tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8846774219144077066..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: समय हैं बेटियों को नहीं बेटो को नैतिकता का पाठ पढ़ाने कारेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-64400421176015882192011-10-21T17:41:02.642+05:302011-10-21T17:41:02.642+05:30नैतिकता का अर्थ है - जीवन जीने के तरीके | इसका पाठ...नैतिकता का अर्थ है - जीवन जीने के तरीके | इसका पाठ बेटे और बेटियों " दोनों " को ही बराबरी से "बताया" जाना चाहिए - "पढ़ाया " ? पता नहीं | <br /><br />यदि एक अच्छा समाज चाहिए - तो ज़रूरी है कि न सिर्फ बेटे, न सिर्फ बेटी, बल्कि " दोनों " ही सही राह पकडे | अभिभावक उन्हें सही राह दिखा सकते हैं - पर उन्हें जबरदस्ती चलाना ? शायद कुछ ठीक नहीं हो |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70264273823205690082011-10-21T15:27:41.009+05:302011-10-21T15:27:41.009+05:30sachne par majboor kati post....sundar rachna...be...sachne par majboor kati post....sundar rachna...beton ko sudhar do ghar samaj sab sudhar jaegakanu.....https://www.blogger.com/profile/16556686104218337506noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24329681492163662722011-10-21T11:22:43.967+05:302011-10-21T11:22:43.967+05:30जिस तरह हर पुरुष को इस धारणा के लिए दोषी नहीं ठहरा...जिस तरह हर पुरुष को इस धारणा के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता ठीक वैसे ही हर नारी निर्दोष नहीं है.<br />दर-असल यह बहस स्त्री-पुरुष की हद से ऊपर है.व्यक्तिगत लोग ऐसी विचारधारा के लिए दोषी हैं,वे पुरुष और स्त्री दोनों हो सकते हैं.कई जगह ऐसा होता है कि बेटी को उसके पिता की तरफ़ से अभयदान रहता है जबकि माँ कई तरह से बेटी को रोंकती-टोंकती है.संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52717665179780024842011-10-20T09:52:24.526+05:302011-10-20T09:52:24.526+05:30पोस्ट की एक दो बातों से असहमत होने के बावजूद इस सं...पोस्ट की एक दो बातों से असहमत होने के बावजूद इस संदेश से सहमत कि बेटों को ही सुधारना जरुरी है और वैसे भी बेटी को पर्दे में रखने से तो केवल वो ही सुरक्षित रहेगी लेकिन बेटे को सुधार दिया तो ये समस्या ही खत्म.इससे हमारे घर की महिलाएँ भी बहुत हद तक सुरक्षित हो जाएगी और जो अच्छे पुरुष भी इसी वजह से शक की निगाहों से देखे जाते है उनकी शिकायत भी दूर हो जाएगी.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-90454142490229456682011-10-19T23:45:38.620+05:302011-10-19T23:45:38.620+05:30आपका कहना सही है... नैतिक शिक्षा जिसकी सबसे ज्याद...आपका कहना सही है... नैतिक शिक्षा जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत है वो ना तो विद्यालय में दी जा रही है ना परिवार में... यदि संस्कारों की शिक्षा ठीक से दी जाए तो बहुत सी उलझनें स्वत: ही हल हा जाएंगी<br /><br /><a href="http://hindicomedyjunction.blogspot.com/" rel="nofollow">हिन्दी कॉमेडी- चैटिंग के साइड इफेक्ट</a>Rituhttps://www.blogger.com/profile/12026868926223801166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66092165633409898572011-10-19T22:45:59.328+05:302011-10-19T22:45:59.328+05:30अभी हाल ही में एक कविता पर मैंने कुछ ऐसी ही बात लि...अभी हाल ही में एक कविता पर मैंने कुछ ऐसी ही बात लिखी थी की पिताओ को बड़े होने पर समाज से डरने और बेटी को भी डराने के बजाये उससे लड़ना सिखाना चाहिए | शायद पुरुष जानता है की किसी अन्य पुरुष को समझाना असंभव है या वो समझ ही नहीं सकता तो एक मुश्किल रास्ता अपनाने से अच्छा है की बेटी को ही पर्दे में रखा जाये | हर किसी को बेटी होने से समाज सुरक्षित हो सकता तो ये समाज कभी बेटियों के लिए असुरक्षित होता ही नहीं |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-27377953764381871062011-10-19T19:21:43.606+05:302011-10-19T19:21:43.606+05:30yahi hona chahiye tabhi ye des apni pahli chavi ko...yahi hona chahiye tabhi ye des apni pahli chavi ko paa sakega ,,<br />jai hind jai bharatSAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.com