March 13, 2010

हे ईश्वर इन्हें माफ़ करना...

शिया धर्म गुरु कल्‍बे जव्‍वाद का यह बयान बेहद शर्मनाक है कि महिलाएं सिर्फ़ बच्‍चे पैदा करें, राजनीति उनका काम नहीं है. जिस समाज के 'ठेकेदार' ऐसे (तुच्छ मानसिकता वाले) हों, वह समाज किस दिशा (गर्त) में जाएगा, कहने की ज़रूरत नहीं.

हालांकि महिला आरक्षण विधेयक को लेकर अनेक गैर मुस्लिम लोग पिछड़ी महिलाओं के साथ ही मुस्लिम महिलाओं के लिए भी आरक्षण की बात कर रहे हैं, लेकिन वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं (हे ईश्वर इन्हें माफ़ करना, यह नहीं जानते कि...यह क्या कर रहे हैं...? (कब मज़हब के ठेकेदार इन नेताओं को इस्लाम का दुश्मन क़रार देकर इनके ख़िलाफ़ फ़तवा जारी कर दें, कहा नहीं जा सकता).

कुछ हिन्दू भाइयों ने कल्‍बे जव्‍वाद के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए हैरत ज़ाहिर की है कि किसी भी मुस्लिम संगठन ने मुस्लिम महिलाओं के बारे दिए गए शर्मनाक बयान के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाई... हैरत इस बात की भी है कि हिन्दू भाई अब तक भी नहीं समझे कि "इस्लाम के 'प्रचारक' सिर्फ़ यह बताने का बीड़ा उठाए हुए हैं कि मुस्लिम औरतों को मारना-पीटना मर्दों का 'नैतिक अधिकार' है, मर्दों को चार-चार औरतें रखने की 'विशेष सुविधा' है, और पत्नी 'भोग की सर्वोत्तम वस्तु' (यानि पति की अर्धांगिनी नहीं) है...

-फ़िरदौस ख़ान

14 comments:

  1. क्या इस्लाम और कुऱआन महिलाओं को इंसान भी मानती है?

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  2. इन फत्वेबाजों ने इस्लाम का मटियामेट ही किया है

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  3. पता नहीं अपने धर्मनिरपेक्ष देश में इन धर्मगुरुओं को इतनी आज़ादी क्यों मिली हुयी है? इनलोगों ने धर्म को तो बदनाम कर ही रखा है, इनके इस प्रकार के बयानों और फ़तवों से औरतों पर पुरुषों के आधिपत्य को भी समर्थन मिलता है.

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  4. फिरदौस जी से एकदम सहमत.

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  5. इनकी बातों पर इनकी बिरादरीवाले भी नहीं चलते जी। किसका ज़िक्र ले बैठीं आप?

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  6. फिरदौस जी से एकदम सहमत.

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  7. jab aarakshna ko laekar baat thee tab halla thaa minorities ko aarakshan pehlae do aur ab yae vaktavya kamaal haen !!!!

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  8. नाम गलत लिखा गया है...कृपया सुधार लें
    कलवे जव्वाद नहीं.....कलवे जल्लाद....

    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से
    अंत में नारियों से यही कहना चाहता हूँ --

    “ त्याग-प्रेम के पथ पर चल कर मूल न कोई हारा.
    हिम्मत से पतवार सम्हालो अब क्या दूर किनारा.”

    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_09.html

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  9. आप "ईश्वर" लिख रही हैं कहीं आपके ख़िलाफ़ भी फतवा न जारी हो जाए

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  10. फिरदौस जी,

    अन्याय के विरुद्ध बोलना सबसे बड़ा धर्म है, सत्य और मानव हित कभी धर्म से नहीं बदलते हैं, वो तो हम अपना वर्चस्व कायम रखने के लिए धर्मगुरु बन कर अपने क़ानून बना कर पेश कर देते हैं.
    मैं आपसे पूरी तरह से सहमत हूँ.

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  11. खुदा के भरोसे न रहो, ऐसे लोगों को सबक सीखाओ, वरना तील तील कर जिन्दा रहो/मरो.

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  12. कल्वे जव्वाद ने तो वोही बात कही जो की वाकई में इस्लाम में महिलाओं की स्थिति है.
    फिरदोस जी जैसी महिलाए विरली ही हैं. इस लेख के लिए आपको साधुवाद.
    विषयांतर करके एक बात पूछना चाहूँगा कि जब आप "जाति-आधारित-आरक्षण" का विरोध करते हैं तो "लिंग-आधारित-आरक्षण" कैसे जायज़ ठहराया जा सकता है

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