tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post859488849553488751..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: स्त्री को अभी भी परिवार के सुरक्षित दायरे में ही बांधे रखना बेहतर समझा जाता है।रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31770282779184223362008-08-31T11:35:00.000+05:302008-08-31T11:35:00.000+05:30@सुरेश्गुप्ता हर किसी को अपना रास्ता चुनने का अधिक...@सुरेश्गुप्ता <BR/>हर किसी को अपना रास्ता चुनने का अधिकार हो समानता का मतलब यही होता हैं . अपने हिसाब से जिन्दगी जीना , स्वतंत्रता से . और स्वतंत्रता मे आर्थिक स्वन्तान्त्रता , स्वाबलंबन सबसे जरुरी हैं . घर मे रह कर क्यूँ नहीं या घर मे रह कर क्यों का इस पोस्ट से कोई लेना देना नहीं हैं क्युकी यहाँ बात क्षमता की हैं की अगर स्त्री मे क्षमता हैं तो क्यूँ उसके लिये घर मे ही रहना जरुरी हैं , क्यूँ उसके लिये बंदिश और मन्हाइयां हैं . क्यूँ समझोते करे वोAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86715138633303005612008-08-30T14:42:00.000+05:302008-08-30T14:42:00.000+05:30परिवार न केवल स्त्री को बल्कि पुरूष को भी सुरक्षा ...परिवार न केवल स्त्री को बल्कि पुरूष को भी सुरक्षा प्रदान करता है. यह सही है कि आज की स्त्री के पास कामयाबी के उच्चतम स्तर को छूने की क्षमता है और उस के पास अनगिनत अवसर हैं, पर कया यह सारे अवसर बाहर जा कर नौकरी करने तक ही सीमित हैं? आज घर में रह कर भी बहुत कुछ किया जा सकता है. बहुत सी स्त्रियाँ घर में रह कर ही अपना व्यवसाय चला रही हैं.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10037139497461799634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75171378892543151492008-08-28T11:57:00.000+05:302008-08-28T11:57:00.000+05:30हमें इन्हीं दायरों को ही तो तोड़ना है। पर उसके लिए...हमें इन्हीं दायरों को ही तो तोड़ना है। पर उसके लिए हिम्मत चाहिए। तो हिम्मत करो और तोड़ डालो।11111https://www.blogger.com/profile/11021483645544858479noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-1470294222382934322008-08-28T11:32:00.000+05:302008-08-28T11:32:00.000+05:30अधिकांश आबादी का ये कड़वा सच है लेकिन आज बहुत बदला...अधिकांश आबादी का ये कड़वा सच है लेकिन आज बहुत बदलाव आया है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66424999333466561272008-08-28T09:19:00.000+05:302008-08-28T09:19:00.000+05:30स्त्री को उसकी क्षमता के अनुसार फलने फूलने का मौका...स्त्री को उसकी क्षमता के अनुसार फलने फूलने का मौका कुछ लोगों की सोच के कारण नहीं मिल पा रहा है। आखिर कब तक इस तरह पारिवारिक मनाहियों के बीच स्त्री समझौते करती रहेगी???<BR/>" a wonderful article giving consederation with emotions to woman their life with struggle...... yes the question raised in the end is really critical required thought to be given"<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com