November 06, 2009

यह मिथक तोड़ना ही होगा कि नारी अबला है!

नारी मंच के माध्यम से मैं यह बताना चाहूंगी कि हमारे भारतीय सामाजिक व्यवस्था आज भी बहुत कुछ पुरुष प्रधान ही है. माँ, पत्नी व पुत्री को समर्पित होने की असमानता आधारित सोच आज भी विद्यमान है. आज भी इसी मानसिकता के चलते नारी को कमजोर आंका जाता है. यही कारण है कि पुरुषों की अपेक्षा अधिक कर्मठ महिलाएं भी अशक्त समझ ली जाती हैं. इसलिए इस दिशा में महिलाओं के जीवन स्तर को उन्नत करने, अपने विकास के लिए स्वतंत्रता प्रदान करने, शिक्षा व समाज के सभी क्षेत्रों में सजगता पैदा करने पर बल दिए जाने की बहुत आवश्यकता है. इसके लिए महिलाओं को अपनी आत्महीनता, शर्म, संकोच छोड़कर जीवन की चुनोतियों को स्वीकार कर उनमे बदलाव लाने के लिए स्वयं संघर्ष कर अपनी सहभागिता बढाकर अग्रसर होना होगा.
नारी मंच के मध्यम से मैं कहना चाहूंगी की हमें बहुत दूर जाने की जरुरत नहीं है हमें हमारे आस- स जहाँ कहीं भी नारी जाती का अपमान होता दिखे उसका तत्काल पुरजोर विरोध कर नारी के स्वाभिमान को बचाने के लिए आगे आकर सिर्फ अपनों तक सीमित न रहकर सबके स्वाभिमान को बचने के लिए तत्पर रहने का संकल्प लेना होगा और उसपर हमेशा अडिग रहना होगा.
हमें सभी नारियों को यह बताने की जरुरत है कि उसे अपने आप को निर्बल नहीं बल्कि सबल समझना है, उसमें असीम शक्ति है बस उसे उसको पह्चाना होगा. उसे यह समझाने की जरुरत है की जब तक निर्बल बनी रहोगी तब तक कोई साथ नहीं देगा. अपने अन्दर स्वाभिमान की रक्षा के लिए आग पैदा करनी होगी. देखो प्रकृति भी उसी का साथ देती है जो सबल होता है. आग को हवा का साथ मिल जाने पर वह धधक उठती है, किन्तु जब उसी हवा का संपर्क दीपक से होता है तो वह उसे पल भर में बुझा देती है.
हमें नारी स्वाभिमान के लिए अपने अन्दर आग पैदा करने और अपनी शक्ति को पहचानने के लिए हमेशा जागरूक रहकर सभी को इस दिशा में अविरल भाव से प्रेरित करते रहने के लिए संकल्पित रहना होगा.

- कविता रावत

5 comments:

  1. आपके विचारों से पूर्ण सहमत हूँ!नारी अबला नहीं है वरन सामाजिक षड़यंत्र से उसकी मानसिकता अबला बना दी जाती है.
    अच्छे लेख केलिए आभार!

    ReplyDelete
  2. कविताजी
    नारी ब्लॉग पर आपका स्वागत है आपने नारी शक्ति को बहुत ही अच्छे रेखांकित किया है ,अब पुरुष के इस मिथक से बाहर आना होगा कि हाय अबला जीवन तुम्हारी यही कहानी आँचल में है दूध आँखों में पानी |

    ReplyDelete
  3. शोभना चौरे
    didi aap ne kavita ji kaa swagat kiya mujeh achcha lagaa aasha haen aap is manch par isii prakaar sae hamara aur sabka utsaah badhaatee rahegi

    kavita
    naarimanch blog jagat mae isiiliyae banaa haen ki ham sab us par apni baat keh sakey aap ne keha aur kitna sahi kehaa . asmaantaa haen uar usko dur karnae ki pehal ham nahin karaegae to kaun karaega
    samay haen apni baat ko gunj banaaney kaa .

    ReplyDelete
  4. kavitaji,

    svagat hai, apane apani isa post se jo dastak di hai, vah sab ne suni hai aur asha hai ki isa dastak ko sab tak pahuncha kar sabal hone ki praman dena hoga. vaise ham apane sabal hone ka praman barabar dete rahen hain phir bhi isa samaaj ko samajh nahin aata hai ki aleli rani lakshmibai ne jhansi ka itihaas badal diya tha to sab mil kar nari ke star ko to sudhar hi sakte hain.

    ReplyDelete
  5. thank you for writing kavita its a pleasure to have you writng here on this blog keep the flow going

    ReplyDelete

Note: Only a member of this blog may post a comment.