January 15, 2009

हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो


हर जनम मे मुझे शक्ति इतनी ही दीजो की जब भी देखू कुछ गलत , उसे सही करने के लिये होम कर सकू , वह सब जो बहुत आसानी से मुझे मिल सकता था /है /होगा ।

चलू हमेशा अलग रास्ते पर जो मुझे सही लगे सो दिमाग हर जनम मे ऐसा ही दीजो की रास्ता ना डराए मुझे , मंजिल की तलाश ना हो ।

बिटियाँ बनाओ मुझे ऐसी की दुर्गा बन सकू , मै ना डरू , ना डराऊँ पर समय पर हर उसके लिये बोलू जो अपने लिये ना बोले , आवाज बनू मै उस चीख की जो दफ़न हो जाती है समाज मे।

रोज जिनेह दबाया जाता है मै प्रेरणा नहीं रास्ता बनू उनका । वह मुझसे कहे न कहे मै समझू भावना उनकी बात और व्यक्त करू उन के भावो को अपने शब्दों मे।

ढाल बनू , कृपान बनू पर पायेदान ना बनू ।

बेटो कि विरोधी नही बेटो की पर्याय बनू मै , जैसी हूँ इस जनम मै ।

कर सकू अपने माता पिता का दाह संस्कार बिना आसूं बहाए ।
कर सकू विवाह बिना दान बने ।

बन सकू जीवन साथी , पत्नी ना बनके ।

बाँट सकू प्रेम , पा सकू प्रेम ।

माँ कहलायुं बच्चो की , बेटे या बेटी की नहीं ।

और जब भी हो बलात्कार औरत के मन का , अस्तित्व का , बोलो का , भावानाओ का या फिर उसके शरीर का मै सबसे पहली होयुं उसको ये बताने के लिये की शील उसका जाता है , जो इन सब चीजो का बलात्कार करता है ।

इस लिये अभी तो कई जनम मुझे बिटिया बन कर ही आना है , शील का बलात्कार करने वालो को शील उनका समझाना है । दूसरो का झुका सिर जिनके ओठो पर स्मित की रेखा लाता है सर उनका झुकाना हैं ।


दाता हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो ।

9 comments:

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  2. वाह रचना क्या लिखा है तुमने, हर मन का यदि यही संकल्प हो और कामना हो तो , कल की ही नहीं आज कि तस्वीर भी बदल जायेगी. यह समाज एक नए रूप में दिखाई देगा. ईश्वर तुम्हारी इस कल्पना को साकार करे!

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  3. बहुत अच्छा लिखा है आपने। खासकर इस बात को पूरे समाज को समझना होगा कि शील उसका जाता है, जो बलात्कारी हो।

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने। इस बात को पूरे समाज को समझना होगा
    बेटो कि विरोधी नही बेटो की पर्याय बनू मै , जैसी हूँ इस जनम मै ।
    वाह

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  5. रचना हमेशा की तरह बहुत ही अच्छा लिखा है ।
    एक-एक शब्द मे सच्चाई है ।

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  6. क्या ख़ूब हौसला है! यही हौसला औरों में भी आ सके यही कामना है।

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