकर घर से भाग कर शादी कर ली. और चंद्रपति देवी पर बबली के अमीर घरवालों के गुस्से का कहर टूट पड़ा. बबली के घर वालों ने ,चंद्रपति देवी पर उनकी बेटी के अपहरण का केस कर दिया. पंचायत के दबाव में आकर पुलिस रोज उनके घर पूछताछ के लिए आती. चंद्रपति देवी ने आस पास के गाँवों में जाकर उनकी बहुत खोज की. पर उन दोनों का कुछ पता नहीं चला. आखिर एक महीने बाद मनोज ने उन्हें फोन किया और यह जानने पर कि उसकी माँ पर मुकदमा कर दिया गया है. मनोज ने कहा कि वे लोग कैथल,अपने गाँव आ रहें हैं और बबली वहाँ बयान दे देगी कि उसने अपनी मर्जी से शादी की है. उनके ऊपर का यह केस हटा लिया जायेगा. गाँव के पंचायत 'खप' के प्रमुख ,'गंगाराज' बबली के रिश्तेदारों को उन दोनों प्रेमियों की हत्या करने को उकसाने लगे क्यूंकि यह उन्हें अपनी गाँव की इज्ज़त के खिलाफ लगा. उनलोगों को गाँव आने के लिए पुलिस संरक्षण भी दी गयी .फिर भी उन दोनों प्रेमियों को मौत के घाट उतार दिया गया.
चंद्रपति देवी ने गज़ब की हिम्मत दिखाई और बबली के घरवालों और पंचायत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने की कोशिश की.पर पुलिस उनके दबाव में थी और उसने FIR करने से मना कर दिया. पर यह खबर मिडिया में जंगल के आग की तरह फैली और मिडिया के दबाव ने पुलिस को जून,२००७ में केस दर्ज करने पर मजबूर कर दिया.
इसके बाद शुरू हो गया ,चंद्रपति देवी पर विपत्तियों का सिलसिला. उन्हें केस वापस लेने के लिए एक करोड़ रुपये तक ऑफर किए गए. यह धमकी भी दी गयी कि, दो बेटियाँ हैं,उनकी इज्ज़त भी खतरे में आ सकती है. पर चट्टान सी माँ एक पल को नहीं डिगी. उन्होंने अपने बेटे के कातिलों को सजा दिलवाने की ठान रखी थी. गाँव वालों ने उन्हें जात बाहर कर दिया. कोई उनसे बात नहीं करता. बनिया ने समान देने से मना कर दिया .उन्हें दूध और राशन नहीं मिल पाते. रोज धमकियां मिलतीं. पुलिस में शिकायत करने पर मिडिया के दबाव से पुलिस ने उन्हें पुलिस संरक्षण प्रदान किए.और उनके तीन साल पुलिस संरक्षण में ही बीते. वे घर से बाहर पुलिस के साए के बिना कदम नहीं रख सकती थीं.
चंद्रपति देवी का संघर्ष रंग लाया और करनाल सेशन कोर्ट की जज सुश्री 'वाणी गोपाल शर्मा' ने अपने ऐतिहासिक फैसले में पहली बार "ऑनर किलिंग' के दोषी पाए जाने पर 5 लोगों को फांसी और 1 को उम्रकैद सुनायी.
यह पूछने पर कि गाँव के पंचायत से लड़ने की हिम्मत आपमें कहाँ से आई? वे कहती हैं, मैं सारे दिन रो सकती थी, पूरी ज़िन्दगी दुःख मना सकती थी.पर उस से क्या फायदा होता? किसी को कोई सबक नहीं मिलता और यही रीत बार बार दुहराई जाती.इसलिए माँ कितनी भी दुखियारी हो पर उसे अपने बच्चों के न्याय के लिए लड़ना ही चाहिए. मैंने अपना बेटा खो दिया पर शायद मेरे कई बेटे बच जाएँ .
चंद्रपति देवी का कहना है,हमें अपनी शक्ति का अहसास होना चाहिए और अपने ऊपर विश्वास होना चाहिए. जिसके साथ भी यह अत्याचार होता है,उसे हिम्मत जुटा कर इसका विरोध करना चाहिए और किसी भी स्थिति का सामना करने को खुद को तैयार करना चाहिए. पर वे बड़े अफ़सोस से यह भी कहती हैं, "जमाना बदल रहा है पर कोई भी बदलाव कैसे आएगा अगर, पुरुष अपनी बहन और बेटियों की हत्या करने से नहीं हिचकते"
All India Democratic Women 's Association की अध्यक्ष :जगमती सांगवान" का कहना है कि "चंद्रपति देवी" के असीम साहस ने कई नए द्वार खोल दिए हैं. पहले भी 'ऑनर किलिंग' होते आए हैं. पर पीड़ित परिवार ने कभी आगे आ कर शिकायत दर्ज कराने की हिम्मत नहीं दिखाई पर अब चंद्रपति देवी का सहस देख कई लोग आगे आयेंगे और इस अमानवीय प्रथा को जड़ से ख़त्म करने में सहायता मिलेगी.
श्मि,
ReplyDeleteये 'ऑनर किलिंग' सिर्फ और सिर्फ पैसे वालों और दबंगों कि जागीर है जिसके खिलाफ कोई नहीं बोल पता. मैंने भी इस विषय पर पोस्ट डाली थी. अगर नारी हिम्मत करे तो वो दुर्गा है सारी सृष्टि को तहस नहस कर सकती है किन्तु साहस चाहिए. चंद्रमती देवी के साहस को प्रणाम. ये खाप पंचायतें न्यायपालिका को ठेंगा दिखा रही हैं. इससे गरीब लोग त्रसित होते हैं. इस दिशा में उठाये गए कदम भी साथर्क होंगे ऐसी आशा करतीहूँ.
nice
ReplyDeleteनिसंदेह अदम्य जिजीविषा की धनी चंद्रपति देवी ने संभावनाओं के नए द्वार खोले हैं -अनुकरणीय और इस प्रकरण को यहाँ प्रस्तुत करने के लिए आभार !
ReplyDeleteरश्मि जी,
ReplyDeleteइस पूरे मामले में एक औरत ने ही आगे आकर खाप पंचायतों के खिलाफ अपना मोर्चा खोला. इससे नारी शक्ति का पता चलता है. अगर औरतें ठान लें तो भ्रूण हत्या और दहेज जैसी बुराइयाँ भी दूर हो सकती हैं.
चन्द्रपति देवी के इस जज़्बे को सलाम.
हां रश्मि, बहुत सही बात कही है मुक्ति जी ने. यदि महिलाएं ठान लें तो वे कुछ भी कर सकतीं हैं, ज़रूरत है तो चन्द्रपति देवी जैसे हौसले और विश्वास की.
ReplyDeleteइस घटना को केवल नारी से मत जोड़िए, नहीं तो केवल नारियों तक ही सीमित रह जाएंगे सुधार। पुरूष तभी तो कहता फिरता है कि यह तो नारी समस्या है। यह सम्पूर्ण समाज की समस्या है और समाज ही इसे सुधारेगा। हाँ कहीं कोई नारी पहल करती है तो कहीं पुरुष। टीवी पर एक धारावाहिक आ रहा है लाडो उसमें सारे जुल्म महिला ही कर रही है। तब मौका मिल जाता है यह कहने का कि नारी ही नारी की दुश्मन होती है। एक जागरूक माँ ने पहल की तो भविष्य में सुधार भी होगा हम सबकी संवेदनाएं उनके साथ हैं।
ReplyDeletemai banaras ke baniya jat se hu par waha samsya ye hai ki aap ko apni hi jat me shadi karana hoga matalb ek hi gotr me aisa waha lagabhag sabhi jatiyo me hota hai esliy jab tv par aaye din ye saman gotr par bawal hota hai or pati ptani ko bhaii bahan karar diya jata hai to ye mere liye hasy ka vishay ho jata hai mai or mere pati ek hi gotr se hai yadi aap sabhi ko koii saman gotr me vivah ka virodh karta mile to use mere shahar ka rasta bataye
ReplyDeletekash ki chanderpati devi jaise or log bhi himmat dikhaye par agali bar wo himmat kisi ki hatya hone se pahale ho to jyada achchha hoga
मेरा मानना है कि किसी भी समस्या को केवल नारी तक ही सीमित ना मानें |स्त्री पुरुष दौनों एक दूसरे के पूरक है |नारी उत्थान ,नारी जागरण जैसी समस्याएं
ReplyDeleteतो केवल राजनैतिक मुद्दे है |
एक सुंदर रचना पढ़ने को मिली |
आशा
हां रश्मिजी अजित जी का कहना बिल्कुल सही है कि यह घटना केवल नारी जाति से ही संबण्धित नहीं है । बल्कि यह पूरे स्माज को कलंकित करने वाली घटना है । सलाम है चंद्रमति देवी के साहस और जज्बे को जिन्होंने किसी भी डर व धमकियों के आगे हार नहीं मानी और केस को उसके अंजाम तक पहुंचा कर ही दम लिया । कहते हैं बुराईयों से लडने के लिए किसी न किसी को तो आगे आना ही पडता है अब वह चाहे कोई स्त्री हो या पुरुष । स्मूचे घटनाक्रम में जीत तभी होगी जबकि आरोपियों को मौत की सजा न दे दी जाए ।
ReplyDeletenice very much appreciative . I wasn't know the full story behind it. Its a great journey by this great brave women. MA TUJHE SALAAM
ReplyDeleteइस घटना को केवल नारी से मत जोड़िए,
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