June 10, 2009

जानकारी दे की महिला आरक्षण बिल क्या हैं संसद मे, क्यूँ आना चाहिये , क्या फायदा होगा और क्या क्या नुक्सान होगा ।

महिला आरक्षण बिल क्या हैं और इसकी जरुरत क्यूँ हैं ? इस विषय पर आप मे से जो भी जानकार कुछ जानकारी यहाँ बाटना चाहे बाटे । कभी कभी बहुत कुछ सुनाई और दिखाई देता हैं जो सबको सभी नहीं समझ आता । आप की दी हुई जानकारी से कोई ना कोई जरुर लाभान्वित होगा ।

जानकारी दे की महिला आरक्षण बिल क्या हैं ,संसद मे क्यूँ आना चाहिये , क्या फायदा होगा और क्या क्या नुक्सान होगा ।

6 comments:

  1. आये थे ये सोच कर की हमें पता चलेगा.. पर आप तो खुद ही सवाल पुछ रही हैं.. कोई बात नहीं कल फिर आकर सारे कमेंट्स पढ़ेगें...:)

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  2. आदरणीय रचना जी..
    अच्छा और सामयिक प्रश्न उठाया है आपने..जहां तक मैं जानता हूँ इस विधेयक के प्रस्ताव में मूल रूप से ये बात है की इसके बाद सभी राजनितिक दलों के लिए ये अनिवार्य हो जाएगा की वे अपने कुल प्रत्याशिओं का तैंतीस प्रतिशत टिकट सिर्फ महिलाओं को ही देंगे..इसका परिणाम ये होगा की संसद में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ जायेगी..
    मेरे ख्याल से इस मुद्दे के दो पहलु हैं. अभी जो भी लोग या राजनितिक दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं..वो तो जाहिर है की सिर्फ इसलिए कर रहे हैं की वे नहीं चाहते की कल को संसद में महिलाओं का वर्चस्व हो. मगर मैं कुछ अलग सोच रहा हूँ. जहां तक मुझे मालूम है अभी कुछ राज्यों की वैधानिक एवं प्रशाशनिक व्यस्था में भी ये महिला आरक्षण लागु है...और कहीं कहीं तो इसका परिणाम इतना सकारात्मक निकला है की उसकी प्रशंशा पूरा विश्व कर चुका है..मगर कुछ ऐसे भी क्षेत्र हैं जहां इस महिला आरक्षण के लागू होने के कारण .वहाँ उन पुरुष राजनीतिज्ञों ने अपने घर की किसी महिला को ही आगे कर दिया ..नतीजा ये निकला की आज नाम तो उन महिलाओं का ही लिया जाता है मगर सारा कार्य उनके पुरुष सहभागी ही करते हैं....

    लेकिन आज देश की महिलाएं जिस मुकाम और स्थिति में हैं ..उसमें किसी को यदि उनके संचालन क्षमता पर संदेह होता है....या फिर की जबरन उन्हें अगली पंक्ति में आने से रोका जाता है तो ये इस देश की बदकिस्मती है.
    जहां तक राजनितिक दलों और उससे अधिक आज संसद में मौजूद महिलाओं के इस विधेयक पर दृष्टिकोण की बात है तो यही सबसे अफसोसनाक बात है की आज भारतीय राजनीति में महिलाओं की जो स्थिति है (नाम गिनाने की जरूरत नहीं लगी मुझे ) उसमें भी यदि इस विधेयक को पारित नहीं करवाया जा सका तो फिर कभी भी नहीं किया जा सकेगा..वैसे मुझे तो जिस दिन किरण बेदी जैसी महिला पुलिस अधिकारी को मजबूरन अपनी नौकरी छोड़ने वाली परिस्थितियाँ पैदा कर दी गयी थी और सारा राष्ट्र चुप था ...वो भी तब जब दिल्ली के मुख्यमंत्री ..देश की राष्ट्रपति और शाशक दल की अध्यक्षा खुद महिला थी ..तो इसके बाद कोई उम्मीद व्यर्थ लगती है..वैसे इस विषय पर मैं खुद राष्ट्रपति और कोंग्रेस अध्यक्षा को पत्र लिख चुका हूँ...मगर एक आम आदमी की कौन कैसे सुनता है ...सबको पता है...अफ़सोस की ब्लॉगजगत में ऐसी बहस को कोई संजीदगी से नहीं लेता..निजी आक्षेप और आरोपों का दौर खूब चलता है...
    धन्यवाद.

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  3. ajay पार्टी मे भी आरक्षण हो क्या ये भी संसद मे जो बिल आयेगा उसमे निहित होगा

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  4. अजय जी के एक एक शब्द से सहमत हूँ
    वीनस केसरी

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  5. bilkul rachnaa jee, anyathaa sansad mein mahilaaon kee bhaageedaaree ko kaise sunishchit kiya jaayega aur haan main jaanta hoon ki ye fir taal diya jaayegaa, shaayad is baar bahaanaa alag ho...saarthak bahas ke liye dhanyavaad. main iskee charchaa jaldee hee "blog baatein" naam se shuru hone ja rahe apne stambh mein karunga...

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