" जिसने घुटन से अपनी आज़ादी ख़ुद अर्जित की " "The Indian Woman Has Arrived " एक कोशिश नारी को "जगाने की " , एक आवाहन कि नारी और नर को समान अधिकार हैं और लिंगभेद / जेंडर के आधार पर किया हुआ अधिकारों का बंटवारा गलत हैं और अब गैर कानूनी और असंवैधानिक भी . बंटवारा केवल क्षमता आधारित सही होता है
June 23, 2008
होम मेकर
आज का युग बहुत बदल गया है आज के वक्त में नारी भी उतनी ही ताक़त रखती है जितना एक पुरूष आज की पूंजीवादी वयवस्था में ज्ञान विज्ञान और शिक्षा ने जहाँ नारी में अपना एक आज़ाद अस्तित्व बनाने की चाह पैदा की है वहां आज की बदती महंगाई ने उसको पुरूष के साथ कंधे से कंधे मिला कर चलने के लिए रास्ता दिखाया है खेत खलिहान से ले कर अंतिरक्ष में जाने तक आज की नारी हर जगह अपने अस्तित्व से अपनी पहचान बनाए हुए हैं यदि स्त्री बाहर काम कर रही है तो घर भी उसके लिए उपेक्षित नही रहा है वह आज भी घर के हर कार्य को उसी सुघड़ता से संभालती है जैसे कुछ समय पहले सिर्फ़ घर में रहने वाली एक नारी संभालती थी .यह बात और है की उसके किए घर के काम को सिर्फ़ उसी का काम समझ लिया जाता है .और उसके काम का कोई मूल्य नही समझा जाता है ...मूल्य का अर्थ सिर्फ़ यह नही कि कोई उसके लिए तनखाह निश्चित कि जाए यह कर तो यह दर्शाया जायेगा कि वह अपने घर में ही दास है या कोई पैसे ले कर कम करने वाली एक सेवक जिसका स्वामी उसका पति है ..क्यूँ घर उसका भी है औरउस घर को ले कर उसके भी सपने हैं जिन्हें वह सजाती रहती है सिर्फ़ यह ध्यान रखा जाए कि यदि कोई नारी सिर्फ़ घर को चलाती है तो उसका भी योगदान किसी बाहर काम करने वाली महिला के योगदान से कम नही है ..और उसके किए गए गए हर कार्य की सरहाना करना और उसको अपने प्यार से परिवार के हर सदस्य का यह कर्तव्य है कि वह भी घर को संभाल कर उनके साथ कंधे से कन्धा मिला कर सहयोग कर रही है ..यह भी एक बहुत बड़ा मूल्य है ..अब जैसे जैसे माहोल बदल रहा है बहुत से पुरूष भी घर के कार्य में रूचि लेने लगे हैं ..यह एक अच्छा संकेत हैं आख़िर घर को सभी मिल कर चला सकते हैं यह बात सभी समझ ले और कोई घर में रह कर घर को अपने प्यार से सींचने वाली नारी भी किसी के बताने पर किसी हीन भावना से नही बलिक गर्व से कहे कि मैं होम मेकर हूँ जो अपने प्यार से और सबके सहयोग से इस मकान को घर बना रही हूँ तो कोई समस्या ही न हो .
रंजू जी,,,आपका लेख आज के समय की माँग है.. घर परिवार के सदस्यों के कर्तव्य और एक दूसरे के लिए सराहना का भाव भी घर की महिला ही सिखा सकती है...यह छिपा जादू भी उसी के पास है...
ReplyDeleteरंजना जी मैं आपके लेख से सहमत हूँ !यह सच है की नारी पहले भी होम मेकर थी ,आज भी है और हमेशा रहेगी !आज के परिपेक्ष्य में नारी घर के साथ साथ समाज में हर क्षेत्र में अपना सहयोग दे रही है !शायद ही ऐसा कोई क्षेत्र होगा जहाँ नारी के कदम न पड़े हो !ये नारी ही है जो किसी मकान को घर बनाती है !इस क्षेत्र में उसका कोई सानी नहीं है !और ये कहते हुए उसको गर्व होना चाहिए की हाँ मैं होम मकर हूँ !
ReplyDeleteकहते हैं इतिहास अपने को दोहराता है। तो ये तो निश्चित है कि वो दिन दूर नही जब स्त्री गर्व से कहेगी कि वो होम मेकर है, एक जमाना था जब स्त्रियोंन का काम पर जाना हेय द्र्ष्टी से देखा जाता था, वो जमाना शायद नहीं आयेगा पर ये भी निश्चित् है कि होम मेकर को भी आदर से देखा जाएगा।
ReplyDeleteआपकी कलम मे जादू है, आनद आ गया
ReplyDeleteरंजूजी, शत-प्रर्तिशत सही कहा है आपने, मेरा मानना तो यह है कि बाहर से घर का काम अधिक महत्वपूर्ण है.
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