" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
July 29, 2008
मिलिये निर्झरणी से, जिन्होंने अपनी राह खुद बनाई
आइये आपका परिचय एक ऐसी महिला से करवायें जो जीवन के हर मोड पर लगातार संघर्ष करते हुए आगे बढती रही.पश्चिम बन्गाल के कांचरापाडा नामक गांव की रहने वाली इस महिला का नाम है निर्झरणी चक्रवर्ती.निर्झरणी उस कोलेज की प्रिन्सीपल हैं जहां कभी वो झाडू लगाया करती थी.जिस स्कूल में निझरणी पढने जाती थी वहां उन्हें ८वीं के बाद शिक्षा छोडनी पडी कारण था पिता का रिटायरमेण्ट जिसके चलते वो अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ थे.ये थी पढाई में अग्रणी.स्कूल की शिक्षिकाओं ने उनकी मजबूरी समझते हुए बंकिम चन्द्र कोलेज में ग्रुप डी के दर्जे पर नौकरी पर रखवा दिया,जहां वो कप धोना,झाडू लगाना,घण्टी बजाना, बेन्चें साफ़ करने जैसे कार्य करते हुए पढती रहीं.इस काम के लिये उनको ६० रु मिलते थे.इस आर्थिक आत्मनिर्भरता के चलते वो अपनी शिक्षा जारी रख सकी और साथ ही घर के खर्चों में मदद भी देने लगी.फ़िर उस स्कूल में क्लर्क का स्थान रिक्त होने पर अध्यापिकाओं द्वारा वहां रखवा दिया गया.इस के साथ वो बंकिम चन्द्र कोलेज से बी एस सी करने लगी.१९७३ में स्नातक की डिग्री लेते ही स्कूल ने उनको साइन्स टीचर के स्थान पर रख लिया.इसके साथ ही उन्होंने टीचर्स ट्रेनिन्ग कर ली. एम.एड कर लेने के पश्चात निर्झरणी ने कोलेज में लेक्चरर के पद के लिये आवेदन कर दिया.इस नौकरी पर वो १६ साल तक बनी रही और इसके लिये वो रोजाना ८ घण्टे का सफ़र तय करती थी.१९९१ में पी.एच डी करने के पश्चात २००२ में वो उसी कोलेज की प्रिन्सीपल के पद के लिये चुनी गई जहां कभी वो खुद पढी थीं और नौकरी करती थी.तदोपरांत सी पी एम ने उन्हें असेम्ब्ली चुनाव के लिये टिकट दिया और वो जीती.आज निर्झरणी एम.एल.ए और प्रिन्सीपल के पद बखूबी संभाल रही है.सुबह वो कोलेज जातीं हैं और बाकी का पूरा दिन अपने क्षेत्र में घूमते हुए बिताती हैं.फ़िल्हाल वो कांचरापाडा में एक फ़्लाईओवर और एक नहर बनवाने की कोशिश में लगी हुई हैं.इस सब के बावजूद वो कोलेज बंद होने के पश्चात ब्लैकबोर्ड पौंछना नहीं भूलती.शांत,संयमी और निर्झर की तरह जीवन को जीने वाली निर्झरणी जी के जीवट को सलाम .५४ वर्षीया निर्झरणी सिद्ध करती हैं कि THE INDIAN WOMAN HAS ARRIVED.
निर्झरणी जितना सुंदर नाम उतना ही सुंदर काम और उतनी ही हिम्मत .बहुत हार्दिक खुशी होती है जब यह सब जानकारी में आता है और कुछ करने की प्रेरणा दे जाते हैं यह प्रसंग ...
ReplyDeleteवाकई ऐसे लोगो को ढेरो सलाम ......
ReplyDeleteकाफ़ी प्रेरणादायक पोस्ट.
ReplyDeleteनिर्झरनी देवी को बारम्बार प्रणाम
निर्झरणीजी को शत शत प्रणाम.. ऐसे व्यक्तित्त्व जीवन को उर्जा से भर देते हैं..
ReplyDeleteIncredible!!!
ReplyDeleteकलम आज उनकी जय बोल!
aise jasbe ko hamara salam.
ReplyDeleteनिर्झरणी जी काबिले तारीफ़ हैं, महिलाओं के लिये ही नहीं सभी के लिये प्रेरक उदाहरण है, उन्हें बहुत-बहुत बधाई.
ReplyDeletevery inspiring indeed...a lot of courage and willpower is needed...
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