सबसे पहले मैं नववर्ष पर सभी ब्लॉगर साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूँ।
इसके बाद सविनय निवेदन करती हूँ कि कुछ दिग्भ्रमित ब्लॉगर साथियों से कि पहले अपनी सोच और अभिव्यक्ति को साकार रूप लेकर प्रकाशित करने से पहले एक बार अपनी पत्नी या बहन या माँ को पढ़ा लें। नारी सिर्फ नारी है और सभी की सोच बहुत अलग नहीं होती है अगर वे उसके सार्वजनिक पठन योग्य होने बताती हैं तो आप उसको बेशक डालें।
ऐसा नहीं है , ये मानव प्रवृत्ति है कि नग्न चित्रों, दृश्यों, और साहित्य को पढ़ने में रूचि लेती है, किन्तु यह वे अपने या अपने साथियों तक ही सीमित रखते हैं। ये ब्लॉग्गिंग विधा ने तो सबके सामने परोसने की सुविधा दे दी तो उसको हम इन चीजों के लिए अगर प्रयोग करते हैं तो यह हमारी कुंठित मानसिक का द्योतक है। अगर नारी जाति की अभिव्यक्ति से इतनी ही घृणा है तो फिर उसको त्याग दीजिये मत पढ़िए और न उसको पढ़कर उत्तेजित होइए। क्योंकि किसी भी व्यक्ति विशेष की अभिव्यक्ति के प्रति आक्रामक होकर अपनी विकृत मानसिकता का प्रदर्शन करना कहाँ तक उचित है? उससे बड़ी बात तो यह है कि उनकी ही प्रवृत्ति वाले लोग पीछे तालियाँ बजा रहे हैं।
कलम सरस्वती कि देन है और रचनाधर्मिता और लेखन कि शुचिता भी उनकी ही देन है। इस लेखनी से अनर्गल लिखकर ( वह मैं भी हो सकती हूँ।) क्यों दूसरों के सामने हम अपने मानसिक दिवालियेपन का प्रदर्शन करें। कुछ हमारे साथी खुले आम 'रचना' के नाम को लेकर अनर्गल टिप्पणी कर रहे हैं। यह कल रेखा, निशा, सुधा , ऋतू कोई भी हो सकती है। किसी के व्यक्तिगत जीवन पर टिप्पणी, आक्षेप, असभ्यता और कुसंस्कारों की ही देन है। हाँ यदि इनमें से कोई आपके नाम से कुछ लिखे तो आप प्रतिरोध के हकदार हैं लेकिन यह प्रतिरोध भी सम्माननीय ढंग से हो सकता है।
"नारी" ब्लॉग पर क्या लिखा जाता है? उस पर टिप्पणी कीजिये प्रशस्ति की कोई आकांक्षा नहीं है। उसके लेखकों को विषय मत बनाइये। बहुत सारे विषय है, अपने आस-पास झांककर देखिये। जिनके पास कुछ भी नहीं है वे नेता जी जिंदाबाद के नारे लगाते लगाते उनके प्रिय चमचों में शामिल हो जाते हैं- ऐसे लोगों से भी अनुरोध है कि अपनी पहचान खुद बनायीं जाती है। अनावश्यक और अमर्यादित रचनाओं की वाह वाही करने से आप और वे नाम कमा सकते हैं सम्मान नहीं। फिर कुछ लोगों का ये भी ध्येय होता है कि बदनाम होंगें तो क्या नाम न होगा? वे इससे बिलकुल पृथक हैं।
सभी साथियों से अनुरोध है कि जो कला ईश्वर ने आपको डी है - उसका सम्मान कीजिये और सार्थक लेखन कीजिये।
धन्यवाद!
Thanks for writing. Happy New year to all members of Naari and its readers.
ReplyDeleteनव वर्ष की मंगल कामनाएँ!
ReplyDeleteरेखा जी
ReplyDeleteआपके इस आलेख से मै पूर्णत सहमत हूँ और ऐसे विचारो का ह्रदय से सम्मान करती हूँ |
नव वर्ष कि हार्दिक शुभकामनाये |
सहमत हूं आपसे !!
ReplyDeleteनारी ब्लॉग की समस्त सदस्यों ,पाठकों को नव वर्ष की मंगल कामना !
ReplyDeleteशुभकामनाएं.
ReplyDeleteभगवान सबको सद्मति दे.
Rekha
ReplyDeleteThanks for this post and there were many before rachna like sujata , manisha , neelima etc and many will be after me but its of no consequnce actually
happy New Year To You And Family
रेखाजी,
ReplyDeleteआपसे सहमत हूँ ....किसी मुद्दे पर सहमती या असहमति सभ्य भाषा में भी दर्ज की जा सकती है ...
असभ्यता और अभद्रता का हर हाल में विरोध होना चाहिए ...चाहे वो किसी महिला के सन्दर्भ में हो या पुरुष के ...विरोध्प्रदर्शन का तरीका शालीन होना चाहिए ...कम से कम पढ़े लिखे ब्लोगर्स से इतनी आशा तो की ही जा सकती है ....
नव वर्ष की बहुत शुभकामनायें ....!!
ReplyDeleteनववर्ष मंगलमय हो ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्दों में असहमति दर्ज कराई है आपने.नारी के विरुद्ध कुंठाएं हमेशा से पुरुषो में रही है.और अगर किसी को आपत्ति है तो संयत शब्दों में दर्ज कराई जा सकती है हो सकता है मैं रचना जी से असहमत होऊं पर जिस ढंग से अशालीन टिप्पणियों से उनको नवाजा गया है.मुझे अपने पुरुष पिता भाई पुत्र और पति होने पर शर्म आएगी.एक कथित ब्लॉग पर बिना नाम लेकर रचना जी को निशाना बनाया गया है वह शर्मनाक है..रचना जी की किसी टिप्पणी से असहमति पर लेख के माध्यम से टिप्पणियों में जो कुंठा जाहिर की गयी है वह नारी उत्पीडन है इसमें कोई संदेह नहीं...जितनी गालियाँ लेख,काव्यात्मक सृजन और टिप्पणियों के माध्यम से उनको निकाली गयी है उनको मैं सहने से इनकार करता हूँ.यह अभिव्यक्ति स्वतन्त्रता नहीं है नीचता है.ऐसे कलंकित कवि अपने घर पर माँ बहनों को अपना सृजन दिखाने का साहस करें तो मेहरबानी होगी.आपको जो भी पकड़ाकर बिठाना हो घर तक रखें.यहाँ सब लोग धृतराष्ट्र नहीं है जो आपकी गंदगी को बर्दाश्त करेंगे.
ReplyDeleteनववर्ष पर इतना नहीं लिखता अगर मुझे नहीं लगता कि इसको सहन करना इस अपराध में शामिल होना है.
आप सब को नव वर्ष की शुभकामनाएं.
प्रकाश
आप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं। कुछ लोगों की टिप्पणी के कारण ही सारा पुरुष समाज लांछित होता है। हम समाज में रहते हैं जहाँ पुरुष और महिला दोनों मिलकर परिवार बनाते हैं, अत: यहाँ भी दोनों का ही विरोध दर्ज होना चाहिए।
ReplyDelete"सभी साथियों से अनुरोध है कि जो कला ईश्वर ने आपको दी है - उसका सम्मान कीजिये और सार्थक लेखन कीजिये।"
ReplyDeleteइस आशा और विश्वास के साथ की पाठक आपकी बात समझेंगे और उस पर अमल करेंगे. आपको, शोभना जी तथा सभी पाठकों को नव वर्ष २०१० की मंगल कामना.
सहमत हूँ...पर लोगों का कुछ किया नही जा सकता ..वो व्यक्तिगत होंगे ही.
ReplyDeleteआप सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
ReplyDelete- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
नये वर्ष की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteआपसे अपेक्षा है कि आप हिन्दी के प्रति अपना मोह नहीं त्यागेंगे और ब्लाग संसार में नित सार्थक लेखन के प्रति सचेत रहेंगे।
अपने ब्लाग लेखन को विस्तार देने के साथ-साथ नये लोगों को भी ब्लाग लेखन के प्रति जागरूक कर हिन्दी सेवा में अपना योगदान दें।
आपका लेखन हम सभी को और सार्थकता प्रदान करे, इसी आशा के साथ
डा0 कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
जय-जय बुन्देलखण्ड
रेखा जी,
ReplyDeleteसर्वप्रथम आपको बहुत-बहुत धन्यवाद, जो आप इस मुद्दे पर खुलकर बोलीं और आपने इतनी अच्छी बातें कहीं. पिछले कुछ दिनों से ब्लॉगजगत में हो रहे शाब्दिक अत्याचारों से मन बहुत व्यथित हो गया था. लग रहा था कि किसी सीनियर मेम्बर को कुछ बोलना चाहिये. आमतौर पर महिलाएँ ऐसे माहौल में चुप हो जाती हैं. नये साल की पूर्वसंध्या पर इस कष्टदायक प्रसंग ने बहुत दुखी किया. आज आपकी पोस्ट ने राहत दी है. सभी को नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!!