ये सत्य घटना हैं और इसी हफ्ते मे हुई हैं ।
मेरी छोटी बहन की दूर की ननद का विवाह पिछले साल हुआ था ।
लड़की विवाह नहीं करना चाहती थी इतनी जल्दी पर सामाजिक दबाव के कारण करने को तैयार हो गयी । लड़की पढने मे बहुत ही तेज रही थी और निरंतर प्रथम शेणी मे पास होती रही थी । बैंक इस परीक्षा पास कर के दो साल पहले ही ऑफिसर नियुक्त हुई थी । एक साल नौकरी करते हुआ था की विवाह होगया और फिर गर्भवती हुई । पिछले हफ्ते उसकी तबियत अचानक ख़राब हो गयी और ७ मॉस के बच्चे को ऑपरेशन से निकाला गया । बच्चा चंद मिनट ही जिन्दा रहा । लड़की दो दिन बाद आ ई सी यू से बाहर आयी ।
डॉ का मानना हैं की इस लड़की को जब भी गर्भ होगा यही स्थिति रहेगी यानी बच्चा नहीं बचेगा, गर्भ के सात महीने बाद से फिर लड़की को फिट पड़ेगे जैसा इस बार हुआ । डॉ के अनुसार ऐसा किसी किसी केस मे होता हैं ।
सात दिन होगये हैं इस लड़की को अस्पताल मे और वहाँ जितने भी मिलने आते हैं वो लड़की का हाल चाल पूछ कर एक ही बात कहते हैं इसके पति का क्या होगा ? उसकी क्या गलती हैं ?? सास ससुर और यहाँ तक की लड़की के माँ पिता भी विकल्प सोच रहे हैं लड़की के पति के लिये अभी से । कुछ लोग तो रिश्ते भी सुझाने लगे है उन लड़कियों के जहाँ ये लड़की बड़ी पत्नी बन कर रह सकेगी सम्मान के साथ .
दो दिन से चल रही सुखोई उड़ाने की बहस मे मेरी रूचि इस बहस के बाद ही ख़तम हो गयी । आप सब को क्या लगता हैं क्या निर्णय लिया जाएगा ।
शायद वो लड़की भी राजी हो जायेगी उसके पति के दुसरे विवाह के लिये..
ReplyDeleteआज विज्ञानं इतना आगे बढ़ चुका है की शायद लाइलाज कुछ भी नहीं फिर बगैर उसके स्वस्थ हुए ऐसी बात सोचना , हमारे ही दिवालियेपन की द्योतक है. फिर क्या जिन दंपत्ति को भाग्यवश संतान नहीं होती क्या सभी ऐसा ही विकल्प सोचते हैं? अगर नहीं तो फिर इस बार क्यों?
ReplyDeleteहम मान भी लें कि उसे बच्चा नहीं हो सकता .. तो भारत में इतने अनाथ बच्चे हैं .. उन्हें गोद लेकर दंपत्ति अपना वैवाहिक जीवन सुखद बना सकते हैं .. सिर्फ बच्चे के लिए पति को विवाह करने की क्या आवश्यकता ??
ReplyDeleteअनगिनित स्त्रियाँ ऐसे पतियों के साथ रह रही हैं जिनमें संतानोत्पत्ति की क्षमता नहीं है। क्या संतान के बिना तभी पुरुष जीवन बेमानी हो जाता है जब समस्या पत्नी के साथ हो? यदि स्वयं के साथ समस्या हो तब?
ReplyDeleteघुघूती बासूती
मैं संगीता जी से सहमत हूँ. निस्संतान होना कोई अभिशाप नहीं है. यदि आप ईश्वर में विश्वास करते हैं तो यह मानिये कि शायद ईश्वर ने केवल अपने अंश की संतान पालने से बड़ी जिम्मेदारी आपको सौपने के लिए चुना है. अपनी ममता एक या दो बच्चों पर उड़ेलने के बजाये तमाम अनाथ और बेसहारा बच्चों में बांटकर जो सुख उन्हें मिल सकता है शायद वह अपने बच्चों को पाकर न मिल सके. केवल वंशवृद्धि के लिए बच्चे की लालसा करना मूर्खता है और इसके लिए दूसरा विवाह करना उससे भी बड़ी मूर्खता.
ReplyDeleteसंगीता जी से सहमत.
ReplyDeleteगोद लेना कितना अच्छा विकल्प है. एक अनाथ को घर मिल जायेगा और इनकी तमन्ना भी पूरी हो जायेगी. दूसरी पत्नी लाना तो बेवकूफी भरी सोच है, उस पर तो ध्यान भी नहीं जाना चाहिये. वैसे इस वक्त तो लड़की की तबीयत दुरुस्त करने के अलावा कुछ और नहीं सोचा जाना चाहिये, वो सर्वोपरि है और जब वो शरीर और मन से पूर्ण स्वस्थ हो जाये तो दंपति गोद लेने के बारे में विमर्श करें, उसके पहले नहीं.
ReplyDeleteसंगीता जी से सहमत धन्यवाद्
ReplyDeleteइस पोस्ट की और इस हादसे की सबसे और अहम् बात को आप लोग नज़र अंदाज कर गए हैं । वो हैं २००९ मे भी हमारा समाज विकल्प मे आज भी लड़की की नहीं लडके के बारे मे बात करता हैं और आज भी संतान की बात से ही स्त्री के वजूद की बात होती हैं । स्त्री का माँ न बन पाना उसको समाज मे दोयम दर्जा देता हैं । आप सब ने जो विकल्प सुझाए ये वो सोचने वाले लोग आज भी उँगलियों पर गिने जाते हैं और तब तक ही जब तक ऐसा कुछ ऐसा उनके अपने किसी के साथ नहीं होता , अगर अपने किसी के साथ होता हैं तो हम सब के अंदर की रुढ़िवादी सोच हम पर हावी होती हैं और नर नारी की सामाजिक असमानता उभर कर आजाती हैं । पता नहीं और कितने वर्ष लगेगे इस सोच को बदलने मे । लड़की के स्वास्थ्य के बारे मे पूछ कर समीर ने अपने संवेदनशील होने का परिचय दिया हैं
ReplyDeleteलोगों ने विकल्प सुझाये और लडके ने क्या कहा?
ReplyDeleteअगर विवाह के बाद लडके का कोई एक्सीडेंट हो जाये जिससे वो अपंग हो जाये और लडकी चूँकि आत्मनिर्भर है, लडके को छोडना चाहे तो वोही सब लोग पाश्चात्य सभ्यता की दुहाई देकर उस लडकी को त्रियाचरित्र साबित करने में कोई कसर नहीं छोडेंगे।
धन्य है हमारा समाज और और रिश्तेदार जो ऐसी सलाह देने की हिम्मत भी करते हैं। बहरहाल लडके की क्या सोच है ये इस पोस्ट से पता नहीं चलती। हो सकता है कि वो इन सुझावों पर हंसे और अपनी पत्ती ने साथ ही खुश हो, चाहे सन्तान हो य न हो। कम से कम ऐसी दुआ तो की ही जा सकती है।
Udan Tashtari ji से सहमत धन्यवाद्
ReplyDeleteSameerji and Neeraj together have said, what I want to say.
ReplyDeleteसास ससुर और यहाँ तक की लड़की के माँ पिता भी विकल्प सोच रहे हैं लड़की के पति के लिये अभी से । कुछ लोग तो रिश्ते भी सुझाने लगे है उन लड़कियों के जहाँ ये लड़की बड़ी पत्नी बन कर रह सकेगी सम्मान के साथ .
ReplyDeleteyahan kya hona chahiye prash nahi hai....prashn hai ki kya nirnay liya jayega....jab ladki ke maa - baap bhi is baat se sahmat hain to ladaki ko to nazarandaaz hi kar diya jayega... baad men samaan mile ya na mile....
lekin yadi ladki chahe to is nirnay ka virodh kar sakti hai...aur kisi anath bachchhe ko god lene ke liye badhy bhi aur is tarah matritv sukh bhi bhog sakti hai....lekin itani himmat kahan hoti hai apane astitv ko bachane ke liye.....is case men bhi ladki ka shoshan hoga saas sasur aur maa pita dwara....baaki waqt ke haath men hai
मेरी जानकारी में भारतीय कानून पति के संतानोत्पत्ति में स्थाई रूप से अक्षम होने या नपुंसक होने की स्थिति में पत्नी को तलाक का अधिकार देता है.
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