महिलाओं की नाजुक शारीरिक संरचना के कारण यह माना जाता रहा है कि वे सुरक्षा जैसे कार्यों का निर्वहन नहीं कर सकतीं। बदलते वक्त के साथ यह मिथक टूटा है। महिलाएं आज पुलिस, सेना, और अद्र्वसैनिक बलों में बेहतरीन तैनाती पा रही हैं, पर अभी भी सीमा पर उनकी ड्यूटी लगाने से परहेज किया जाता रहा है।.... पर अब महिलाओं का सुदृढ आत्मविश्वास उन्हें देश की सरहद पर भी अपनी जाबांजी दिखाने को तैयार दिखता है। इसी क्रम में भारत-चीन सीमा की सुरक्षा में मार्च के बाद महिलाओं की भी ड्यूटी लगेगी। गौरतलब है कि इस सरहद की सुरक्षा आई0टी0बी0पी0 के जिम्मे है। इसके लिए बकायदा भारत सरकार ने आई0टी0बी0पी0 के लिए महिलाओं की 5 कम्पनियों के गठन को स्वीकृति दे दी है। यही नहीं रेलवे सुरक्षा बल में भी पहली बार सब इंस्पेक्टर पद पर महिलाओं की नियुक्ति होने जा रही है ताकि ट्रेनों में महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं को तत्परता से रोका जा सके। कभी अरस्तू ने कहा कि -“स्त्रियाँ कुछ निश्चित गुणों के अभाव के कारण स्त्रियाँ हैं” तो संत थामस ने स्त्रियों को “अपूर्ण पुरूष” की संज्ञा दी थी।......पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ऐसे तमाम सतही सिद्वान्तों का कोई अर्थ नहीं रह गया एवं नारी अपनी जीवटता के दम पर स्वयं को विशुद्ध चित्त (Being-for- itself : स्वयं में सत् ) के रूप में देख रही है।
आकांक्षा
पर अब महिलाओं का सुदृढ आत्मविश्वास उन्हें देश की सरहद पर भी अपनी जाबांजी दिखाने को तैयार दिखता है। इसी क्रम में भारत-चीन सीमा की सुरक्षा में मार्च के बाद महिलाओं की भी ड्यूटी लगेगी।.........कहा भी कहा गया है आत्मविश्वास मानव की सबसे बड़ी पूंजी है.इस सुन्दर पोस्ट के लिए आभार !
ReplyDeleteकभी अरस्तू ने कहा कि -“स्त्रियाँ कुछ निश्चित गुणों के अभाव के कारण स्त्रियाँ हैं” तो संत थामस ने स्त्रियों को “अपूर्ण पुरूष” की संज्ञा दी थी।......पर वर्तमान परिप्रेक्ष्य में ऐसे तमाम सतही सिद्वान्तों का कोई अर्थ नहीं रह गया
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बहुत सही लिखा आपने आकांक्षा जी. महिलाओं पर इस रुचिकर जानकारी के लिए धन्यवाद.
खबर तो बहुत प्यारी है और उत्साहजनक भी, पर क्या यह ड्यूटी नारीत्व को ऊचाई पर पहुंचा कर, दृढ़ बना कर नहीं की जा सकती? क्या इसके लिये ’पूर्ण पुरुष’ बनना आवश्यक है? क्या आप भी हम पुरुषों की तरह यही मानती हैं कि यह काम पुरुषों से या पौरुषीय गुणों से ही किये जा सकते हैं. यदि नहीं तो नारी का स्वतंत्र अस्तित्व झलकाती सूक्तियों का पारायण करिये और अरस्तू और सन्त थामस के प्राचीन सिद्धान्तों को यूं ही और पुराना होकर, अनुपयुक्त होकर सड़ जाने दीजिये.
ReplyDeleteaaj kal nari jaati sab jagah apni upsthati darj karwa rhai hai,to surksha seema par kyon nahi.
ReplyDeletenirenatar aagey hii badhna haen chahey jitnee bhi bhaadhaye aaye aur
ReplyDeleteitihaas mae jo darj haen wo itihaas haen aaj kaa vartmaan kal kaa itihaas hoga so nayaa darj kaaryet chaley ham sab yahii kamna haen
ye bahut achhi baat hai,magar agar hamari koi beti hoti shayad hum use seema ki chouksi ke liye bhejte magar ladhte huye marne ke liye nahi.chahe 10 bete desh ke liye kurbaan.samanta honi chahiye kabul,magar prakruti ne ladki ko kuch aur ek kaam diya hai,jo kisi ourush ko nahi diya.hamari ahmiyaat uske liye jyada hai.ye hmare apne vichar hai agar vyavaharik drushti se kaha jaye to.shayad ek gynac hai isliye thoda hatk sochte hai.
ReplyDeleteअच्छी ख़बर और अच्छा कदम उठाया गया है
ReplyDeleteभारत सरकार ने आई0टी0बी0पी0 के लिए महिलाओं की 5 कम्पनियों के गठन को स्वीकृति दे दी है। यही नहीं रेलवे सुरक्षा बल में भी पहली बार सब इंस्पेक्टर पद पर महिलाओं की नियुक्ति होने जा रही है.
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Nari-Shakti ki jay ho !!
बहुत खूब आकांक्षा जी, आपकी सक्रियता बरकरार है. नारी संबंधी मुद्दों पर प्रिंट मीडिया से लेकर ब्लॉग तक आपके विचार पढने को मिल रहें हैं.वाकई आज की नारी का चेहरा बदल रहा है.
ReplyDeleteवक़्त के साथ समाज में हर वर्ग की भूमिका में बदलाव हुए हैं. नारी भी नित आगे कदम बढा रही है.अब सतही तर्कों का कोई अर्थ नहीं रह गया है, योग्यता हर आयाम का मापदंड है.नारी की प्रगति के साथ ही समाज की प्रगति भी जुडी हुई है.
ReplyDeleteवर्तमान परिवेश में नारी-सशक्तिकरण पर अनुपम प्रस्तुति..बधाई.
ReplyDeleteNice article...padhkar achha laga.
ReplyDelete२१ वीं सदी की महिला के नित बढ़ते कदम...मुबारक हो.
ReplyDeleteवाकई दौर बदल रहा है, समाज की मानसिकता बदल रही है. इसका ज्वलंत उदहारण आकांक्षा जी की यह पोस्ट है.
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