September 27, 2008

कम्युनिकेशन या दो तरफा बातचीत

महिलाए बहस या डिस्कशन से क्यूँ बचती हैं ?
नारियां बिना भावनात्मक हुए और बिना पर्सनल हुए क्यों बहस या डिस्कशन नहीं कर पाती है ?
किसी भी बहस को करने का अन्तिम उदेश्य क्या होना चाहिये ?
कम्युनिकेशन या दो तरफा बातचीत मे नारी क्यों वक्ता कम और श्रोता ज्यादा रहती है ?

4 comments:

  1. आज की नारी किसी भी दशा किसी भी दिशा में पुरूष से कमतर नही है तो ऐसे सवाल करने का क्या औचित्य है

    लद गए वो दिन
    आज नारी सर्वेसर्वा है
    उदाहरण के लिए हमारी प्रिय रास्ट्रपति महोदया

    वीनस केसरी

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  2. इस सवाल को नारियाँ स्वयं भी हल करें तो बेहतर है।

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  3. प्रश्न क्रमांक तीन तो यहाँ 'सेलेक्ट द औड वन आउट' टाइप की पहेली का हिस्सा लग रहा है. प्रश्न अपनी जगह वाजिब है पर बाकी तीन के बीच में कुछ असंगत सा है. अनरिलेटेड सा.

    कुल मिलाकर बहुत बढ़िया प्रश्न उठाये हैं. महिलाओं की ओर से ही जवाब आयें तो बेहतर है. जरूर जानना चाहेंगे इनके बारे में उनके विचार.

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  4. सवाल भी सही हैं और यह भी सही है कि नारियों को ही इस का जवाब खोजना होगा. बैसे मेरी राय में बहस में पूरी संजीदगी से भाग लेना चाहिए.

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