कुछ दिन पूर्व ब्लाग पर एक आइटम लिखा था, ´क्या चल रहा है ब्लाग पर `उस समय उस पर काफी बवाल हुआ, किसी ने कहा, ´तस्वीर बुरी है`, किसी ने कहा ´ये बुरी औरतें है।` यकीन मानिये , ये औरतें चुपचाप से औरतों की मजबूती और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई हैं। मुझे तो ऐसा ही लगा है आप भी जानें मेरी कलम से कि ये कैसी औरतें हैं, इनका मकसद क्या है, औरत के बारे में इनकी सोच कैसी है। आशा हैं ये चर्चा आप को पसंद आयेगी , रोज ना सही हफ्ते मै एक बार ही सही , मेरी कलम से सफर अच्छी औरतो की बुराई का............
Kafi acha hai mahilao ka samaj.. acha laga yaha aakar.
ReplyDeleteI think all women bloggers are quite educated , intelligent and intellectuals ...who are doing their bit for social awaking...
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आप ने ...
ReplyDelete@मेरी कलम से सफर अच्छी औरतो की बुराई का............
ReplyDeleteकुछ अच्छी औरतों की अच्छाई का जिक्र भी हो जाए.
निःसन्देह नारी ब्लोग पर नारियों की समस्याओं को व उनके विचारों को उठाने का प्रयास किया जा रहा है.बहुत अच्छा लिखा है आपने किन्तु क्या २९ महिलाओं को ही महिलाओं का प्रतिनिधि मानकर यह माना जाना चाहिये कि इस पर प्रकाशित विचार ही महिलाओं के विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं? ब्लोगिन्ग से उन करोंडो-अरबों महिलाओं का क्या हित हो सकता है जो अपनी रोटी के लिये जूझ रही हैं? जो अपने लिये नहीं परिवार या समाज के लिये जूझ रही हैं क्या वे महिलाएं नहीं या उनके विचारों या आवश्यकताओं का कोई महत्व नहीं? क्या ऐसी महिलाऒ के लिये भी अभियान चलाकर कुछ किया जा सकता है. ब्लोगिंग से जमीन से जुडे लोगों को क्या फ़ायदा हो सकता है? यह विचार का विषय नहीं होता तो ब्लोगिंग केवल मनोरंजन की चीज है या व्यर्थ के वाद-विवाद का मंच.
ReplyDeleteमैं राष्ट्रप्रेमी जी की बात से सहमत हूँ.
ReplyDeleteजन्माष्टमी की बहुत बहुत वधाई
मनविंदर आप ने अपनी ब्लॉग नारी पर अपनी अखबार के कोलम मे लिखा , धन्यवाद नहीं कहुगी क्युकी आप का अपना ही ब्लॉग हैं . पर आप अगर ब्लॉग का लिंक भी किसी जगह दे देती तो और भी अच्छा होता लेकिन मे जानती हूँ ये केवल शुरुवात हैं .
ReplyDelete@राष्ट्रप्रेमी जी
"ब्लोगिंग से जमीन से जुडे लोगों को क्या फ़ायदा हो सकता है? " आज कल इंटरनेट प्रसार और प्रचार का सबसे आसन साधन हैं . गावं मे भी साइबर कैफे खुल गयी हैं पर मुझे लगता हैं रुढिवादिता की शिकार पढ़ी लिखी महिला ज्यादा हैं इस ब्लॉग के जरिये अगर हम किसी भी ऐसी महिला " जो मानसिक रूप से परतंत्र " के अंदर अपने प्रति जागुराक्ता ला सके तो ये ब्लॉग लेखन बहुत दूर तक जायेगा . नारी ब्लॉग महिला विचारों का मंच हैं और आप जिस चीज़ की बात कर रहे वो संस्था बना कर होती हैं . इस ब्लॉग की बहुत सी सदस्या इन संस्थाओं से जुडी हैं इसीलिये निरंतेर "सच " को अभिव्यक्त कर रही हैं . ब्लॉग लेखन और ngo मे फाक हैं .
रचनाजी
ReplyDeleteमेरा मानना है कि हम जो लिखते हैं उसे आचरण में ढालकर जीयें तो समस्यायें खत्म हो सकतीं हैं. एन जी ओ से कुछ नहीं होने वाला. हमें अपने आप से ही प्रारंभ करना होगा. हम दुनिया को नहीं बदल सकते किन्तु अपने आप को बदल सकते हैं अपने परिवार और अपने परिवेश में काम कर सकते हैं. जितने लेखक-लेखिकायें व बुद्धिजीवी हैं, उनकी कथनी-करनी में एकता हो जाय वे यश प्राप्ति के लिये काल्पनिक लिखना छोड्कर करके लिखे तो सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है.
"जितने लेखक-लेखिकायें व बुद्धिजीवी हैं, उनकी कथनी-करनी में एकता हो जाय वे यश प्राप्ति के लिये काल्पनिक लिखना छोड्कर करके लिखे तो सभी समस्याओं का समाधान हो सकता है."
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा हैं आपने . मे ना तो लेखिका हूँ , ना बुद्धिजीवी हूँ और ना ही मुझे लगता हैं की ब्लॉग लेखन मे इस लिये कर रही हूँ की मुझे क्याती मिले . अपने जिंदगी मे जो जीविका के लिये काम करती हूँ उसमे धन और ख्याति दोनों हैं और अपने जीवन मे जो कहती हूँ वही मानती औरकरती भी हूँ . ब्लॉग लेखन के ज़रिये विचारों का और जिंदगी के अनुभवों का आदान प्रदान होता हैं . आप इस ब्लॉग पर क्या पढ़ना चाहते हैं हमारे लिये वो जरुरी नहीं हैं . हमारे लिये ज़रुरी हैं की हम क्या लिखना चाहते हैं . यहाँ हम कम से कम किसी भी साहित्य की रचना नहीं कर रहे हैं . आप पढ़ते हैं , आप को अधिकार हैं कमेन्ट करने का पर क्या प्रवचन देने का अधिकार भी हैं , क्या जरुरी आहें की आप यहाँ कम्नेट मे ये बताये की हमे क्या करना चाहिये . कमेन्ट करे कंटेंट पर ना की क्या सही हैं , क्या होना चाहिये . हम लिख रहे हैं क्योकि हम लिखना चाहते हैं . ब्लॉग माध्यम के ज़रिये हम देश विदेश मे अपने विचारों को पहुचा रहे हैं . बस आप से यही कहना हैं की हम जो लिख रहे हैं उस मे वो ना खोजे जो आप को लगता हैं सही हैं और हमें करना चाहिये हम अपने सही गलत के लिये ख़ुद फैसला करने मे समर्थ हैं . आप को इस विचार धारा से जुड़ना हो आप का स्वागत हैं , हम विचार धारा नहीं बद्लेगे
हम जैसे हैं, वैसे ही रहेगें, नहीं बदलेंगे, अपनी सुनायेंगे, दूसरे की नहीं सुनेंगे, इसी से नारी को आगे ले जायेंगे. बहुत-बहुत धन्यवाद!
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