tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8575026798495400794..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: ये कहना "आगे बढ़कर अपने लिए एक रेड लाईट एरिया[ चाहें तो रंग बदल लें] खोल लें" एक गाली ही हैंरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-32752357690580234462010-03-13T16:49:46.308+05:302010-03-13T16:49:46.308+05:30क्या खूब लिखा है.............
अपनी अपनी सोच है.......क्या खूब लिखा है.............<br />अपनी अपनी सोच है...........<br />स्त्री-पुरुष असामनता का विषय है...संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-68414743131719862812009-12-21T13:39:10.223+05:302009-12-21T13:39:10.223+05:30सीएम प्रसाद ने गाली देकर संतोष प्राप्त किया और उस ...सीएम प्रसाद ने गाली देकर संतोष प्राप्त किया और उस पर विरोध स्वरूप प्रतिक्रियाएं पाकर प्रसन्नता भी हुई!! चित भी मेरी, पट भी मेरी। मुझे लगता है ऐसे घृणित सोच वाले इंसान का पूरे चिट्ठाजगत मे बहिष्कार होना चाहिए। क्या उन्हें समझ में आता है कि 'अपने लिए रेड लाइट एरिया खोलने' के मायने क्या हैं? क्या वे अपने घर-परिवार के झगड़ों में भी महिलाओं को ऐसी सलाहें दिया करते हैं?आर. अनुराधाhttps://www.blogger.com/profile/16394670775058734814noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11978171854687407272008-12-30T12:52:00.000+05:302008-12-30T12:52:00.000+05:30nahi varen varani shamyanti kadachanavariren he sh...nahi varen varani shamyanti kadachan<BR/>avariren he shamyanti aisha dharma sanatan...<BR/><BR/>...bahas karen wale to ismein bhi bahas karege ..aurat ya mard se pahle kaun chup rahe.<BR/><BR/>apriya wachan kisi hamesha katur he hote hai....rahi baat galiyon ki to kisi ke liye larki shabd gali hai, kisi ke liye 'bihari'/bhaiya/chinki shabd gali hai.भावनाhttps://www.blogger.com/profile/15001209542869965049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-39358474277222840252008-12-30T11:46:00.000+05:302008-12-30T11:46:00.000+05:30गाली गलौज किसी भी सुसंस्कृत नर नारी के लिए अशोभनीय...गाली गलौज किसी भी सुसंस्कृत नर नारी के लिए अशोभनीय है !<BR/><BR/>sahi baat<BR/>mishra ji ki tippani se sahamatmakrandhttps://www.blogger.com/profile/14750141193155613957noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54875657256808261152008-12-30T01:04:00.000+05:302008-12-30T01:04:00.000+05:30ऐसा बोलने वाले को चार गालियां लिख कर ये जता दीजिये...ऐसा बोलने वाले को चार गालियां लिख कर ये जता दीजिये कि किसी के उलाहना देने से आपके कदम ठिठक जायेंगे. ऐसे लोगों को एहसास होना चाहिये कि समय बदल रहा है और कल अगर लङ्कियां चाहें और सही समझें तो वो रेड लाइट एरिया भी बना लेंगी. ना तो इनकी इजाजत चाहिये ना इनकी प्रतिक्रिया. ये लोग बस ये ध्यान रखें कि इनके घर की महिलायें ऐसा न करने लगें कल को वरना समाज में मुंह दिखाने के लायक न रहेंगे.फ़्र्स्ट्रूhttps://www.blogger.com/profile/17470470570247665210noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-55289034179440706692008-12-29T23:49:00.000+05:302008-12-29T23:49:00.000+05:30क्या खूब लिखा है.............अपनी अपनी सोच है........क्या खूब लिखा है.............<BR/>अपनी अपनी सोच है...........<BR/>स्त्री-पुरुष असामनता का विषय है..........राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70877478202272030242008-12-29T23:04:00.000+05:302008-12-29T23:04:00.000+05:30वैसे गालियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण यह विभेद ह...वैसे गालियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण यह विभेद ही है।<BR/>----<BR/>दिनेश जी जब आप मान ही रहे हैं कि स्त्री पुरुष असमानता और गाली चर्चा मे प्रमुख सम्बन्ध है फिर आपको यह बात उठाने का फूहड़ तरीका कैसे लग सकता है।<BR/>अथवा आप कहना चाहते हैं कि क्योंकि मैने मुद्दे को सही तरीके से उठाया इसलिए कोई cmpershad सरे आम गाली दे जाना जायज़ साबित हो जाता है।<BR/>माने आपको मेरी बात पसन्द नही आएगी तो क्योकि आप पुरुष हैं तो आप भी ऐसी ही कोई भद्दी बात कहने के हकदार हो जाएंगे।सुजाताhttps://www.blogger.com/profile/12373406106529122059noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69789340532559645522008-12-29T22:15:00.000+05:302008-12-29T22:15:00.000+05:30चद्रमौलेश्वर पेरसाद की टिप्पणी मुझे इतनी नागवार लग...<I><BR/>चद्रमौलेश्वर पेरसाद की टिप्पणी मुझे इतनी नागवार लगी कि मैंनें आज चिट्ठाचर्चा पर कोई टिप्पणी देना उचित ही नहीं समझा !<BR/>शर्म आती है, ऎसी चौपाल देख कर..जहाँ चर्चित होने के लिये अनर्गल टीप दी जाती है, या नज़रों में चढ़े रहने के लिये वाह वाह की जाने की परम्परा निभायी जाती है !<BR/><BR/>ऎसी टिप्पणियों की उपेक्षा कर दें, वही उत्तम होगा !<BR/>इतनी लम्बी चौड़ी पोस्ट लिखने से 'पेरसाद जी ' का मकसद हल होता है !</I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-951081886281616252008-12-29T21:52:00.000+05:302008-12-29T21:52:00.000+05:30कहावत है पहले पत्थर मारो फ़िर फ़िर तबियत से पत्थर खा...कहावत है पहले पत्थर मारो फ़िर फ़िर तबियत से पत्थर खाओ ... फ़िर तिल को ताड़ बनाओ. मै दिनेश जी की टीप से सहमत हूँ.महेंद्र मिश्र....https://www.blogger.com/profile/02639240293870813407noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-33577150782543770842008-12-29T21:32:00.000+05:302008-12-29T21:32:00.000+05:30किसी भी मुद्दे पर बात उठाने का सब से फूहड़ तरीका य...किसी भी मुद्दे पर बात उठाने का सब से फूहड़ तरीका यह है कि बात उठाने का विषय आप चुनें और लोगों को अपना विषय पेलने का अवसर मिल जाए। गाली चर्चा का भी यही हुआ। बात गाली पर से शुरू हुई और गुम भी हो गई। शेष रहा स्त्री-पुरुष असामनता का विषय। <BR/><BR/>वैसे गालियों की उत्पत्ति का प्रमुख कारण यह विभेद ही है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-24400912906760548262008-12-29T20:39:00.000+05:302008-12-29T20:39:00.000+05:30रूढि़वादी पुरुषों को नारी एक खिलौना लगती है।रूढि़वादी पुरुषों को नारी एक खिलौना लगती है।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88531522937225833492008-12-29T18:45:00.000+05:302008-12-29T18:45:00.000+05:30साधु ! साधु !साधु ! साधु !विवेक सिंहhttps://www.blogger.com/profile/06891135463037587961noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-86949622235521711622008-12-29T18:13:00.000+05:302008-12-29T18:13:00.000+05:30गाली के पक्ष में भला कौन खड़ा हो सकता है?गाली के पक्ष में भला कौन खड़ा हो सकता है?आशीष कुमार 'अंशु'https://www.blogger.com/profile/12024916196334773939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-88059729042037972132008-12-29T17:47:00.000+05:302008-12-29T17:47:00.000+05:30गाली गलौज किसी भी सुसंस्कृत नर नारी के लिए अशोभनीय...गाली गलौज किसी भी सुसंस्कृत नर नारी के लिए अशोभनीय है !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25638290453518019412008-12-29T16:38:00.000+05:302008-12-29T16:38:00.000+05:30सोच बांटने का माध्यम बने "नारी" का मैं स्वागत करती...सोच बांटने का माध्यम बने "नारी" का मैं स्वागत करती हूँ .आपने जो बताया पढ़कर बहुत ही दुःख हुआ की अभी भी ऐसे लोग मोजूद हैं मैने वह पोस्ट व उस पर आयी टिप्पणियाँ नहीं पढ़ी है. अपनी अपनी सोच है.ccsuniversitybloghttps://www.blogger.com/profile/00230518955333549068noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-38682235743671843022008-12-29T16:04:00.000+05:302008-12-29T16:04:00.000+05:30मैने वह पोस्ट व उस पर आयी टिप्पणियाँ नहीं पढ़ी है,...मैने वह पोस्ट व उस पर आयी टिप्पणियाँ नहीं पढ़ी है, मगर यहाँ जो आपने लिखा है वह पढ़ आश्चर्य हो रहा है. कोई भी सुसंस्कृत पुरूष ऐसा नहीं लिख सकता था. <BR/><BR/>खैर ना ना प्रकार के लोग है. अपनी अपनी सोच है. <BR/><BR/>गाली गलौच कर कोई अपना स्तर उठा हुआ नहीं मान सकता फिर वह महिला हो या पुरूष.संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.com