September 19, 2008

ये हैं खरा और तीखा सच

मीनाक्षी said...
कानूनी तौर पर 18 साल की व्यस्क स्त्री को परिपक्व शायद ही समझा जाता है..पहले पिता और भाई फिर पति और पुत्र उसकी जीवन दिशा निर्धारित करने के लिए तैयार रहते हैं. दरअसल वह खुद ही अपने जीवन के महत्त्वपूर्ण निर्णयों के लिए पुरुष का ही मुँह देखती है.. समाज के स्त्री वर्ग का बहुत कम प्रतिशत अपने बलबूते पर अपनी जीवन धारा को बदलने में सक्षम है।
जितेन्द़ भगत said...
मैं शर्मिंदा हूँ कि‍ अपनी स्‍त्री के लि‍ए इनमें से कुछ चीजें थोपने की गल्‍ती करता हूँ, (मसलन-उसे क्या मिलना चाहिए क्या नहीं, उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं,वह कैसा मनोरंजन करे,कितना करे)ऐसा क्‍यों करता हूँ मैंने कई बार सोचा भी है, सोचकर फि‍र वही गल्‍ती करता हूँ। इसलि‍ए आपने जि‍न सवालों पर राय मॉंगा है, उसपर राय देने का मुझमें न दंभ है न काबि‍लि‍यत! ये सवालों से कतराना भी नहीं है, कुछ गोल-मोल राय भी दे सकता था, पर आजकल झूठ बोलने पर शीशे में दो मुँह दि‍खाई देने लगा है। शीशे में अक्‍श धुँधला पड़ते ही मैं राय देने जरुर आऊँगा, और बताऊँगा कि‍ ऑकडों के आधार पर इन सवालों का जवाब नहीं दि‍या जा सकता। वि‍श्‍वास करें, मैं चाहूँ भी तो मेरे साथी इस शीशे को कभी धुँधला नहीं पड़ने देंगे, इस जनम में तो बि‍ल्‍कुल नहीं!!

ये हैं खरा और तीखा सच जो मीनाक्षी और जितेन्द़ भगत ने अपने कमेन्ट मे इस पोस्ट पर दिया ,
स्त्री के अलावा समाज का हर व्यक्ति जानता है कि स्त्री की क्या आवश्यकताएँ हैं

टिपण्णी करने का कोई मकसद होता हैं जिसे मीनाक्षी और जितेन्द़ भगत ने निभाया । हिन्दी ब्लोगिंग को आगे लेजाना हैं तो केवल टिपण्णी ना करे , कुछ सार्थक लिखे कम से उन ब्लोग्स पर जहाँ ब्लोगिंग को पेशेवर{ प्रोफेशनल } तरीके से किया जाता हैं । उत्साह वर्धन करना जरुरी हैं जहाँ ब्लॉगर का ब्लॉग नया हो बाकी जगह जरुरी हैं की अगर आप की टिपण्णी चर्चा को कुछ सार्थक बनाती हैं तभी करे । ब्लोगिंग टिपण्णी के लिये ना करे , ब्लोगिंग करे उन मुद्दों के लिये जो आप के दिल के करीब हैं और आप उन पर अपनी बात रखना चाहते हैं । अगर आप हफ्ते मे केवल एक दिन ब्लॉग्गिंग करे हैं तो उन सब लिंक्स को पढे जो किसी पोस्ट पर होते हैं टिपण्णी करने से पहले ताकि आप को चर्चा कहा तक पहुँच गयी हैं पता हो । केवल इस लिये ना टिपण्णी करे की लोग ब्लोगिंग मे आप को याद रखे इसलिये करे क्युकी आप या तो पोस्ट से सहमत हैं या असहमत और अपनी बात कहना चाहते या चर्चा मे कुछ नवीन पहलु जोड़ना चाहते हैं

3 comments:

  1. मै सहमत हूँ और देखता आ रहा हूँ कि भारतीय samaaj me युवतियो के भविष्य की दिशा का निर्धारण परिवार के माता पिता भाई करते है यह सत्य है.

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  2. @टिपण्णी करने का कोई मकसद होता हैं जिसे मीनाक्षी और जितेन्द़ भगत ने निभाया ।

    वधाई हो. मुद्दे से सहमत तो हम भी हैं, ऐसा ही लिखा भी था, पर शायद टिपण्णी का मकसद नहीं निभा पाये.

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