tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8480423148223370255..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: एक खामोश मौतरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-75007644584928962432011-08-05T18:13:47.542+05:302011-08-05T18:13:47.542+05:30ये हमारे समाज की विडंबना है जाने कैसी अंधी दौड़ मे...ये हमारे समाज की विडंबना है जाने कैसी अंधी दौड़ में दौड़ रहे हैं हम लोग ...जहां आज हमारे पास अपनों के लिए यहां तक कि अपनों के लिए भी वक्त नही हैं....यही कारण है कि घुट-घुट कर जी रहे हैं हम....तरस जाते हैं लोगों को देखने के लिए...उनकी आवाज सुनने के लिए....और एक दिन जीवन का अंत भी करते देऱ नहीं लगती..इसलिए आप जहां भी रहे दोस्त बनाए...यकीन मानिए बहुत अच्छा लगता है।दिव्या तोमरhttps://www.blogger.com/profile/18338228293120938481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11870489209803523132011-05-04T12:37:46.240+05:302011-05-04T12:37:46.240+05:30Ek dukhad ghtna. . . . . . . . . . . . . . ,Ek dukhad ghtna. . . . . . . . . . . . . . ,SAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-82770742363403417412011-05-03T06:42:45.163+05:302011-05-03T06:42:45.163+05:30दुखद घटना है ....
समाज की विषमता देखिये कि एक तरफ ...दुखद घटना है ....<br />समाज की विषमता देखिये कि एक तरफ हम उम्रदराज लोगों को दौड से ख़ारिज कर अलग बैठने को मजबूर कर रहे और दूसरी तरफ बच्चों को अंधाधुन्ध भागने कह रहे हैं इस सब के बीच हम स्वयं कहाँ हैं कल कहाँ होंगे यह सोचने की फुर्सत ही नहीं है एक पीढ़ी को हमने छोड़ दिया और दूसरी हमें छोड़ रही है तो अकेले तो होना ही होगाVandana Ramasinghhttps://www.blogger.com/profile/01400483506434772550noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-72487894772020356512011-05-02T22:18:35.588+05:302011-05-02T22:18:35.588+05:30बहुत मार्मिक प्रस्तुति है. ‘kaneriabhivainjana.blo...बहुत मार्मिक प्रस्तुति है. ‘kaneriabhivainjana.blogspot.com’ में आप का स्वागत हैMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-91733225293054390482011-05-02T18:38:53.598+05:302011-05-02T18:38:53.598+05:30बहुत ही दुखद समाचार और सच तो यही है बचा रह गया है ...बहुत ही दुखद समाचार और सच तो यही है बचा रह गया है अब समाज का, विशेषकर शहरी समाज का एक कडवा सच । ईश्वर उनकी आत्मा को शांति देंअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-78361890078878231212011-05-02T09:44:39.216+05:302011-05-02T09:44:39.216+05:30आज परिवार टूट रहे हैं लोग तनाव से छुटकारे के लिये ...आज परिवार टूट रहे हैं लोग तनाव से छुटकारे के लिये दवाओं का सहारा ले रहे हैं जरूरत है जीवन में आस्था,योग, ध्यान और मूल्यों की इससे परिवार भी बचेंगे और मन हल्का रहेगा !Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-80779746274045385102011-05-02T09:35:52.984+05:302011-05-02T09:35:52.984+05:30वाकई दुखद है ...
एक वाकया यहाँ भी देख लें ...
http...वाकई दुखद है ...<br />एक वाकया यहाँ भी देख लें ...<br />http://www.bhaskar.com/article/NAT-affluent-brothers-sidelined-ailing-sister-friends-come-to-help-2067301.htmlवाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-31016872953954592112011-05-02T08:31:38.220+05:302011-05-02T08:31:38.220+05:30"यह भौतिकवाद के प्रति कैसी दौड़ है जो उस समय ..."यह भौतिकवाद के प्रति कैसी दौड़ है जो उस समय आपको तन्हा कर देती है, जब आपको किसी की सबसे अधिक जरूरत होती है।"<br />बेहद दुखद !<br />अब ऐसी परिस्थितियां भारतीय समाज में भी बहुत तेजी से विकसित हो रही हैं -<br />जब मां बाप को सहारा चाहिए तो उनका कोई भी साथ नहीं होता ..<br />मगर इन कारणों का और विस्तार से विश्लेषण करना होगा <br />समाज में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो एकलौते बेटे बेटी को पैसे की चकाचौध में अपने से इतनी दूर चले जाने को तैयार हो जाते हैं जहाँ से वे चाह कर भी नहीं लौट पाते ...Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52850651719281292012011-05-01T23:03:39.112+05:302011-05-01T23:03:39.112+05:30आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत...आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.<br /> मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें<br />दिनेश पारीक <br />http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/<br />http://vangaydinesh.blogspot.com/2011/04/blog-post_26.htmlDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-44464032616181690862011-05-01T22:54:28.832+05:302011-05-01T22:54:28.832+05:30भौतिकतावादी प्रवृत्तियां और आधुनिकता की दौड़ तो कही...भौतिकतावादी प्रवृत्तियां और आधुनिकता की दौड़ तो कहीं ऐसा नहीं करवा रही... लोगों को डिप्रेशन में ले जाकर मारने का काम कर रही है...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58713366372709096282011-05-01T22:00:15.159+05:302011-05-01T22:00:15.159+05:30हमारे बदलते सामाजिक मूल्यों और एकाकी परिवार की अवध...हमारे बदलते सामाजिक मूल्यों और एकाकी परिवार की अवधारणा ने अकेले बचे बुजुर्गों और वृद्धों को अवसादग्रस्त बना दिया है , वही बढ़ कर उमा राव जी की तरह आत्महत्या में बदलते देर नहीं लगती. बहुत अफसोस बल्कि यही कहना उचित है कि अब हमें सुधारने की जरूरत है.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.com