" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
January 15, 2009
हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो
हर जनम मे मुझे शक्ति इतनी ही दीजो की जब भी देखू कुछ गलत , उसे सही करने के लिये होम कर सकू , वह सब जो बहुत आसानी से मुझे मिल सकता था /है /होगा ।
चलू हमेशा अलग रास्ते पर जो मुझे सही लगे सो दिमाग हर जनम मे ऐसा ही दीजो की रास्ता ना डराए मुझे , मंजिल की तलाश ना हो ।
बिटियाँ बनाओ मुझे ऐसी की दुर्गा बन सकू , मै ना डरू , ना डराऊँ पर समय पर हर उसके लिये बोलू जो अपने लिये ना बोले , आवाज बनू मै उस चीख की जो दफ़न हो जाती है समाज मे।
रोज जिनेह दबाया जाता है मै प्रेरणा नहीं रास्ता बनू उनका । वह मुझसे कहे न कहे मै समझू भावना उनकी बात और व्यक्त करू उन के भावो को अपने शब्दों मे।
ढाल बनू , कृपान बनू पर पायेदान ना बनू ।
बेटो कि विरोधी नही बेटो की पर्याय बनू मै , जैसी हूँ इस जनम मै ।
कर सकू अपने माता पिता का दाह संस्कार बिना आसूं बहाए ।
कर सकू विवाह बिना दान बने ।
बन सकू जीवन साथी , पत्नी ना बनके ।
बाँट सकू प्रेम , पा सकू प्रेम ।
माँ कहलायुं बच्चो की , बेटे या बेटी की नहीं ।
और जब भी हो बलात्कार औरत के मन का , अस्तित्व का , बोलो का , भावानाओ का या फिर उसके शरीर का मै सबसे पहली होयुं उसको ये बताने के लिये की शील उसका जाता है , जो इन सब चीजो का बलात्कार करता है ।
इस लिये अभी तो कई जनम मुझे बिटिया बन कर ही आना है , शील का बलात्कार करने वालो को शील उनका समझाना है । दूसरो का झुका सिर जिनके ओठो पर स्मित की रेखा लाता है सर उनका झुकाना हैं ।
दाता हर जनम मोहे बिटिया ही कीजो ।
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ReplyDeletebahut khoob surat rachna hai bdhaai
ReplyDeleteवाह रचना क्या लिखा है तुमने, हर मन का यदि यही संकल्प हो और कामना हो तो , कल की ही नहीं आज कि तस्वीर भी बदल जायेगी. यह समाज एक नए रूप में दिखाई देगा. ईश्वर तुम्हारी इस कल्पना को साकार करे!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने। खासकर इस बात को पूरे समाज को समझना होगा कि शील उसका जाता है, जो बलात्कारी हो।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने। इस बात को पूरे समाज को समझना होगा
ReplyDeleteबेटो कि विरोधी नही बेटो की पर्याय बनू मै , जैसी हूँ इस जनम मै ।
वाह
रचना हमेशा की तरह बहुत ही अच्छा लिखा है ।
ReplyDeleteएक-एक शब्द मे सच्चाई है ।
क्या ख़ूब हौसला है! यही हौसला औरों में भी आ सके यही कामना है।
ReplyDeletebahut acchi rachna hai aapki...
ReplyDeletebahut khoob surat rachna hai bdhaai
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