tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7433828337916926654..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: संसद के द्वार तक का सफर -महिला आरक्षण विधेयकरेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-20787869341264211702008-06-23T13:47:00.000+05:302008-06-23T13:47:00.000+05:30माया जी महिला आरक्षण विधेयक पास होने से महिलाओं के...माया जी महिला आरक्षण विधेयक पास होने से महिलाओं के लिए कुछ कर गुजरने के लिए द्वार खुल जायेंगे !मुझे लगता है कि ऐसा होने से पुरुषों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए !कोई भी महिला यदि अपने आप को समझती है कि वो घर और बाहर आपस में सामंजस्य बिठा सकती है तभी वह उस कार्य को करती है फिलहाल सरकार द्वारा उठाया ये कदम बहुत सही होगा ऐसा मेरा मानना है !shivanihttps://www.blogger.com/profile/12442995596648165021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-28645809678660374232008-06-22T21:55:00.000+05:302008-06-22T21:55:00.000+05:30आपकी बात सही हो सकती है कि कुछ महिलाओ को नोकरी या ...आपकी बात सही हो सकती है कि कुछ महिलाओ को नोकरी या अन्य कार्य करना रास नहीं आता हो ,अब बात नेट सर्फिंग कि है तो तो यह तो निश्चित है कि समाज मे खाई बढ़ी है एक तरफ कामकाजी महिलाये है दुसरी तरफ घरेलु, निश्चित रूप से समयाभाव बाधा है और इसमें कुछ न कुछ समझौता करना होता है लेकिन क्या हम सिर्फ अपने लिए सोचे हम उन वर्गों के लिए क्यों नहीं सोचते जिनके लिए कम कोई शौक नहीं है आज की हालत ही ऐसे है ,कोई ठेला चलने वाला ,या म्हणत मजदूरी करने वाला श्रमिक की पत्नी को क्या घर मे बैठकर घरुलू महिला की तरह रहते देखे है उन्हें भी कोई न कोई म्हणत या श्रम के लिए काम मे जाना पड़ता है सिर्फ इसलिए कि परिवार की जिम्मेदारियों का वहन कर सके, आज की बढ़ती मांगे मे मध्यवर्ग को भी इन्ही सब बातो के कारण कामकाजी होना पड़ा है, और जब आधी से अधिक जनसँख्या को, आप जो उस काम के लिए योग्य है , को सिर्फ इस वजह से कि वह महिला है और बच्चोको देखभाल करनी है करके राष्ट्र की सेवा से वंचित करना उचित नहीं जान पड़ता, आखीर महिलाये अपने लिए नहीं सबसे पहले अपने बच्चो के खातीर नौकरी करती है क्योकि कालेज स्कुल की पढाई ,इतनी मंहगी हो गई कि बच्चो के उच्च शिक्षा के लिए अपनी भागीदारी करती है, और इन सब बातो के पश्चात् भी एक कामकाजी महिला जितना समय अपने परिवार मे देती है वह पुरुष की तुलना मे अधिक ही होता है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17357750951527069159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-11756134259345014632008-06-22T21:36:00.000+05:302008-06-22T21:36:00.000+05:30विधेयक या आरक्षण महिला सुरक्षा की गारंटी(वारंटी) न...विधेयक या आरक्षण महिला सुरक्षा की गारंटी(वारंटी) नहीं है. सोच परिवर्तन जरूरी है.कामोद Kaamodhttps://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-21597801403850869682008-06-22T20:27:00.000+05:302008-06-22T20:27:00.000+05:30मायाजी, निःसन्देह महिलायें प्रत्येक कार्य कर सकती ...मायाजी, निःसन्देह महिलायें प्रत्येक कार्य कर सकती हैं, कर भी रही हैं कुछ कामकाजी महिलायें अपने आप को सन्तुष्ट भी कह सकती हैं, किन्तु अधिकांश कामकाजी महिलायें परेशान हैं, मेरी बातचीत ऐसी महिलाओं से होती रही है, जौनपुर नवोदय विद्यालय मे एक अध्यापिका थीं, वे बताते हुए आसुंओं को बडी मुश्किल से रोक पायीं थी- उनका कहना था पति अलग काम करते हैं, जब छोटे बच्चे को अकेला क्वाटर में बन्द करके जाना पड्ता है और व्ह रो-रोकर लाल-पीला हो जाता है तो मां के दर्द को केवल मां ही समझ सकती है. महिलाओं का कामकाजी होने से पुरूष को कोई हानि नहीं हैं, पुरूष का तो वजन ही हल्का होता है,महिलाओं को व बच्चों को ही झेलना पड रहा है. एक पहलू और भी है महिला काम करना नहीं चाहतीं और परिवार काम छोड्ने की अनुमति नहीं देता. मेने ऐसी स्थिति भी देखी है कि महिला काम करना ही नही चाहती और पति उसकी पढाई का हवाला देकर काम करने को मजबूर कर रहे थे, वह परिवार मेरा मित्र परिवार था, वे महिला मुझसे गुहार लगातीं थीं कि इनको समझाओं, मैं नौकरी नहीं करना चाहतीं, मायाजी सब आपकी बराबर भाग्यशाली नहीं होतीं जो नेट सर्फ़िंग कर सके, डिग्री कालेज की व्याख्याताओं को अपने पति व बच्चे के लिये रोते सुनता हूं. हम लोग सतही बातें करते हैं, समाज बडा जटिल है और परिणाम क्या होंगे यह भविष्य ही निर्धारित करेगा.डा.संतोष गौड़ राष्ट्रप्रेमीhttps://www.blogger.com/profile/01543979454501911329noreply@blogger.com