tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post8423349330987574159..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: एक प्रश्नरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger21125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-84054208275030589612011-10-14T11:24:03.294+05:302011-10-14T11:24:03.294+05:30@Avi,
Nahi to phir hajmola kis liye bana hai... ...@Avi, <br /><br />Nahi to phir hajmola kis liye bana hai... :)<br />hehehe...well said!रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79215515505038823292011-10-14T11:21:21.565+05:302011-10-14T11:21:21.565+05:30@All:
Actually old generation is not able to dige...@All:<br /><br />Actually old generation is not able to digest the rapid change. But new generation dont worry, It will take some time to digest this..<br />Nahi to phir hajmola kis liye bana hai... :)Avihttps://www.blogger.com/profile/12782394243249738538noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58511676635703480182011-10-14T07:02:36.498+05:302011-10-14T07:02:36.498+05:30"अब जो हो गया सो हो गया, एक दूसरे के साथ कोम्..."अब जो हो गया सो हो गया, एक दूसरे के साथ कोम्प्रोमिज करो और रहो "<br /><br />क्यूँ करें हम समझौता? लोग अपने गिरेबान में हो रहे हरकतों को संभाल नही पाते हैं तो हम नयी पीढ़ी की लड़कियाँ करें समझौता? हाँ कर लेंगे समझौता अगर कोई एक वेश्या को भी अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो, तो हम उसके लिए दस बार समझौता कर लेंगे! लेकिन कई पुरुष शादी के बाद अपने घिनौने हरकत करे और उसे बचाने के लिए परिवार जैसे मंदिर का अपमान करे तो उसके लिए हम कभी समझौता नही करेंगे! <br /><br />कौन खुद को सभ्य कहते हैं यहाँ? सभ्यता अगर वाक़ई में में एक खेल है तो वेश्या वृति में लगी लड़कियाँ एक खिलौना है! ये मत कहिए की हमारे घर में ऐसा नही होता है तो हम सभ्य हैं. क्यूंकी हमारा समाज भी एक परिवार है और इसी परिवार की लड़कियाँ उसमे उसमे उलझी हुई हैं. जो भी परिवार को बचाने के लिए किसी वोमेन को कहते हैं की अपने पति परमेश्वर को माफ़ कर दो, क्यूंकी पूरी ज़िंदगी बची है. तो उन सबको मैं यही कहना चाहूँगी, की हम भी ज़िंदगी अपने तरीकों से जीना सीख लिया है, और ना भी सीखें हैं तो ठोकर खा - खा कर सीख ही लेंगे हैं! और इसमे ऐसे हरकत करने वालों की कोई जगह नही है. <br /><br />और जो ये दलील देते हैं की किसी ने सच्चाई बता दिया ये उसकी महानता है, तो सुने ना बताते तो भी पता चल जाता और तब वो कहीं के नही रहते, इसी डर से बता देना अच्छा समझा. लेकिन बता देने का मतलब ये नही है की ग़लती जो किया वो क्षम्य हो. और ये सबके लिए है. मैं हर नयी पीढ़ी की लड़कियों(married or unmarried) को बोलूँगी,'जियो दिल और शान से जियो अपनी ज़िंदगी', हमेशा खुद के अस्तित्व को पहचान कर जियो. ऐसी ज़िंदगी में घुटन नही मिलेगी.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40297866324062830112011-10-13T15:15:00.600+05:302011-10-13T15:15:00.600+05:30More important, I(nayi peedhi) have learnt to resp...More important, I(nayi peedhi) have learnt to respect such people who(purani peedhi) really deserve my respect! Otherwise they(purani peedhi) must stop imposing their unwanted thinking to others. <br /><br />rgds.रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25733782791478065062011-10-13T15:08:17.215+05:302011-10-13T15:08:17.215+05:30सबसे पहली बात मैं "शादी कर लेने स जनसंख्या बढ...सबसे पहली बात मैं "शादी कर लेने स जनसंख्या बढ़ाने" को सिर्फ़ परिवार नही मनती हूँ. परिवार बिना शादी के भी होता है और बनाया जाता है. मैं स्कूल को भी एक परिवार मानती हूँ, और वहाँ जब बच्चे ग़लत करते हैं तो उसे भी पनिशमेंट दिया जाता है! <br /><br />परिवार को बिगाड़ने के नाम पर बचाने के लिए ये पुरानी पीढ़ियाँ क्या कर रहे हैं, जो नयी पीढियों को ग़लत कह रहे हैं? कम से कम नयी पीढ़ियों में इतनी हिम्मत तो है कि वो ग़लत चीज़ों को सपोर्ट नही कर रही है. कुछ पुरानी पीढ़ी के सो कॉल्ड समाज सेवक एवं परिवार रक्षक(मैं भक्षक कहूँगी) के गिरेबान में झाँकिए तो पता चलेगा की इनके कदम कितने पाक़ हैं! "बोलो तो बवाल ना बोलो तो बवाल" मचाते हैं. <br /><br />"नीति से परे नैतिकता" की बात नही कर सकते हैं! और जब पुरानी पीढ़ियों की नीति ही ग़लत रही हैं तो नैतिकता और मौलिकता की बात क्या करते हैं! हम नयी पीढ़ी की लड़कियाँ सपोर्ट नहीं करते हैं उन नैतिक बातों को जिसके तहत वोमेन की आय दिन पिटाई होती है, emotional and physical अत्याचार होती हैं, जिसे पुरानी पीढ़ी के सामाजिक एवं पारिवारिक लोग बाहर कभी आने ही नही देते हैं. हर दिन कई नारियाँ को पढ़ने के जगह वेश्या वृति जैसे संस्थान में दाखिला लेना पड़ता है! नयी पीढियों ने नही शुरू किया था ये सब, जिसके कारण पाकीज़ा एवं चोखेरबाली जैसी फिल्म बन गयी. ये किनकी देन है? नयी पीढ़ी की? <br /><br />Don't blame nayi peedhi. Ahha...This is an attempt to shift the blame to others(nayi peedhi), and the more often they(purani peedhi) blame nayi peedhi, the more they themselves are actually at fault! <br /><br />बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी...!रेवा स्मृति (Rewa)https://www.blogger.com/profile/13005191329618003468noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-54818413307407503132011-10-12T21:54:06.756+05:302011-10-12T21:54:06.756+05:30उक्त टिप्पणी में आए व्यक्ति शब्द से अभिप्राय: है इ...उक्त टिप्पणी में आए व्यक्ति शब्द से अभिप्राय: है इंडिविजुअल । उसमें स्त्री और पुरुष दोनों सम्मिलित हो सकते हैं।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-44971916759522303662011-10-12T21:25:09.015+05:302011-10-12T21:25:09.015+05:30स्त्री और पुरुष के संबंध न अच्छे होते हैं और न ही ...स्त्री और पुरुष के संबंध न अच्छे होते हैं और न ही बुरे। वे नैसर्गिक होते हैं। चाहे विवाह से पहले हों या विवाह के बाद। परिवार समाज (बहुत से लोगों द्वारा सुविधा की दृष्टि से लिया गया निर्णय)द्वारा स्वीकृत एक निर्णयगत संस्था। ठीक उसी तरह जिस तरह से जिस तरह से कि सड़क के बायीं ओर चलना एक सुविधा है। जिस व्यक्ति ने परिवार बसाना है,वह न तो शादी से पूर्व और न ही शादी के बाद बाहर किसी ओर से संबंध रखे। यह परिवार की नींव का पत्थर है। समस्या तो तब पैदा होती है जब व्यक्ति शादी से पहले भी संबंध रखता है और शादी के बाद भी। लेकिन समाज में पाखंडी बना रहता है। यदि व्यक्ति शादी पूर्व संबंध बनाता है,तो उसे शादी नहीं करनी चाहिए और अपने साथी से अपने इस निर्णय के बारे में दृढ़ता पूर्वक कह देना चाहिए; कि वह विवाह और परिवार नहीं चाहता। लेकिन यदि व्यक्ति परिवार बसाने की इच्छा रखता है तो उसे न तो शादी से पहले और न ही शादी से बाद किसी ओर से संबंध रखने चाहिएं। लेकिन समस्या तो तब पैदा होती है,जब व्यक्ति दोनों हाथों में ल़ड्डू रखना चाहता है। वह शादी से पहले भी संबंध बनाता है और शादी के बाद भी। ऐसा निर्णय न करने वाला व्यक्ति समाज में पाखंडी हो जाता है। वह समाज के सम्मुख साफ़ छवि बना के रखना चाहता है;जबिक पिछले रास्ते से गलत कार्य करता रहता है। समाज में ऐसे व्यक्तियों की संख्या बढ़ जाने से परिवार,समाज,देश,संस्कृति को खतरा हो गया है। वस्तुत: समाज में दोहरे मापदंड स्वीकृत हो गए हैं। इस दुनियादारी कहा जाने लगा है। मूल समस्या यही है कि आज व्यक्ति ईमानदार नहीं रह गया है, वह अवसरवादी हो गया है। उसका व्यक्तित्व खंडित हो गया है। ऐसे में कानून भी क्या कर सकता है। कई बार सोचता हूं समाज में जितने ज्यादा कानून बढ़ते जाते हैं,उतना ही समाज का पतन होता जाता है। किसी भी कानून के बनने से पूर्व ही उसे तोड़ कर उससे बाहर निकलने के दांव-पेंच सोच लिए जाते हैं। मेरे विचार से आपके प्रश्न का हल कानून से नहीं बल्कि व्यक्ति की नियत से अधिक जुड़ा हुआ है। हम क्यों नहीं एक ऐसे समाज का निर्माण करते जिसमें व्यक्ति के निर्णय को सम्मान दिया जाए। व्यक्ति का निर्णय यदि शादी नहीं करने का है तो वह अपने पार्टनर से स्पष्ट कहे और यदि शादी करना चाहता है तो भी परिवार बसाने के निर्णय पर अडिग रहते हुए उसकी गरिमा के अनुसार आचरण करे।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-5914341064252550372011-10-12T03:12:10.322+05:302011-10-12T03:12:10.322+05:30This comment has been removed by the author.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-58584415349375082742011-10-12T02:53:49.320+05:302011-10-12T02:53:49.320+05:30रचना जी,
नई पीढी और पुरानी पीढी के एंगल से मैंने स...रचना जी,<br />नई पीढी और पुरानी पीढी के एंगल से मैंने सोचा नहीं था.पर ये विचारणीय है.लेकिन पार्कों में कोई भी पिट सकता है.संघियों,बजरंगियों और पिचखोदुओं के हत्थे तो कोई भी चढ जाए वो देखते नही.हाँ जो रेड वाली जानकारी आपने दी वो मेरे लिए नई है.यदि विवाहितों को छोड दिया जाता है तो ये बिल्कुल गलत है.बल्कि उन्हें तो पहले पकडना चाहिए.<br />फिर आपने बात की परिवार में शुचिता की.पर इसकी स्थापना के लिए क्या किया जाए.एक तरीका नैतिकता,मर्यादा आदि के बखान का हो सकता है लेकिन केवल इससे बात बनती तो दुनिया में अंधिकांश गलत काम कभी होते ही नही.आज भी जो लोग गलत काम कर रहे है उन्हें पता है कि ये गलत ही है पर फिर भी कर रहे है.हाँ कम्प्रोमाइज नहीं होना चाहिए.लेकिन ये विषय थोडा गंभीर हो जाएगा क्योंकि बहुत से प्रश्न इसके साथ जुडे है.इस पर व्यापक बहस की आवश्यकता है.हिंदी ब्लॉगिंग में भी शायद ऐसे प्रयास अभी तक हुए नहीं पर होने चाहिए.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-66530930397177250512011-10-12T00:51:59.354+05:302011-10-12T00:51:59.354+05:30पहली टिप्पणी में इसे सुधार कर यूँ पढें-
क्या समाज ...पहली टिप्पणी में इसे सुधार कर यूँ पढें-<br />क्या समाज का उनके प्रति जो उपेक्षा का व्यवहार है उसे ही सजा के रूप में पर्याप्त मान लिया जाए?राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-71239594485068941462011-10-11T23:45:14.907+05:302011-10-11T23:45:14.907+05:30क्या केवल शादी कर लेने से और परिवार हो जाने से उनक...क्या केवल शादी कर लेने से और परिवार हो जाने से उनको सजा से इम्म्युमिटी मिल जानी चाहिये ??<br />बिल्कुल नहीं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62779325265388919232011-10-11T17:53:47.615+05:302011-10-11T17:53:47.615+05:30राजन
इस पोस्ट में जो बात की गयी हैं वो हैं की अगर ...राजन<br />इस पोस्ट में जो बात की गयी हैं वो हैं की अगर हम नयी पीढ़ी को दोष देते हैं तो पुरानी पीढ़ी की गलतियां भी नज़रअंदाज करने लायक हैं क्या ? हम विवाहितो के हर गलत आचरण पर पर्दा डालने मे विश्वास करते हैं और वही अविवाहितों के पीछे पड जाते हैं जैसे पार्क में बैठे अविवाहित जोड़े . यहाँ तक की राजन अगर किसी सार्वजनिक स्थल पर रेड में विवाहित जोड़ा पकड़ा जाता हैं तो वो विवाहित होने का प्रमाण पत्र / साक्ष्य दिखा कर छुट जाता हैं और अविवाहित को नहीं छोड़ा जाता हैं . क्या नैतिकता के दोहरे माप दंड अनैतिकता को बढ़ावा नहीं देते हैं .<br />अगर नैतिकता हो तो परिवार कभी टूटेगे ही नहीं , हम जोर परिवार पर देते हैं नैतिकता पर नहीं वहाँ हम कोम्प्रोमैज़ की ही बात कहते हैं . शुचिता की बात क्यूँ नहीं कही जाती .रचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-30586397099379736642011-10-11T17:44:01.852+05:302011-10-11T17:44:01.852+05:30रचना जी,
यदि कानून की बात की जाए तो सजा दोनों के ल...रचना जी,<br />यदि कानून की बात की जाए तो सजा दोनों के लिए समान ही होगी/होनी चाहिए क्योंकि दोनों इसमें बराबर के भागीदार है.जहाँ तक बात समाज की है उसमें महिला को ज्यादा भुगतना पडता है.लेकिन आपको इस बात पर एतराज है कि विवाहितों को छूट क्यों है.तो फिर आप ही बता दीजिए उन्हें सजा देने के लिए क्या करना चाहिए.मेरा तो ये ही मानना है कि इसमें दूसरे पक्ष को जो उचित लगे वो करे.महिलाएँ अब चूँकी सशक्त हो रही है तो वो तलाक जैसे उपाय ही करेंगी लेकिन क्या अविवाहित ने जो किया उसके लिए कोई सजा नही?हाँ समाज का रवैया उनके प्रति सही नहीं है.हालाँकि अब ये थोडा कम हुआ है.लेकिन दूसरी तरफ जहाँ एक पूरा परिवार बिखरा वहीं अविवाहित तो पहले वाली स्थिति में ही रहा.क्या समाज की उनके प्रति उपेक्षा का व्यवहार है उसे ही पर्याप्त मान लिया जाए?<br />और जहाँ तक शादी जैसी संस्था है मैं इसका विरोधी तो नही हूँ लेकिन ये खत्म भी हो जाए तो इससे कोई फर्क नहीं पडेगा.वैसे भी ये जल्दी ही संग्रहालय में सजाने लायक हो जाएगी और केवल महिलाएँ ही नहीं पुरूष भी इससे फायदे में रहेंगे लेकिन ये भी सच है कि स्त्री पुरुष संबंधों में विकृतिताँ फिर भी रहेगी.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-69148121526509049792011-10-11T17:20:19.247+05:302011-10-11T17:20:19.247+05:30क्या स्त्रिया/ पत्नियां अन्य पुरुषों /अन्य के पतिय...क्या स्त्रिया/ पत्नियां अन्य पुरुषों /अन्य के पतियों से सम्बन्ध नहीं रखतीं ?<br />डॉ श्याम गुप्त इस पोस्ट में पुरुष स्त्री की बात नहीं हैं बात विवाहित / अविवाहित की हैंरचनाhttps://www.blogger.com/profile/03821156352572929481noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-46219411606744886492011-10-11T17:16:59.536+05:302011-10-11T17:16:59.536+05:30ये किसने कहा कि विवाह के बाद सब छूट है ..इसकी कोई ...ये किसने कहा कि विवाह के बाद सब छूट है ..इसकी कोई सज़ा नहीं है ..कानूनन भी तो सज़ा का प्राविधान है ...<br />---हाँ स्वयं महिलायें/ पत्नियां ...अन्य लोग इस पर अनुपालन करने में हीला-हवाला करते हैं ..जो अन्य कायदे कानूनों में भी होता है ...चोरी -चकारी, लूट -मर्डर के केसों में सब पकडे जाते हैं क्या ...सबको सज़ा होजाती है क्या ....ये व्यष्टिगत कमियां हैं ....नियमों..कानूनों...समाज-शास्त्रों की नहीं ....क्या स्त्रिया/ पत्नियां अन्य पुरुषों /अन्य के पतियों से सम्बन्ध नहीं रखतीं ?<br /><br />---नैतिकता , सदाचरण का यही महत्त्व है कि जो क़ानून से नहीं होसकता वह इससे होता है .... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-36349661300861179222011-10-11T17:02:52.764+05:302011-10-11T17:02:52.764+05:30विवाह का बंधन इसलिए बनाया गया था की इस बंधन में बं...विवाह का बंधन इसलिए बनाया गया था की इस बंधन में बंध कर व्यक्ति की अनैतिकता पर भी बंधन लग जाये न की उस और खुली छुट मिल जाये | समाज इसके लिए कोई भी सजा नहीं बना सकता है क्योकि समाज हमेसा से पुरुषो के इस तरह के सम्बनधो को कभी भी सजा के लायक नहीं मानता है और सामाजिक रूप से उसे कोई परेशानी नहीं होती है हा उस महिला को और उसके बच्चो को जरुर होती है जो विवाहित पुरुषो से सम्बन्ध बनती है | यहाँ तक की कानून में भी इस संबंधो को कोई मान्यता नहीं दी गई है किन्तु इन से हुए बच्चो को पूरा अधिकार दिया गया है | और ये बात भी समझ के परे है की क्यों किसी अविवाहित को उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए विवाह का सुझाव दिया जाता है क्या विवाह का मतलब बस शारीरिक जरूरते पूरा करना है क्या ऐसे में विवाह का अर्थ गक्त नहीं हीओ जाता है क्या विवाह की पवित्रता नष्ट नहीं होती है |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-81715134638442506002011-10-11T15:53:00.897+05:302011-10-11T15:53:00.897+05:30वर्जनाएं हर युग में रही हैं और सदैव उनका अतिक्रमण ...वर्जनाएं हर युग में रही हैं और सदैव उनका अतिक्रमण भी होता रहा है। धर्मग्रंथों की अनुषंगी कथाओं में ऐसे प्रसंगों की भरमार है,किंतु इन ग्रंथों का मूल उद्देश्य कुछ और होने के कारण इन प्रसंगों पर ज़्यादा चर्चा नहीं हो पाती। स्वच्छन्द शहरी परिवेश ने इस मानसिकता को हवा दी है। यौन-जीवन से असंतुष्टि के कारणों की पड़ताल करनी होगी। किंतु हल यौन-जीवन से इतर के मुद्दों में ही मिलने की संभावना दिखती है।कुमार राधारमणhttps://www.blogger.com/profile/10524372309475376494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-23034293330560942882011-10-11T15:45:16.505+05:302011-10-11T15:45:16.505+05:30typed a longgggg comment - disappeared!!!typed a longgggg comment - disappeared!!!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-63685735978167359802011-10-11T15:44:37.142+05:302011-10-11T15:44:37.142+05:30अविवाहित वयस्क को तो पूरा अधिकार है अपना जीवन जैसे...अविवाहित वयस्क को तो पूरा अधिकार है अपना जीवन जैसे चाहे जिए। विवाहित जोड़ा अपने बीच में तय करता है कि क्या सही है क्या गलत। इसमें सिवाय कानून के किसी अन्य को कोई अधिकार है ही नहीं। समाज में भी बदलाव आ रहे हैं, चाहे धीरे ही।<br />भारत में विवाह न करना, विशेषकर बच्चे न पैदा करना तो समाज पर उपकार है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-57347384346892566862011-10-11T15:39:15.374+05:302011-10-11T15:39:15.374+05:30This comment has been removed by the author.ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-79115852967806389802011-10-11T15:31:21.989+05:302011-10-11T15:31:21.989+05:30vichar karne yogy baat kahi hai aapne rachna jivichar karne yogy baat kahi hai aapne rachna jiGeetahttps://www.blogger.com/profile/07916683052983770611noreply@blogger.com