tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post7155599239777956455..comments2023-12-02T14:56:14.755+05:30Comments on नारी , NAARI: बच्चो का यौन शोषण , अभिभावक करे तो बच्चो की रक्षा कौन करेगा ?रेखा श्रीवास्तवhttp://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-77096346136872140022009-11-06T14:55:41.816+05:302009-11-06T14:55:41.816+05:30ऐसे कुकृत्यों कि जितनी निंदा कि जाय कम है ,दोषी के...ऐसे कुकृत्यों कि जितनी निंदा कि जाय कम है ,दोषी के दोष को छुपाना और उसे समाज में फिर से खुला छोड़ देना ऐसी ही और दुर्घटनाओ को जन्म देता है अतः उन्हें सार्वजनिक करे जिससे ऐसी दुर्घटना कि पुनरावृति न हो|शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-87997916106601265842009-11-06T10:00:12.154+05:302009-11-06T10:00:12.154+05:30पूरे विश्व में जानवरों की संख्या में कमी आई है ......पूरे विश्व में जानवरों की संख्या में कमी आई है ...आनी ही है ...जानवरों जैसे कर्म इंसान के जो हो गए हैं ...!!वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-16826637015511484932009-11-06T09:49:12.108+05:302009-11-06T09:49:12.108+05:30यौन शोषण, खासकर बच्चों का सबसे घृणित अपराध है और इ...यौन शोषण, खासकर बच्चों का सबसे घृणित अपराध है और इससे बच निकलने वाले जानवरो को समाज मे खुला छोड़ना दूसरे किसी बच्चे को खतरे मे डालना है।मानवाधिकार पर ज्यादा कुछ नही कहना चाहता लेकिन इस बात से सहमत हूं उसे मनोचिकित्सकों से क्लीन चिट मिलने के बाद ही खुला छोड़ना चाहिये अन्यथा पशुवत व्यवहार करने वाले नरपशुओं को समाज मे रहने का कोई हक़ नही है।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62422720887800816582009-11-06T08:14:29.302+05:302009-11-06T08:14:29.302+05:30सिनेमा , मीडिया ,tv,वगेरह में बढती अश्लीलता,जनसँख्...सिनेमा , मीडिया ,tv,वगेरह में बढती अश्लीलता,जनसँख्या विस्फोट से पैदा हुई गलाकाट स्पर्धा/बाज़ार की संस्कृति और उसमें बेरोज़गारी,लिंगानुपात में भारी कमी, विवाह की औसत आयु में वृद्धि ....तमाम ऐसे कारक हैं जो कुंठा को चिंताजनक वीभत्स स्तर तक ले जाते हैं।हमें समस्या के मूल में देखना चाहिए ...<br /><a href="http://naturica.blogspot.com/2009/10/ghazal.html" rel="nofollow">श्रीमती के नाम ghazal </a>Deepak Tiruwahttps://www.blogger.com/profile/13682168547060101938noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52598446421197399622009-11-05T23:34:32.794+05:302009-11-05T23:34:32.794+05:30ऐसे समाचार रोंगटे खड़े कर देते हैं. मासूम बच्चों क...ऐसे समाचार रोंगटे खड़े कर देते हैं. मासूम बच्चों के साथ छेड़छाड़ और उनका यौन-शोषण एक जघन्य अपराध है. ऐसे नरपशुओं को कड़ी सज़ा देनी चाहिये. मैं रेखा जी की इस बात से सहमत हूँ कि अपने बच्चों को इन कुत्सित मानसिकता वाले लोगों से बचाकर माँ को ही रखना होगा. सभी पुरुषों से वे चाहे घर के हों या बाहर के. इसके साथ ही बच्चों विशेषतः छोटी लड़कियों को सावधान भी रखना होगा उन्हें सावधानी से ऐसी शिक्षा देनी होगी कि वे किसी के भी पास अकेले न जायें और न अधिक देर तक किसी के भी पास बैठें. इस विषय में अतिरिक्त सावधानी इसलिये बरतनी होगी जिससे उनके कोमल मन में कहीं समाज के प्रति कटुता न भर जाये.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-52068343242017444602009-11-05T17:26:27.075+05:302009-11-05T17:26:27.075+05:30वाकई बच्चो के साथ किया गया अपराध सबसे जघन्य अपराध ...वाकई बच्चो के साथ किया गया अपराध सबसे जघन्य अपराध है.<br />रेखा जी की टिप्पणी से असहमति है. (लड़की होना एक बहुत बड़ा अभिशाप है) वास्तव में वह समाज अभिशाप है जो लडकी को उस्का हक और अधिकार नही दे पाता. (क्षमा याचना सहित)M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-50261802829110392362009-11-05T14:40:34.535+05:302009-11-05T14:40:34.535+05:30लड़की होना एक बहुत बड़ा अभिशाप है, ये समाज तो उसको...लड़की होना एक बहुत बड़ा अभिशाप है, ये समाज तो उसको देखता ही सिर्फ एक दृष्टि से है लेकिन अगर जनक या सहोदर भी अपने रिश्तों कि पवित्रता को अहमियत नहीं देते हैं तो अब माँ का दायित्व बढ़ रहा है. बेटी को बचपन से ही अपने और अपने ही साए में रखना होगा. एक प्रश्न चिह्न तो बहुत पहले ही लगता आ रहा है. ऐसे पिता या पिता तुल्य सम्बन्धी मानसिक रोगी ही कहे जा सकते हैं. जहाँ माँ और बहन के रिश्ते के लिए लोग जान देने में पीछे नहीं हटते वहाँ इन पशुओं से सावधान रहने कि आवश्यकता है. नारी पुरुष कि नजरों से पहचान लेती है कि उसकी दृष्टि में क्या है? बच्चे को ऐसे लोगों से दूर रखने का काम अब माँ का ही होगा. <br /> मानवाधिकार कि दुहाई लेकर अपराधी को बाहर किया जा सकता है लेकिन क्या उन लोगों के कोई मानवाधिकार नहीं है जिनको ऐसे लोगों से खतरा हो सकता है. ऐसे अपराधियों को जेल में न सही कम से कम मनोचिकित्सक के देखरेख में तो रखा ही जाना चाहिए.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-76395979252763252382009-11-05T14:17:10.867+05:302009-11-05T14:17:10.867+05:30हम मानव क्यों हैं? अगर हम अपने अपराध को वैधता का ज...हम मानव क्यों हैं? अगर हम अपने अपराध को वैधता का जमा पहनने के लिए पशुओं का उदाहरण दे रहे हैं. इस समाज में नीचता कि कोई सीमा नहीं है. और हम बेवश से सब सहने के लिए मजबूर हैं.रेखा श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/00465358651648277978noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5725786189329623646.post-62615051397507938922009-11-05T13:17:56.966+05:302009-11-05T13:17:56.966+05:30यदि आपको याद हो तो करीब 10-12 वर्ष पहले दिल्ली में...यदि आपको याद हो तो करीब 10-12 वर्ष पहले दिल्ली में एक आई इ एस महोदय अपनी बच्ची के साथ कई वर्षों से शारीरिक सम्बन्ध बनाने के आरोप में पकडे गए थे. उस समय समाज में हलचल सी हुई और शांत हो गई. उन महोदय ने तर्क दिया कि जैसे एक घोड़ा अथवा कुत्ता अपने संबंधों से उत्पन्न संतान के साथ भी सम्बन्ध बना लेता है, उसी तरह मनुष्य भी कर सकता है. <br />आज ऐसी घटनाओं से समाज अटा हुआ है. घर में ही रिश्तों की पावनता के बीच शारीरिक सम्बन्ध बन रहे हैं, इसके पीछे के मनोविज्ञान को समझने के लिए शोध की जरूरत है.राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.com