गंदे गरम कपड़े कैसे धोये
एक बाल्टी पानी ले हल्का गरम , इस मे गरम कपड़े भिगो दे । आधा घंटा भीगने दे । इसके बाद कपड़ो को निकाल कर टांग दे ताकि पानी निकाल जाए ।
अब एक दूसरी बाल्टी मे आधा बाल्टी पानी ले और उसमे १/४ चम्मच प्रति कपड़े के हिसाब से साबुन का पावडर मिलाये । अब इस पानी कपड़े को डूबा दे १/२ घंटा ।
इस के बाद साफ़ पानी मे कपड़ो को धो ले और छाया मे सूखने डाले ।
ध्यान दे अपने गंदे कपड़े अपने घर के अन्दर ही सुखाये ।
हैं ना कितना आसान , साबुन कि भी बचत हो जाती हैं और कपड़ा साफ़ भी हो जाता हैं
और अगर पानी को भी बचाना हैं तो आप उसको वाटर कांसेर्वेशन के जरिये फिर से साफ़ कर सकते हैं
कल फिर आईयेगा , नारी ब्लॉग पर आप को घर कैसे साफ़ रखते हैं बताया जायेगा
:-)
ReplyDelete:-)
ReplyDeleteएक बड़ी सी मुस्कान. :)
ReplyDeleteओके. कल आता हूँ.....:-)
ReplyDeleteऔर ऐसी जगह सुखायें कि जहाँ किसी की नज़र ना पड़े… :) एरियल या सर्फ़ वगैरह ऊपरी दाग कुछ हद तक ही निकाल पाते हैं… कोशिश ये करें कि कपड़े गन्दे ही ना हों… तो कैसा रहे… :)
ReplyDeleteधो डाला...!!
ReplyDeleteवैसे ब्लैक ह्यूमर हमें बहुत पसंद है..
एक बात बताइए सरदार की पगड़ी कैसे धोयी जाए ?
डिस्क्लेमर : कृपया सरदार से किसी सिख का अंदाजा मत लगाइए.. हम तो हमारे ग्रुप के सरदार की बात कर रहे है..
bahut achcha
ReplyDelete-:)
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
Wow! That's great!
अब आई है NAARI लाइन पर (pun intended).
. . . :) व आभार!
:)
ReplyDeleteइस ब्लॉग को ज़्यादातर आदमी पढ़ते हैं या फिर कुछ ऐसी महिलाऐं जो अपने घरेलू पति से पूरे घर की सफाई / लौंड्री करवाती हैं, या कुछ बहुत थोड़े अकेले रह रहे अविवाहित मध्यवर्गीय लड़के लड़कियां भी. इन सभी की सहायता के लिए रचना जी का धन्यवाद. कौन कहता है की फेमिनिस्तों में रोज़मर्रा के घरेलू मुद्दों के प्रति संवेदनशीलता नहीं होती.
ReplyDelete------------
रचना जी मुझे एक सलाह चाहिए, मुझे आपके ब्लॉग से अब घर के काम खुद करने की प्रेरणा मिल रही है, मैं धोबन और सफाईवाली बाई को काम से निकाल रहा हूँ. वे मेरे यहाँ कुछ पांच सालों से हैं. निकाले जाने से उन्हें मानसिक/ भावनात्मक कष्ट और आर्थिक नुकसान होगा, पर मेरे पैसे बचेंगे. वे मुझपर इस बात के लिए सेक्सुअल हेरेस्मेंट केस तो दायर नहीं करेंगी? क्या ज़रूरत न होने पर काम से निकाला जाना और उससे मानसिक कष्ट पहुंचना यौन प्रताड़ना की श्रेणी में आता है, क्या इससे मुझे जेल हो सकती है? कृपया मार्गदर्शन करें.
@ab
ReplyDeletesir please dont forget to read tommorrows post where in i will be writing on how to clean toilets and how about checking in my blog daal roti chawal to read on some delicious receipes posted by me
वैसे अपने निवास के टाईलेट/ बाथरूम मैं कॉलेज के ज़माने से ही साफ़ करता रहा हूँ, हाँ जब स्कूल में था तो मम्मी करती थीं या स्वीपर. हाँ जब khud खाना बनाने की नौबत आती है तो भोजनालय से टिफिन माँगा कर मुसीबत टालता हूँ.
ReplyDeleteबेहतरीन। लाजवाब। आपको नए साल की मुबारकबाद।
ReplyDeleteवर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
ReplyDelete- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
oh its really good. i always wash my winter clothes myself. but, never thought like this.
ReplyDeleteआपके दूसरे कमेन्ट ने ये बताया कि किस प्रकार से बच्चा बचपन से कुछ कामो को केवल और केवल "माँ" को करते देखता हैं और फिर मन मे धारणा ही बन जाती हैं कि ये "माँ" यानी "नारी का कार्य हैं । बड़े होने पर आप खुद करने लगे अच्छा लगा क्युकी स्वाबलंबन कि पहली सीढ़ी हैं पर बहुत से कभी नहीं करते
ReplyDeleteअपने पहले कमेन्ट को लीजिये उसका पहला भाग कहता हैं "फिर कुछ ऐसी महिलाऐं जो अपने घरेलू पति से पूरे घर की सफाई / लौंड्री करवाती हैं" अब ये क्या हैं ? घर का काम कौन क्या करता हैं इस से क्या फरक पड़ता हैं ? पर उस बच्चे को पड़ता हैं जिसके घर मे केवल और केवल माँ ये काम करती रही हो । उसके अनुसार जो पति घर का काम करता हैं वो "घरेलू" होता हैं ?
घरेलू काम यानी खाना बनाना "भोजनालय से टिफिन माँगा कर मुसीबत टालता हूँ।" अब अगर ये आज कि नारी कर ले तो वो नारीवादी हैं आप कि नज़र मे क्युकी वो घरेलू नहीं हैं ।
आपके घर कि साफ़ सफाई सब नारियों के हाथ मे हैं , खाना बनाना तक यानी आप किसी नारी के कार्यो से संचालित हैं वो ना हो तो आप को सब खुद करना पडे , आप किसी के घरेलू पति ना हो पर काम तो फिर आप घरेलू ही कर रहे हैं ??
हर परिभाषा हमारी अपनी हैं आप के हिसाब से खाना बनाना घरेलू कार्य हैं तो आप को निमन्त्रण हैं कभी घर आए और मेरे हाथ का बना खाना खाये हो सकता हैं तब आप स्वाबलंबी और नारीवादी मे फरक महसूस कर सके । फकर हैं मुझे कि मे बहुत अच्छा खाना पकाती हूँ और वो भी बिना किसी कि मद्दत के यानी सब काम खुद
कब आरहे हैं सूचित करे ताकि आप को घर का पता दिया जा सके ab inconvenienti
समीर
ReplyDeleteहिंदी का प्रचार करने से क्या होगा क्या लोगो मे परिपक्वता आ जायेगी ? हिंदी जिन्हे नहीं आती उनतक हिंदी कैसे पहुचे इस विषय मे क्या कहते हैं क्युकी ब्लॉग सभी तरह के लोग पढते हैं केवल हिंदी भाषी नहीं । सो किसी भी भाषा मे लिखे पर परिपक्व और सार्थक लिखे
नया साल नया अंदाज बढ़िया है !!! :)
ReplyDelete"ध्यान दे अपने गंदे कपड़े अपने घर के अन्दर ही सुखाये ।"
ReplyDeleteकाश! ब्लोग जगत इस बात को समझ पाता...फिर कोई अपने गंदे कपड़े दूसरो की तारो मे,छतो पर सुखाने की कोशिश नही करता।;)
बहुत सुन्दर और गहरी बात कही है....
नोट;- यदि आपको यह टिप्पणी विषय से हट कर लगे तो डिलीट कर दे।
कल ही से सोच रहा था कि कपड़े साफ कर लूं, अभी अभी किया और वो भी आपके मेथड से.. सोचा बताता चलूं.. :)
ReplyDeleteकपड़े धोना भी कोई आसान काम नहीं है
ReplyDelete