tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post841573161616224231..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: चरित्र नारी का ही क्यों ? रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger11125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77751158341814475302015-12-04T11:45:56.346+05:302015-12-04T11:45:56.346+05:30100% agree with your views sochne ka ek naya drist...100% agree with your views sochne ka ek naya dristikos diyaAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/03403380070736190451noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-22574244472282664302013-09-05T14:27:32.254+05:302013-09-05T14:27:32.254+05:30चरित्रवान होना या चरित्रहीन होना सिर्फ स्त्री पे ह...चरित्रवान होना या चरित्रहीन होना सिर्फ स्त्री पे ही लागु होता है ऐसा किसने कहा है? स्त्री और पुरुष दोनों के लिए चरित्रवान या चरित्रहीन होने के पैमाने भी लगभग एक ही हैं। विवाह के बाहर अगर पुरुष भी किसी गैर स्त्री/ मर्द से सम्बन्ध बनाता है तो ये उसके मर्दानगी का पैमाना तो नहीं हुआ ना - और ये किसी भी काल या समाज में चरित्रहीनता ही माना जायेगा। द्रौपदी ने पाँच पतियों से सम्बन्ध रखे लेकिन इसे चरित्रहीनता नहीं कहा गया क्योंकि ये विवाह के अन्दर था। द्रौपदी के मान सम्मान में कोई दाग नहीं लगा। आसाराम के कृत्या पे लोग उसे सिर्फ एक अपराधी ही नहीं कह रहे हैं बल्कि एक चरित्रहीन भी कह रहे है। नेहरु जी के चरित्र पे भी उँगलियाँ उठाई जाती हैं। दिल्ली, मुंबई, बंगलोर जैसे बड़े शहरों में पढाई/ नौकरी के सिलसिले में दूर-दराज से आये कई लड़के-लड़कियां लिव-इन रिलेशनशिप में रहने लगते हैं लेकिन रिलेशनशिप के ना चल सकने में लड़की अक्सर ही लड़के के खिलाफ शादी का झांसा देकर बलात्कार का मुकदमा दर्ज करती है लेकिन इसके उलट अगर लड़की इस रिलेशनशिप को तोड़ कर चली जाती है तो लड़के का पास क्या विकल्प होता है? ये बदलते दौर की बातें है जहाँ अगर किसी की पत्नी की गैर मर्द के साथ सम्बन्ध बनाती है तो स्त्री के चरित्र पे उतना सवाल नहीं उठता है जितना पुरुष के मर्दानगी पे। इसे progressive और independent नारियों का अपने सेक्सुअलिटी को लेकर सजग और सहज होना कहा जात है चरित्रहीनता नहीं। किसी आतंकवादी को उसके धर्म या सम्प्रदाय से जोड़ना (जबकि वो आतंकी कार्य धर्म के नाम पे ही करता है) एक संकुचित और सांप्रदायिक मानसिकता है उसी तरह किसी सामंती सोच और हरकत को पुरुषवादी कह कर पुरुषो से ही घृणा करना एक संकुचित मानसिकता की निशानी है। एक शहरी मध्यवर्गीय कामकाजी महिला किसी गरीब और पिछड़े इलाके के स्त्री को अपने घरो में गुलाम / slave बनाकर रखना और अमानवीय व्यवहार करना भी एक सामंती सोच का परिणाम है। उल्लखनीय है की ये लोग किसी गरीब लड़के को अपने घर में slave बना कर रखने के बजाये लड़कियों को रखना ज्यादा पसंद करती है। लेकिन मैंने शायद ही किसी नारीवादियों को इसके ऊपर कुछ बोलते और लिखते हुए देखा है। Prabhat Sinhahttps://www.blogger.com/profile/16741811387798092166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-13320425955480883542013-09-01T06:17:51.167+05:302013-09-01T06:17:51.167+05:30sahi farmaya.......sahi farmaya.......Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-42217130191423935102013-09-01T01:08:03.598+05:302013-09-01T01:08:03.598+05:30चरित्र का मानदंड नारी-नर दोनों के लिए समान होता तो...चरित्र का मानदंड नारी-नर दोनों के लिए समान होता तो आज समाज में इतनी विकृतियाँ न होतीं.<br />जो बीत गया सो गया ,अब तो चेत जाओ !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-25255308093388661702013-08-31T22:31:09.295+05:302013-08-31T22:31:09.295+05:30ghinn aati hai purush kee soch se .sarthak aalekh ...ghinn aati hai purush kee soch se .sarthak aalekh nari kee trasdi ko parakt karta huaa .aabhar rekha ji Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-470852871169571762013-08-31T17:33:25.295+05:302013-08-31T17:33:25.295+05:30आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-09-2013) ...आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (01-09-2013) के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच 1355</a> पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थअरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70553272980881129712013-08-31T16:42:15.795+05:302013-08-31T16:42:15.795+05:30 धन्यवाद दर्शन जी। धन्यवाद दर्शन जी। रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-70181184007732766442013-08-31T16:40:56.627+05:302013-08-31T16:40:56.627+05:30ये सोच ही तो नारी को दोयम दर्जे का बनाती है , अभ...ये सोच ही तो नारी को दोयम दर्जे का बनाती है , अभी इन्तजार करना है क्योंकि धीरे धीरे नारी जाति के प्रतिशत में जो कमी आ रही है। वह कल का इतिहास बदलने की तैयारी है.<br /><br />रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-89336059901890684622013-08-31T16:34:38.477+05:302013-08-31T16:34:38.477+05:30 विभा , मैंने आज सुबह ही ये बात अपनी एक रचना में ल... विभा , मैंने आज सुबह ही ये बात अपनी एक रचना में लिखी है।<br /><br /><br /><br />खुद को समर्थ कहलाने के लिए , <br /> पत्नी के रहते <br />एक और घर बसाने लगे। <br />पश्चिम सा साहस न जुटा पाए .<br />चोरी छिपे जीते रहे,<br />जब खुला तो बिखरा परिवार <br />तुम नहीं पत्नी दोषी बनी <br />बांध कर नहीं रख पायी,<br />कोई जानवर नहीं <br />कि खूंटे से बाँध कर रखा जाए उसे । रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-53832079676306468882013-08-31T14:58:14.412+05:302013-08-31T14:58:14.412+05:30मुझे लगता है एक पंक्ति और जुड़नी चाहिए कि अगर किसी...मुझे लगता है एक पंक्ति और जुड़नी चाहिए कि अगर किसी मर्द के कदम बहकते हैं तो उसकी दोषी भी औरत होती है क्यूँ कि वो पति को संभाल नहीं सकी <br />क्यूँ क्या कहती हैं आप दीदी ................विभा रानी श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/01333560127111489111noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-40077298798789792692013-08-31T13:18:35.501+05:302013-08-31T13:18:35.501+05:30बाजिब सवाल। मैं भी सोंच रहा हु की आखिर कोई महिला द...बाजिब सवाल। मैं भी सोंच रहा हु की आखिर कोई महिला दो पति के साथ क्यूँ नहीं रहती। यह सर्वाधिकार भी पुरुष के पास है। और कलंक महिला के माथे।Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.com