विज्ञापन मे नारी की छवि को लेकर , उसके वस्त्रो को लेकर बहुत बार बहुत सी बाते होती हैं । आज कल चीयर लीडर्स को भी देख के कई सवाल मन मे उठते हैं ।
विज्ञापन मे नारी को क्यूँ इतनी प्रमुखता से दिखाया जाता हैं । क्यूँ हर बार उसके शरीर को प्रर्दशित किया जाता हैं चाहे बिक कुछ भी रहा हो ।
क्या हैं इस मानसिकता के पीछे ?? आज इस पर विचार मिलते आपके तो कुछ बात आगे बढ़ती । अगर गलती खोजना बहुत आसन हैं तो क्यूँ होता हैं बताना भी आसन ही होना चाहिये . कोशिश कर के देखे ।
विज्ञापन में नारी इसलिए क्यों कि दुनियाँ में वस्तुओं को खरीदने की अधिकांश क्षमता पुरुषों के पास है।
ReplyDeleteअब नारी सौंदर्य भी बना एक बाजार।
ReplyDeleteबिकते तब सामान जब नारी करे प्रचार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
दिनेश जी से सहमत.
ReplyDeleteअब खरीदने की क्षमता पुरुषों के हिस्से से निकलकर महिलाओं के पास भी खूब पहुंची है। टेलीविजन पर सिर्फ अंतवर्स्त्रों में दिख रहे पुरुषों को देखकर इसे समझा जा सकता है।
ReplyDeleteइस विषय पर नारियों को सुनने की यदि हिम्मत हो तो अपनी कलम चलायें अन्यथा यहाँ भी नारी सशक्तिकरण को रोकने की तोहमत लगेगी और पुरुष समाज के द्वारा हम पर भी यह आरोप लगेगा कि पुरुष ही नारी की मजबूरी का फायदा उठाकर उसे बाजार में नंगा खड़ा करता है। नारी पहले अपने दिमाग से इस बात को निकाल दे कि उसकी हर स्थिति के पीछे पुरुष का हाथ है....बस सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे।
ReplyDelete(वैसे आप कहें तो इस विषय पर भी पर्याप्त चिंतन कर चुके हैं, आपको सामग्री भेज सकते हैं पर पढ़ने के लिए पूर्वाग्रह रहित होना पड़ेगा।)
एक बार मैं दिल्ली में सड़क पर चल रहा था। मेरे आगे एक महिला चल रही थी, जो काफी बनी-ठनी थी। उसके आगे एक और महिला चल रही थी, जिसने पीछे मुड़कर दो बार देखा। एक महिला दूसरी महिला की सुंदरता पर दो बार पीछे मुड़कर देख सकती है। लेकिन पुरुष कितना भी "हैंडसम" हो जाये, कोई उसे पीछे मुड़कर नहीं देखता/देखती।
ReplyDeleteमुझे ऐसा लगता है कि महिलाएँ सुंदरता का प्रतीक होती हैं। इसीलिये विज्ञापनों में उन्हें बार-बार दिखाया जाता है, फिर चाहे चड्डी बेचनी हो या सिगरेट।
दूसरी ओर भारतीय पुरुषों का महिलाओं को घूर-घूर कर देखना भी विज्ञापनों में महिलाओं को दिखाने का कारण हो सकता है।
नारी पहले अपने दिमाग से इस बात को निकाल दे कि उसकी हर स्थिति के पीछे पुरुष का हाथ है....बस सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे।
ReplyDeleteडॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर
सवाल ये नहीं हैं की विज्ञापन मे नारी अपनी मर्ज़ी से हैं या नहीं , सवाल ये हैं की ऐसा कब और किन कारण से शुरू हुआ । समस्या का उद्गम क्या हैं ।
नारी को तीव्रता से समझ आने लगा है कि उसका सौंदर्य बिकाऊ है, अत: होड़ लगी है प्रदर्शन की। किसी को भी और कोई भी किसी का शरीर प्रदर्शित नहीं कर सकता जब कि हम ही कतार में नहीं लगे हों। नारी को पुरुष की कमजोरी का फायदा नहीं उठाना चाहिए। समाज को विकृति से बचाना भी नारी का ही कार्य है।
ReplyDeleteशायद इसलिए ही पुरूष ही नहीं परोक्ष रूप में नारी भी वैसा दिखने के लिए उसकी ओर आकर्षित होती है। वैसे यह मेरा विचार मात्र है, जरूरी नहीं कि सब लोग इससे सहमत हों।
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S.B.A.
TSALIIM.
sahi kaha hai.....
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