रंग को लेकर लोग मे बहुत भ्रांतिया हैं । गोरे रंग को हमेशा से खूबसूरती का पैमाना माना जाता रहा हैं और सांवला और काला रंग बदसूरत । ये सोच केवल हमारे देश मे ही नहीं , विदेशो मे भी ऐसा ही हैं । लडके और लडकिया दोनों ही सुंदर दिखने कि होड़ मे अपनी स्किन का रंग बदलने कि हर संभव कोशिश कर रहे हैं । इस कोशिश मे वो ये भूल रहे हैं कि स्किन का रंग मेलानिन पिगमेंट कि वजह से होता हैं । मेलानिन पिगमेंट से हमारी त्वचा का रंग गहरा होता हैं और इसकी कमी से सफ़ेद होने लगता हैं यानी leucoderma या विटिलिगो कि पहली सीढ़ी । इसका सबसे बड़ा नुक्सान ये होता हैं कि गर्मी मे आप कि त्वचा सूरज कि किरणों को बर्दाश्त नहीं कर सकती और फिर आप कि त्वचा पर हल्के छाले पडने लगते हैं । साथ साथ आप कि त्वचा कि परत मुलायम होती जाती हैं और इसकी वजह से आप को चोट लगने पर त्वचा फटने और खून लिकालने का अंदेशा बढ़ जाता हैं ।
विदेशो मे सूरज कि गर्मी का तापमान उतना नहीं होता और अगर होता भी हैं तो वहाँ त्वचा पर इसका सीधा प्रभाव कम ही पड़ता हैं लेकिन भारत मे अभी भी ज्यादा लोग ख़ास कर स्कूल और कॉलेज के बच्चे धूप मे ही आते जाते हैं । सेंट्रल ऐ सी या हीटिंग का अभी यहाँ उतना प्रचलन नहीं हैं । सो ऐसे मे अगर त्वचा का रंग भी हल्का हो जाता हैं तो वो शील्ड ख़तम हो जाती हैं जो कुदरत ने दी हैं
कोई भी फेस क्रीम जो स्किन की टोन को हल्का करने कि बात करती हैं उसका इस्तमाल केवल उन लोगो के लिये ही सही हैं जो डार्क पिगमेंटेशन यानी ज्यादा मेलानिन पिगमेंट के शिकार हैं या leucoderma के मरीज़ जो अपनी दो रंग कि स्किन को एक रंग का कर सकते हैं
ये भी ध्यान दे कि जो क्रीम विदेशो मे बनती हैं वो वहां के लोगो कि त्वचा और रेहान सहन को देख कर ही बनाई जाती हैं इस लिये उसको लगाने से भारत के लोगो को फायदे कि जगह नुक्सान ज्यादा हो सकता हैं ।
ये पोस्ट एक layman's language मे हैं साइंस के आधार पर आप leucoderma विटिलिगो इत्यादि पर बहुत जानकारी इन्टरनेट से पा सकते हैं और whitening cream के ऊपर भी बहुत सी जानकारी उपलब्ध हैं जिस मे स्किन के कैंसर का भी खतरा बताया जाता हैं
apne yah post bhut sunder likhi hai yuvao ko kuch samjh aa sakta hai jisse ki vah is tarh ke hathkando se bachenge or apni kudrati tavcha ko bachakar rakhenge
ReplyDeleteकोई भी क्रीम रंग बदलने में असमर्थ है। आपने अच्छा मुद्दा उठाया इसके लिए बधाई।
ReplyDeleteबहुत अच्च्छा लगा आपके सामूहिक संलेख पर आकर और यह पढ़कर की नारियाँ भी अब गोरेपन की मोहताज़ नहीं हैं. सांवला रंग आकर्षक तो होता ही है, गंभीरता का भी परिचायक है.
ReplyDeletebahut gyanvrdhk lekh
ReplyDeleteabhar.......
हमारे यहाँ राजस्थाण में एक कहावत है "जाया ही गोरा नी हो तो नाया क्यान होसी।
ReplyDeleteमतलब जब जन्मे ही गोरे नहीं हो तो नहाने से गोरे नहीं हो सकते।
:)
बिल्कुल सही कहा आपने और अच्छी जानकारी दी.
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