" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
July 16, 2008
अनाथालय राउंड - एक रैंप शो
जिस महिला आनाथालय में मदों का अंदर आना मना है वहां अगर रैंप पर उतरने वाले मॉडल लड़के आ जाये तो इसे क्या कहा जायेगा? ऐसा ही हुआ मेरठ के एक अनाथालय में। रैंप पर उतरने से पहले उनके लिये एक राउंड रखा गया, अनाथालय राउंड, आपको हैरानी हो रही होगी, अनाथालय राउंड क्या ??मुझे भी हुई थी। जो कंपनी मॉडल तैयार कर रही ही थी उसने महिला अनाथालय में एक आयोजन किया। इस आयोजन में अल्हड़ उम्र की जवान लड़कियों को पहले सबके सामने ला कर जमीन पर बिठा दिया। बाद में मॉडल लड़कों ने उन्हें फल व चाकलेट देने के बहाने बातचीत शुरू कर दी। बातचीत के दौरान लड़के उन मासूमो को गहरे से देख रहे थे, अनाथ लड़कियों को समझ नहीं आ रहा था कि वे उनसे क्या बात करें। जिन्होंने कभी बाहर की हवा भी नहीं देखी उनके सामने मॉडल आ गये तो उनका हैरान होना वाजिब था। बड़े लड़कों को देख कर वे मासूम लड़कियां लजाने लगी। कोई अपनी चुनरी को सही करने लगी तो किसी ने लजा कर अपने चेहरे पर हाथ पर रख लिया। मुझे यह सब काफी अजीब लगा तो कंपनी की एक परमोटर में से मैने पूछा कि मॉडल लड़कों को यहां लड़कियों की बीच लाने का क्या अर्थ?वह बोली, हम देखना चाहते हैं कि इन लड़कियों से मिल कर मॉडल लड़कों के मन में कैसे भाव आते है? इसके लिये इन्हें अंक भी दिये जायेंगे। मैंने मौके से लौट कर अपने संपादक से बात की तथा असलियत बतायी, यह भी पूछा कि अपने एंगल से खबर को लिखूं या सपाट खबर लिखूं, मॉडलों ने कुछ पल बिताये अनाथालय में ? तय हुआ सपाट खबर लिखी जाएं। मैंने सपाट खबर लिख दी लेकिन जो मैंने महसूस किया वह सिर्फ यहां लिख रही हूं। 'सवाल यह है कि क्या मॉडलों को महिला अनाथालय में इस तरह से घुसने की इजाजत देनी चाहिए? आखिर उन मासूम और उम्र से अल्हड़ों को क्या पता कि यह कंपनी का परमोषन भर है, उन्हें एक एक चाकलेट, बिस्कुट या फल देना तो उन्हें मात्रा यूज करने जैसा है। कंपनी को पता है, उसकी खबर अखबारों में छपेगी, उसे प्रचार मिलेगा, वह भी बिना कुछ खर्च किये। दूसरे दिन सभी अखबारों में खबर भी छपी, उनका फोटो भी छपा . कभी कभी अपने से ही एक वितृष्णा होती हैं , एक मायूसी भी जो अपने को अपनी नज़र मे छोटा बनाती हैं
मनविन्दर
ReplyDeleteतुमने समाज के एक घृणित सत्य को उजागर किया है। पढ़कर मन भारी हो गया। हमारे समाज के ऐसे अनेक अँधेरे कोने हैं जिनको रौशनी देने की बात सब करते हैं पर देता कोई नहीं। एक सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई।
pataa nahin keha keha kyaa kyaa badal saktey haen ham phir bhii aap ne blog kae maadyam sae apnaey man kii baat ko kehaa yahii bahut haen
ReplyDeleteअनाथालय के प्रबंधन से जवाब माँगा जाना चाहिए, और ये तथाकथित 'मॉडल', कोई प्रोफेशनल मॉडल भी नहीं रहे होंगे, ये सभी सेक्सुअली फ़्रस्टेटेड, ग्लेमर का सपना देखने वाले मिडिल क्लास, या लोअर मिडिल क्लास लड़के रहे होंगे.
ReplyDeleteआप में से कोई महिला संगठन की कार्यकर्ता हों तो, प्रबंधन के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की मांग करें.
मेरी जानकारी के अनुसार :
इस तरह की बातें होना इस बात का पहला इशारा है की किसी 'बड़े गेम' की तैयारी है. (कम लिखा ज़्यादा समझिये).
ऐसी घटनाएँ मन में हलचल पैदा कर देती है..
ReplyDeleteकम्पनी के प्रचार प्रसार के लिये उठाये गये इस शर्मनाक कदम को उजागर करने के लिये मनविन्दर को बधाई.
ReplyDeleteयह कोई साधरण सी घटना नही है ..इसके पीछे जरुर कोई ठोस बात है .ऐसा होना सच में शर्मनाक और दुखद है
ReplyDeleteरीढ़ में कितनी ही देर तक रही सिहरन, उन बच्चियों की स्थिति को सोच कर।
ReplyDeleteअब यहां अपशब्दों की मनाही है वरना गुस्सा तो बहुत आया था।
कम्पनी का नाम क्यों नहीं लिखा आपने?
'विचार' से पूरी तरह सहमत।
एक शर्मनाक कदम को उजागर करने के लिये बधाई.
esi ghatnao ka manbider ji apne patachep kiya tarifekabil hai.anathalaya mai madal nischit hi grinit udeshya chupa hai apki jagrukta ki bhuri-bhrui prasasnsa karta hoo.............
ReplyDeletepravandhan se sakht appatti ki janna chahiye?
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